इस पोस्ट में बुद्धिमत्ता या बुद्धिमानी पर निबंध (Essay on Wisdom in Hindi) पर चर्चा करेंगे। हम सभी को ईश्वर द्वारा सामान रूप से बनाया गया हैं। मनुष्य ईश्वर द्वारा बनाया गया एक अनोखा प्राणी है। केवल मनुष्यों को ही सोचने समझने की शक्ति प्रदान की गई हैं।
हम सभी को सामान रूप से बुध्दि प्रदान की गई है, पर उनमें से कोई बहुत बुद्धिमान तो कुछ एक आम व्यक्ति के रूप में होते है। जिस व्यक्ति में सोचने, सीखने और अपनी ज्ञान या बुद्धि का सही समय पर उपयोग करने की क्षमता होती है, हम उसे बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में जानते है।
उदहारण 1. बुद्धिमत्ता या बुद्धिमानी पर निबंध – Essay on Wisdom in Hindi
सभी मनुष्यों में सामान्य रूप से एक ही प्रकार से बुद्धि निहित होती हैं। अपनी बुद्धि या बुद्धिमानी के द्वारा ही वो अपने जीवन की विभिन्न परिस्थितियों को समझता है और उसी के अनुसार अपने जीवन को आगे की ओर बढ़ाता है। इसी के द्वारा हम अपने जीवन की समस्याओं, परेशानियों व अन्य प्रकार के कष्टों से निजात पाते हैं। यह हमें जन्मजात प्राप्त होती हैं, परन्तु यह किसी-किसी में जन्म से ही अत्यधिक होती है, जिसे भगवान की भेट के रूप में जाना जाता है।
बुद्धिमानी/बुद्धि क्या है?
किसी भी व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता ही बुद्धिमानी कहलाती है। जो व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के माध्यम से सीखने, समझने, तर्क, और उसे अपने व्यावहारिक जीवन में उपयोग करने की क्षमता ही बुद्धिमानी या बुद्धि कहलाती है। यह बुद्धिमानी या चातुर्य किसी-किसी में जन्मजात होती है, तो किसी में अपने आस-पास के परिस्थितियों के अनुभव से प्राप्त होती है।
बुद्धि या बुद्धिमत्ता की विशेषताएं
हम सभी में जन्म से ही सीखने की योग्यता निहित होती हैं जिसे हम बुध्दि कहते है। अपनी इस बुध्दि और प्राप्त किए ज्ञान को कब, कहां, और किस तरह से इसका उपयोग करते है, उसे हम बुद्धिमत्ता कहते है। यह एक तर्क, मनन, चिंतन और निर्णय लेने की एक प्रक्रिया है जो की हम अपने आस-पास की परिस्थितियों से सिखते और उसका उपयोग करते है।
जन्म से ही हमारे अंदर बुद्धि का विकास लगातार रूप से होता रहता हैं और यह जीवन पर्यन्त रहता है। बचपन में हम सामान्य चीजों को सिखते हैं। जैसे-जैसे हम बड़े होते है हमारे सीखने की क्षमता और अधिक हो जाती है।
इसे हम उदग्र बुद्धि के रूप में जानते है, यह 8 से 12 वर्षों तक रहती है। इसके उपरांत हमरी बौद्धिक क्षमता क्षैतिज रूप से उम्र भर बढ़ती रहती हैं। अर्थात हमारा शारीरिक विकास तो रुक जाता हैं पर हम अपने अनुभवों और कौशल शक्ति के द्वारा अपनी बुद्धिमत्ता को बढ़ा सकते है।
बुद्धि या बुद्धिमत्ता को हम केवल किताबों के माधयम से ही हासिल नहीं करते, बल्कि ये हमारी ज्ञान, तर्क क्षमता, पारिस्थितिक विश्लेषण, और उसके उपयोग से भी इसकी वृद्धि होती है। हम यह कह सकते है कि अपने अनुभवों और अपनी कौशलताओं के साथ हम अपने बुद्धिमत्ता को और अधिक बढ़ा सकते हैं। यही अनुभव और ज्ञान हमें जीवन की विपरीत परिस्थितियों में सफलता प्राप्त करने में हमारी मदद करती हैं।
बुद्धिमत्ता का उपयोग
जन्म से ही हमारे बुद्धि का विकास होना शुरू हो जाता हैं। छोटी उम्र में हमें बुद्धि या बुद्धिमत्ता हमारे माता-पिता और शिक्षकों के द्वारा इसे परिपक्व बनाया जाता है। वो अपने अनुभवों के आधार पर हमें सारी चीजें सिखाते है, और इसी ज्ञान के आधार पर हम अपने जीवन में आगे बढ़ते है।
जैसे-जैसे हमारे उम्र का विकास होता है, हमारी बुद्धिमत्ता और बुद्धि में अनुभव के साथ विकास शामिल होता जाता हैं। बढ़ती उम्र के साथ हमारे सोचने, समझने, कल्पना और अपने ज्ञान का सही जगह उपयोग ही हमारी बुद्धिमत्ता को दर्शाती हैं।
कुछ ज्ञान हमें किताबों से तो कुछ हमारी जिंदगी में अपनी अनुभव और कौशलता से प्राप्त होती हैं। बढ़ती उम्र के साथ ही हमारी बुद्धि और ज्ञान दोनों का विकास होता हैं, और हम अपने अनुभव के आधार पर जीवन के विभिन्न परिस्थितियों में इसका उपयोग करते हैं।
निष्कर्ष
जीवन के विकट परिस्थितियों में हम अपने ज्ञान और अनुभव के उपयोग से अपनी बुद्धि के द्वारा बहुत ही समझदारी के साथ अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग करते है। किसी भी विकट परिस्थिति में हमें अपने ज्ञान, सोच, चातुर्य, इत्यादि के इस्तेमाल की आवश्यकता है, ताकि हम उस विकट परिस्थिति से आसानी के साथ निकल सके और हमें कोई हानी भी न हो।
उदहारण 2. बुद्धिमत्ता या बुद्धिमानी पर निबंध – Essay on Wisdom in Hindi
हम सभी अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपनी सोच-समझ का उपयोग करते हैं। बुद्धिमान व्यक्ति अपनी सोच, तर्क, और विचार कर उस संकट को बहुत ही सफलता के साथ उसका हल निकाल लेता है। व्यक्ति अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग अपने जीवन में किस प्रकार से करता है, मैंने यहां उसे निचे विस्तृत किया है।
बुद्धिमत्ता के प्रकार
ज्ञान और अनुभव की क्षमता के आधार पर बुद्धिमत्ता को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है-
ज्ञान संबंधी बुद्धिमत्ता: कुछ लोग ऐसे होते है जिनके पास सभी विषयों और क्षेत्रों की जानकारी होती है। इस प्रकार के व्यक्ति ज्ञानी कहलाती है। जैसे – पंडित, संत, इत्यादि।
स्थान संबंधी बुद्धिमत्ता: हममें से ऐसे बहुत से लोग है जिन्हें अपने क्षत्रो या कई स्थानों के बारे में पूर्ण जानकारी होती है। जैसे – गाईड।
याद संबंधी बुद्धिमत्ता: कुछ व्यक्तियों की स्मरण शक्ति बहुत ही तेज होती है, वो किसी भी चीज को जल्दी भूलते नहीं है। अतीत में हुई घटनाएं उनके दिमाग में हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाती है।
तर्क-वितर्क संबंधी बुद्धिमत्ता: तर्क-वितर्क करने की क्षमता हर किसी में नहीं होती है। इस प्रकार के व्यक्ति हर पहलुओं की जानकारी रखते है।
मौखिक भाषण या उपदेश संबंधी बुद्धिमत्ता: दुनिया में ऐसे कई व्यक्ति है जो अपनी आवाज या बोलने की क्षमता से लोगों को प्रभावित करते है। ऐसे व्यक्ति अपनी भाषण के द्वारा अपनी बुद्धिमत्ता को प्रदर्शित करते है।
संगीत संबंधी बुद्धिमत्ता: कुछ को संगीत की अच्छी जानकारी होती है और वे अपने अनुभव और कौशलता के साथ संगीत में बुद्धिमत्ता हासिल करते है।
बुद्धिमत्ता को हम विभिन्न पहलुओं के आधार पर भी वर्गीकृत कर सकते है।
- वास्तविक बुद्धिमत्ता
- काल्पनिक या तार्किक बुद्धिमत्ता
- सामाजिक बुद्धिमत्ता
- वास्तविक बुद्धिमत्ता
हम सभी शारीरिक गुणों के साथ-साथ मानसिक गुणों से भी एक दूसरों से भिन्न होते हैं। सभी की बौद्धिक क्षमता एक सी नहीं होती है। हममें से कुछ की बौद्धिक क्षमता तेज या प्रखर होती है तो कुछ की सामान्य तो कुछ की कमजोर होती है। ये भिन्नताएं जन्मजात होती है।
वास्तविक बुद्धिमत्ता से हमारा तात्पर्य है कि व्यक्ति जन्म से ही प्रखर बुद्धि के साथ पैदा होता है। उसकी बौद्धिक क्षमता हर क्षेत्र में तेज होती है। वास्तविक रूप में यह अनुवांशिक होती है जो की जन्म के साथ ही उसे मिलती है। उसमें सीखने, समझने, सोचने की क्षमता बहुत ही तेज होती है। यह सब ज्ञान उसे किताबों, गुरुओं और अपने अनुभव से प्राप्त होती है। यह उस व्यक्ति की सामान्य बौद्धिक क्षमता को दर्शाता है।
कोई व्यक्ति कितना बुद्धिमान है यह उसकी मानसिकता और उसकी आयु पर निर्भर करता है। इसके आधार पर ही हम उस व्यक्ति की वास्तविक बुद्धिमत्ता का पता लगा सकते है। वास्तविक बुद्धिमत्ता वस्तुओं को देखकर उसका सही अनुमान लगाने को कहते है। इस प्रकार की बुद्धिमत्ता इंजिनियर, किसान, मिस्त्री इत्यादि में निहित होती है।
तार्किक बुद्धिमत्ता
तार्किक बुद्धिमत्ता से हमारा तात्पर्य है, किसी वास्तु के बारे में चिंतन या कल्पना करना है। इस प्रकार के बुद्धिजीवी वैज्ञानिक, डॉक्टर, गणितज्ञ इत्यादि होते है।
सामाजिक बुद्धिमत्ता
यह व्यक्ति को समाज से जोड़ता है। इस बुद्धिमत्ता के द्वारा व्यक्ति सामाजिक परिवेश को अच्छी तरह से समझाता है और सामाजिक जटिलता को दूर करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहता है। ऐसे व्यक्ति समाज के प्रति उनकी अच्छी जानकारी और हर प्रकार की समस्या से लड़ने का साहस रखते है। जैसे- सामाजिक कार्यकर्त्ता, व्यापारी, नेता इत्यादि सामाजिक बुद्धिमत्ता वाले व्यक्ति होते है।
बुद्धिमत्ता – जीवन में किस प्रकार मिलती है?
हर व्यक्ति समान रूप से एक जैसा होता है, पर शारीरिक बनावट और बुद्धिमत्ता से वो एक-दूसरे से भिन्न होते है। जन्म से ही कुछ की बौद्धिक क्षमता बहुत तेज होती है, वो किसी भी चीज को बहुत ही आसानी और तेजी से सिखते है जबकि सामान्य व्यक्ति ऐसा नहीं कर पाता है।
बुद्धिमान व्यक्ति में सीखने, समझने और सोचने की एक अद्भुत शक्ति होती है। किसी भी वस्तु के बारे में पूछे गए सवालों को वह बड़ी आसानी से उसका हल देता है।
जीवन में आयी विकट परिस्थितियों से वह आसानी के साथ निकल जाता है और उसे हल करता है, चाहे वह स्थिति व्यक्तिगत हो या सामाजिक हो। उसके अंदर सोचने, समझने और उसका हल निकालने की एक अद्भुत कला होती है। जो की वह अपने उम्र के साथ किताबों, परिस्थितियों और समाज से सिखता है। किताबों के माध्यम से वह ज्ञान अर्जित करता है और उसे अपने बुद्धि के द्वारा जीवन में सोच-समझ कर उपयोग में लाता है।
कुछ ज्ञान उसे सामाजिक अनुभव से प्राप्त तो कुछ दूसरों के अनुभव से वो देखकर उसे अर्जित करता है। व्यक्ति अपने अनुभव का भी इस्तेमाल अपने बुद्धिमत्ता को बढ़ाने में करता है। इसलिए कहा जाता है कि एक अनुभवी व्यक्ति ही बुद्धिमान होता है, और यह बात सच भी है। क्योंकि उसने अपनी जिंदगी की परिस्थितियों से वो सब सिखता है और अपनी समस्याओं का हल निकालता है।
बुद्धिमत्ता को हम किस प्रकार बढ़ा सकते है?
किसी भी सामान्य व्यक्ति को अपनी बुद्धिमत्ता को बढ़ने के लिए अधिक से अधिक विषयों या क्षेत्रों का ज्ञान प्राप्त करके बढ़ा सकता है, और यह ज्ञान उसे किताबों, अपने तार्किक अनुभव, और वास्तविक अनुभवों से प्राप्त कर सकता है। किताबों के माधयम से मिले ज्ञान को अपने परिस्थितियों से निपटने में मदद करेगा। यह वास्तविक अनुभव उसकी अपनी होगी जिससे की उसकी बुद्धि शक्ति और अधिक होगी।
अपने बड़ों या गुरुओं द्वारा दिए गये विचारों को अपनाकर वो अपनी समस्या हल कर सकता है। इससे उसे अनुभव और परिस्थितियों से निपटने में आसानी होगी। उनकी बताई गयी बातों को अपने तर्क क्षमता के आधार पर अपनाने की आवश्यकता है, और यह पूर्णतया सफल साबित होगी। इससे व्यक्ति का अनुभव और अधिक मजबूत होगा।
समाज में फैली अनेक समस्याओं को व्यक्ति अपनी सोच समझ और बुद्धि के इस्तेमाल से उस समस्या का हल निकाल सकता है। इस प्रकार से उसे सामाजिक बुद्धिमत्ता की प्राप्ति होगी।
व्यक्ति अपनी बुद्धि और तर्क क्षमताओं के माध्यम से किसी भी समस्या का हल निकाल सकता है। इस प्रकार उसे अनुभव के साथ-साथ परिस्थितियों से लड़ने में सहायता मिलेगी और व्यक्ति और अधिक बुद्दिमान होगा। कुछ परिस्थितियां उसकी व्यक्तिगत होती है जिसका की हल वो खुद के ज्ञान और अनुभव से कर सकता है। इस प्रकार से वो अपनी वास्तविक बुद्धिमत्ता को और अधिक बढ़ा सकता है।
क्या बुद्धिमत्ता हमारे जीवन के लिए आवश्यक है?
इस आधुनिक युग में हज़ारों प्रकार की समस्याएं हैं, और यह सभी समस्याएं मानवी जीवन को बहुत ही प्रभावित करती है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए व्यक्ति को अपनी बुध्दि, विवेक और अनुभव का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। समस्या छोटी हो या बड़ी यह जीवन को प्रभावित करती है। इस समस्याओं से निपटने के लिए बुद्धिमत्ता बहुत ही आवश्यक है।
मान लीजिए की आपने अपनी परीक्षा की तैयारी पूरी तरह से नहीं कर पाए है और आपकी परीक्षा नजदीक आ गयी है। ऐसे में आपको लगता है कि आप उस अपनी परीक्षा में सफल नहीं हो पाएंगे और इस वजह से आप अवसाद में चले जायेंगे।
पर एक बुद्धिमान छात्र ऐसी बात से नहीं घबरायेगा और वो अपना पूर्ण प्रयास करेगा। वो अपनी कक्षाओं में पढ़ाये गए विषयों को दोहरायेगा और अपने दिमाग में पढ़ाई गयी बातों को बार-बार दोहरायेगा। बचे हुए समय में उससे जितना भी हो सकेगा वह अपने विषयों की तैयारी करेगा।
अंत में वह सकारात्मकता के साथ अपनी परीक्षा देगा और वो उसमें अवश्य ही सफल होगा। इस तरह से उस छात्र ने अपनी ज्ञान, विवेक, सोच और अपने अनुभव का इस्तेमाल किया, जो की हर किसी के जीवन में आवश्यक है।
अतः हम कह सकते है कि बुद्धिमत्ता हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है। अपनी बुद्धिमत्ता, ज्ञान और अपने विवेक के द्वारा हम अपने जीवन की समस्याओं को बड़ी सहजता से हल कर सकते है। बढ़ती उम्र और अनुभव से हमारी बुद्धिमत्ता और भी अधिक होगी और इससे हम औरों की सहायता भी कर सकते है, और हम समाज के उत्थान में अपना सहयोग दे सकते है।
निष्कर्ष
इस वैज्ञानिक युग में जीवन को सफल और सरल बनाने के लिए स्वयं की बुद्धिमत्ता बहुत ही आवश्यक है। यह हमें अपने जीवन में आयी विकट परिस्थितियों से निजात दिलाने में मदद करती हैं। ज्ञान, बुद्धि, कौशल, तर्क, अनुभव से ही हमारी बुद्धिमत्ता बढ़ती हैं।
व्यक्ति अपने ज्ञान और अनुभव से उम्र के साथ अपनी बुद्धिमत्ता में परिपक्व होता है। इससे उसे अपने जीवन और सामाजिक समस्याओं को आसानी से हल करने में सहायता मिलती है।
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