गैलीलियो गैलिली की जीवनी – Galileo Galilei Biography in Hindi

इस पोस्ट में गैलीलियो गैलिली की जीवनी (Galileo Galilei Biography in Hindi) पर चर्चा करेंगे। गैलीलियो गैलिली एक इतालवी खगोलशास्त्री, भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ थे।

गैलिलियो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने खगोलीय प्रेक्षण, चंद्रमा पर क्रेटरों व पहाड़ों की खोज और बृहस्पति के चार उपग्रहों, प्रायः गैलीली उपग्रहों के रूप में जाना जाता है, के लिए दूरबीन का उपयोग किया था। उन्होंने शुक्र के कलाओं का अवलोकन किया और सौर धब्बों के अध्ययन से सूर्य की घूर्णन गति का पता लगाया।

गैलिलियो ने निष्कर्ष निकाला कि अरस्तु का वैश्विक मानचित्र, जो अपने समय में अभी भी व्यापक रूप से विश्वसनीय था, गलत था। इसके बजाय उन्होंने कॉपरनिकस के ‘सूर्य केंद्रीय सिद्धांत’ का समर्थन किया। यह समर्थन उन्हें कैथोलिक चर्च के साथ संघर्ष में ले आया। उन पर मुकदमा चलाया गया और अपने जीवन के अंतिम आठ साल के लिए उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया।

गैलीलियो गैलिली की जीवनी – Galileo Galilei Biography in Hindi

इस महान विचारक का जन्म आधुनिक इटली के पीसा नामक शहर मे एक संगीतज्ञ परिवार में हुआ था। आधुनिक इटली का शहर पीसा 15 फ़रवरी 1564 केा महान वैज्ञानिक गैलीलियो गैली के जन्म को भी ईश्वर की रचना का दोष मानकर ऐतिहासिक भूल कर बैठा था।

गैलीलियो के द्वारा प्रतिपादित सिंद्वांतो से धार्मिक मान्यताओं का खंडन होता था जिसके लिये गैलीलियो को ईश्वरीय मान्यताओं से छेडछाड करने के लिये सारी उम्र कारावास की सजा सुनायी गयी।

इनके पिता विन्सौन्जो गैलिली (Galileo Galilei Biography in Hindi) उस समय के जाने माने संगीत विशेषज्ञ थे। वे ‘ ल्यूट ’ नामक वाद्य यंत्र बजाते थे, यही ल्यूट नामक यंत्र बाद में गिटार और बैन्जो के रूप में विकसित हुआ।

अपनी संगीत रचना के दौरान विन्सौन्जो गैलिली ने तनी हुयी डोरी या तार के तनाव और उससे निकलने वाले स्वरों का गहनता से अध्ययन किया तथा यह पाया कि डोरी या तार के तनाव और उससे निकलने वाली आवाज में संबंध है।

पिता के द्वारा संगीत के लिये तनी हुयी डोरी या तार से निकलने वाली ध्वनियों के अंतरसंबंधों के परिणामों का वैज्ञानिक अध्ययन उनके पुत्र गैलीलियो द्वारा किया गया। इस अध्ययन को करने के दौरान बालक गैलीलियो के मन में सुग्राहिता पूर्ण प्रयोग करते हुये उनके परिणामो को आत्मसात करने की प्रेरणा प्रदान की।

यूरोप में एक समय था जब रोम और यूनान की सभ्यताएं अपने पतन की ओर अग्रसर थीं। उसके बाद पूरा महाद्वीप अज्ञानता के अन्धकार में छुप गया।

फिर समय ने करवट ली और विज्ञान और तकनीकी प्रगति ने यूरोप को इस अन्धकार से निकालकर रौशनी की ओर मोड़ा। इस रौशनी को पैदा करने में सूर्य की तरह जिस वैज्ञानिक ने योगदान दिया उसे गैलिलियो गैलीली के नाम से जाना जाता है।

गैलीलियो ने भौतिक विज्ञान में गतिकी के समीकरण स्थापित किए। उनका जड़त्व का नियम जगप्रसिद्ध है। उन्होंने पीसा की मीनार के अपने प्रसिद्ध प्रयोग द्वारा सिद्ध किया कि वस्तुओं के गिरने की गति उनके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती। उन्होंने पहली बार सिद्ध किया की निर्वात में प्रक्षेप्य का पथ पर्वलयकार होता है।

गेलिलियो गैलिली (Galileo Galilei Biography in Hindi) के बारे में बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि खगोल विज्ञानी होने के अलावा वो एक कुशल गणितज्ञ, भौतिकविद और दार्शनिक थे जिसने यूरोप की वैज्ञानिक क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

इसलिए गेलिलियो गैलिली को“ आधुनिक खगोल विज्ञानं का जनक” और “आधुनिक भौतिकी का पिता” के रूप में भी सम्बोधित किया जाता है। गेलिलियो गैलिली ने दर्शन शाश्त्र का भी गहन अध्ययन किया था, साथ ही वो धार्मिक प्रुवृति के भी थे।

पर वो अपने प्रयोगों के परिणामो को कैसे नकार सकते थे, जो पुरानी मान्यताओ के विरुद्ध जाते थे और वो इनकी पुरी इमानदारी से व्याख्या करते थे। उनकी चर्च के प्रति निष्ठा के बावजूद उनका ज्ञान और विवेक उन्हें किसी भी पुरानी अवधारणा को बिना प्रयोग और गणित के तराजू में तोले जाने से रोकता था। चर्च ने इसे अपनी अवज्ञा समझा। जिसे हम आपेक्षिकता का सिद्धांत कहते है, उसकी नीव भी गेलिलियो गैलिली ने ही डाली थी।

उन्होंने कहा था “भौतिकी के नियम वही रहते है, चाहे कोई पिंड स्थिर हो या समान वेग में एक सरल रेखा में गतिमान। कोई भी अवस्था ना परम स्थिर या परम चल अवस्था हो सकती है”। इसी ने बाद में न्यूटन के नियमो को आधारभूत ढांचा दिया था। गैलीलियो की चित्रकला मे भी रूचि थी और उसमे भी उन्होने शिक्षा ग्रहण की।

1588 मे उन्होने अकेडीमिया डेल्ले आर्टी डेल डिसेग्नो फ्लोरेन्स मे शिक्षक के रूप मे कार्य प्रारंभ किया। 1589 मे वे पिसा मे गणित व्याख्याता के रूप मे कार्य शुरू किया।

1592 से उन्होने पौडा विश्वविद्यालय मे ज्यामिति, यांत्रिकि और खगोलशास्त्र पढाना प्रारंभ किया। इस पद पर वे 1610 तक रहे। इस पद पर रहते हुये उन्होने मूलभूत विज्ञान (गतिविज्ञान, खगोल विज्ञान) तथा प्रायोगिक विज्ञान (पदार्थ की मजबूती, उन्न्त दूरबीन इत्यादि) पर कार्य किया।

उनकी एकाधिक अभिरूचियो मे ज्योतिष भी था जो उस समय गणित और खगोल विज्ञान से जुड़ा हुआ था। गैलीलियो को सूक्ष्म गणितीय विश्लेषण करने का कौशल संभवत: अपने पिता विन्सैन्जो गैलिली (Galileo Galilei Biography in Hindi) से विरासत में आनुवांशिक रूप में तथा कुछ उनकी कार्यशैली को करीब से देख कर मिला होगा। विन्सैन्जो एक जाने-माने संगीत विशेषज्ञ थे और ‘ल्यूट’ नामक वाद्य यंत्र बजाते थे जिसने बाद में गिटार और बैन्जो का रूप ले लिया।

उन्होंने भौतिकी में पहली बार ऐसे प्रयोग किए जिनसे ”अरैखिक संबंध(Non-Linear Relation)” का प्रतिपादन हुआ। तब यह ज्ञात था कि किसी वाद्य यंत्र की तनी हुई डोर (या तार) के तनाव और उससे निकलने वाली आवृत्ति में एक संबंध होता है,

आवृत्ति तनाव के वर्ग के समानुपाती होती है। इस तरह संगीत के सिद्धांत में गणित की थोड़ी बहुत पैठ थी। प्रेरित हो गैलीलियो ने पिता के कार्य को आगे बढ़ाया और फिर उन्होंने बाद में पाया कि प्रकृति के नियम गणित के समीकरण होते हैं।

प्रकाश की गति नापने का सबसे पहले प्रयास गैलीलियो ने ही किया। गैलीलियो व उनका एक सहायक अँधेरी रात में कुछ मील की दूरी पर खड़े अलग-अलग पहाड़ों की चोटी पर कपाट लगी लालटेन लेकर चढ़ गए।

उन्होंने अपने सहायक को निर्देश दिया कि जैसे ही उसे गैलीलियो की लालटेन का प्रकाश दिखे उसे अपनी लालटेन का कपाट खोल देना था। गैलीलियो को अपनी लालटेन के कपाट खोलने व सहायक की लालटेन का प्रकाश दिखने के बीच का समय अंतराल मापना था। पहाड़ों के बीच की दूरी उन्हें ज्ञात ही थी। इस तरह उन्होंने प्रकाश की गति ज्ञात की।

गैलीलियो ने अपने इस प्रायोगिक निष्कर्ष को दुहराने का निश्चय किया। इस बार उन्होंने पहली से कहीं ज्यादा दुरी पर स्थित दो पहाड़ियों का चयन किया।

उन्होंने फिर से उसी पुरानी लालटेन की प्रक्रिया को दुहराया और इस बार भी समय अंतराल पहले जितना ही आया। इससे उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि प्रकाश की गति उनके सहायक की प्रतिक्रिया के समय से बहुत कम है और प्रकाश का सही वेग नापना उनकी इस युक्ति से संभव नहीं है।

गैलीलियो ने पैराबोला का अध्ययन करते हुए यह नतीजा निकाला यदि वातावरण में friction को शुन्य मान लिया जाए और कोई पिंड एक समान त्वरण (uniform acceleration) से फेंका जाए तो वह एक परवलयाकार मार्ग पर चल कर वापस पृथ्वी पर आ गिरेगा।

लेकिन वातावरण में मौजूद friction और उस समय तक के कुछ अज्ञात बलों की उपस्थिति के कारण वो अपने इस सिद्धांत की सही गणितीय व्याख्या नहीं कर पा रहे थे और इस बात की जानकारी उन्हें थी इसलिए उन्होंने यह भी कहा कि उनका यह सिद्धांत जरूरी नहीं कि किसी ग्रह जैसे पिंड पर भी लागू हो।

गेलिलियो गैलिली ने आज से बहुत पहले गणित, सैधांतिक भौतिकी और प्रायोगिक भौतिकी में परस्पर संबध को समझ लिया था। परावलय या पैराबोला का अध्ययन करते हुए वो इस निष्कर्ष पर पहुचे थे कि एक समान त्वरण की अवस्था में पृथ्वी पर फेंका कोई पिंड एक परवलयाकार मार्ग में चलकर वापस पृथ्वी पर गिरेगा, बशर्ते हवा में घर्षण का बल अपेक्ष्नीय हो। सन 1608-9 में गेलिलियो गैलिली (Galileo Galilei Biography in Hindi) को दूरबीन के बारे में पता चला जिसका हॉलैंड में अविष्कार हो चुका था।

केवल उसका विवरण सुनकर उन्होंने उससे भी कही अधिक परिष्कृत और शक्तिशाली दूरबीन स्वयं बना ली। जिसका सार्वजनिक प्रदर्शन उन्होने 25 अगस्त 1609 को किया था। फिर शुरू हुआ खगोलीय खोजो का एक अदभुद अध्याय।

गेलिलियो ने अपनी एक पुस्तक में लिखा जब इस दूरदर्शी (टेलिस्कोप) के निर्माण की खबर वेनिस पहुंची तो मुझे राजा सिग्नोरिया ने बुलावा भेजा, मैंने यह यंत्र दिखाकर सारे राज दरबार को चकित कर दिया।

बहुत से कुलीन व्यक्ति इस यंत्र को लेकर वेनिस के गिरजाघर की सबसे ऊंची मीनार पर चढ़ गए और उन्होंने बालदार जहाजों को देखा। इस यंत्र के कारण जहाज वास्तविक दूरी से 10 गुनी समीप दिखते थे। उन्होंने बृहस्पति के उपग्रहों का पता लगाया और सिद्ध किया कि आकाशगंगा बहुत से तारों से मिलकर बनी है।

गैलीलियो ने लगभग 200 टेलिस्कोप बनाये और उन्हें विभिन्न शिक्षण संस्थाओं को खगोलीय प्रेक्षणों (astronomical observations) के लिए दान कर दिया।

उन्होंने इटली की ही भाषा में अपनी किताब लिखी ताकि आम आदमी भी उसे पढ़ सके। गैलीलियो ने चर्च के विचारों का खंडन किया था, इसलिए उन्हें न्यायिक जाँच और कई अन्य यातनाओं का सामना करना पड़ा। गैलीलियो वैज्ञानिक सोच के एक महान प्रतिपादक थे।

सही मायनों में गैलीलियो को आधुनिक विज्ञानं का पिता कहा जा सकता है। गैलीलियो टेलिस्कोप (telescope) के अपने अविष्कार के कारण दुनिया में प्रसिद्द हुए। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने वृहस्पति (Jupiter) ग्रह के 4 चंद्रमाओं का पता लगाया। साथ ही सबसे पहले सूर्य के धब्बों और शुक्र ग्रह की कलाओं (Phases of Venus) को देखा। अपने परीक्षणों के दौराण उन्होंने यह निष्कर्ष निकला की सभी ग्रह, सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

प्रश्न और उत्तर

गैलीलियो क्यों प्रसिद्ध है?

गैलीलियो गैलीली एक इतालवी वैज्ञानिक और खगोल विज्ञानी थे जो बृहस्पति के चंद्रमाओं के अपने अवलोकन के लिए सबसे प्रसिद्ध थे, जो कोपर्निकियन सूर्यकेंद्रित (सूर्य-केन्द्रित) मॉडल के लिए समर्थन प्रदान करते थे और जिस तरह से हम अपने ब्रह्मांड की संरचना के बारे में सोचते हैं.

गैलीलियो का सिद्धांत क्या है?

महान वैज्ञानिक गैलीलियो को अपनी खोजों के आधार पर पूर्ण विश्वास हो गया था कि ब्रह्मांड का केंद्र सूर्य है और पृथ्वी तथा अन्य ग्रह उसकी परिक्रमा कर रहे हैं। गैलीलियो का यह सिद्धांत उन दिनों धर्मग्रंथों में प्रचलित विचारधारा के विरुद्ध था। उन दिनों पृथ्वी को स्थिर और सूर्य को उसकी परिक्रमा करते हुए बताया जाता था।

गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार कब किया था?

गैलीलियो ने 1609 में लिप्से के काम के बारे में सुनने के बाद खगोलीय उद्देश्यों के लिए एक टेलीस्कोप का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने लिप्से के डिजाइन में सुधार किया और 1610 में अपनी नई दूरबीन का उपयोग करते हुए, उन्होंने बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं (Io, गैनीमेड, कैलिस्टो और यूरोपा) की खोज की।

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