Hindi Vyakaran Mein Kriya Kise Kahate Hain?
व्याकरण तो प्रत्येक मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। आम ज़िन्दगी में भी हर एक बोले हुए वाक्य में व्याकरण होता है। यह हमारे मुख से निकले हुए वाक्य को अर्थ प्रदान करता है। व्याकरण का क्षेत्र असीम है इसमें सर्वनाम,क्रिया,काल सब आते है। परंतु यहां आज हम क्रिया पर एक नज़र डालेंगे। क्रिया को अंग्रेज़ी में वर्ब कहते है क्रिया वह है जिससे किसी कार्य के करने व होने का बोध होता है। क्रिया के माध्यम से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के कार्य या अवस्था का पता चलता है। उदहारण के रूप में- राम खेल रहा है। यहाँ राम व्यक्ति है और क्रिया है खेल । इस पंक्ति से हमे राम के कार्य करने का पता चल रहा है कि राम खेल रहा है।
उसी प्रकार अन्य ऐसे कई उदहारण है जैसे मोहन पढ़ रहा है।
सीता ने चौदह वर्ष राम की प्रतीक्षा की। आदि।
क्रिया के प्रकार-क्रिया दो प्रकार के होते है-
१.मुख्य क्रिया
२.सहायक क्रिया
मुख्य क्रिया-यह वह क्रिया होते है जिससे किसी काम का बोध हो जैसे पढ़ना,खाना, सोना,दौड़ना आदि।यह ज़रूरी नही है कि कार्य सिर्फ हाथ पैर हिला कर ही किया जाए ,शारीरिक श्रम करना ही केवल कार्य नहीं है बल्कि यदि कोई अपने मस्तिष्क में कुछ सोचता है तो वह भी एक कार्य है क्योंकि इसमें हमारा दिमाग कार्य कर रहा है।
सहायक क्रिया -यह क्रिया किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के कार्य के बारे में बताती है। इसे अंग्रेजी में हेलपिंग वर्ब कहते है। उदहारण-इस,एम, वास् आदि।
हिंदी व्याकरण में क्रिया के दो भेद होते है-
१.कर्म के अनुसार
२.प्रयोग की दृष्टि से
कर्म के अनुसार प्रायः क्रिया के तीन भेद होते है-
१.अकर्मक क्रिया-इन क्रियाओं में कर्म का फल कर्ता पर पड़ता है। जैसे- वह गा रहा है।
२.सकर्मक क्रिया- जहाँ क्रिया के साथ कर्म हो,या कर्म होने की संभावना हो उसे सकर्मक क्रिया कहते है। जैसे-वह खाना खा रहा है।
३.द्विकर्मक क्रिया-जिन सकर्मक क्रिया के दो कर्म होते है उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते है। जैसे-सीता ने राम को जयमाला पहनाया।
प्रयोग के दृष्टि से देखा जाए तो क्रिया के पाँच भेद होते है-
१.सामान्य क्रिया- जब वाक्य में एक क्रिया का प्रयोग होता है तो उसे सामान्य क्रिया कहते है। जैसे-वह पढ़ रहा है।
२.संयुक्त क्रिया-जब वाक्य में एक या एक से अधिक क्रियाओं का प्रयोग होता है तो उसे संयुक्त क्रिया कहते है। जैसे-वह खेल चुका है।
३.नामधातु क्रिया- संज्ञा और विशेषण के शब्दों से बनी क्रिया को नामधातु क्रिया कहते है। जैसे -ऐंठ से ऐठना।
४.प्रेणार्थक क्रिया- जब वाक्य में कर्ता द्वारा किसी अन्य से कार्य करवाया जा रहा होता तो उस वाक्य की क्रिया को प्रेणार्थक क्रिया कहते है। जैसे-पढ़ना से पढ़वाना।
५.पूर्वकालिक क्रिया-जब कर्ता एक कार्य को समाप्त कर दूसरा कार्य करने लगता है तो पहली वाली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते है। जैसे-वह उठकर पढ़ता है।
इस प्रकार क्रिया से हमे किसी के के करने व होने का बोध होता है। क्रिया का मूल ‘धातु’ है। धातु क्रिया के उस अंश को कहते है जो प्रायः क्रिया के सभी रूपों में पाया जाता है। जिन मूल अक्षरों से क्रिया बनती है वह धातु है जैसे रोना इसमे रो धातु है जो न प्रत्यय के लगने से बनी है।