राष्ट्रीय ध्वज पर निबन्ध – Essay On Tiranga Jhanda in Hindi

राष्ट्रीय ध्वज हर राष्ट का हर देश का गौरव माना जाता है । सभी देशों का  ध्वज उसकी स्वतंत्रता  का प्रतिक माना जाता है , परन्तु हमारा राष्ट्रीय ध्वज पूरे भारत का गौरव  है ।

राष्ट्रीय ध्वज पर निबन्ध – Long and Short Essay On Tiranga Jhanda In Hindi

15 अगस्त  1947  को जब भारत को स्वतत्रता मिली थीं तभी से लेकर आज तक  प्रत्येक राष्टीय  महोत्सव पर राष्ट्रीय ध्वज  फहरा कर हम भारत वासी अपनी स्वतंत्रता की  अनुभति प्राप्त करते हैं ,  तीन रंगों के  समावेश से इसकी ध्वज की परिकल्पना की गई थी , और इन तीनों रंगो का अपना  अपना महत्व है ।

पहला रंग। नारंगी है ,  नारंगी  बलीदान और सहाश का प्रतिक  माना जाता है, हमारे भारत के कई वीरो के बलिदान और साहस की देन इस तिरंगे में  नरांगी रंग का  प्रतिक है  , इसे तरह इस  तिरंगे का दूसरा रंग सफ़ेद है , सफ़ेद  शान्ति  तथा एकता का प्रतीक है , जिस तरह हमारे  वीरो ने  शांति और एकता से  मिल कर भारत को विजय प्राप्त  कारवाई  उसका प्रतिक हमारे  तिरंगे में सफ़ेद रंग  है , ठीक इसे तरह  इस  तिरंगे का अंतिम रंग हरा है जो इस  तिरंगे को   सुशभित करता है ,यह खुशहाली  और हरियाली तथा गौरव  प्रतीक है , जो यह बताता है कि हमारे देश के  प्रतेक व्यक्ति को  देश के सम्मान और उसके राष्ट हित के प्रति  देश सेवा और और देश के प्रति जागरूक रहना चाहिए जिससे हमारे देश में एकता  , शान्ति , खुशहाली बनी रहे , हमारे इस तिरंगे को पुर्ण करने वाला   चक्र होता  है, जो  राष्टीय ध्वज के मध्य में स्थित होता है , यह  24  तीलियों से जोड़े हुए नीले आकार का  होता है ,ये भारत के सम्राट आशोक के स्तम्भ का प्रतीक है ,

जो सारनाथ में अशोक स्तंभ पर ये प्रकाशित भी है , हमारे राष्ट का गौरव और राष्ट को एक पहचान हमारे राष्ट्रीय तिरंगे द्वारा मिली है ,जब भी किसी देश , प्रांत , या किसी  विशेष कार्यक्रम में हमारा राष्ट्रीय ध्वज देखा या फहराया जाता है , तो वहां  मौजूद प्रतेयक व्यक्ति के मन में जो राष्टीय भाव तथा राष्ट के प्रति सम्मान की भावना देखने को मिलती हैं ,वो  हमारे राष्ट तथा हमारे भारत वासी के लिए सबसे गौरवशाली  पल होता है.

प्रस्तावना

सभी राष्ट का अपना ध्वज होता है , उसे प्रकार राष्टीय ध्वज भारतीय होने का प्रतिक हमारा तिरंगा भी है ,  यह सिर्फ भारतिय होने का नहीं तथा हमारे भारत की स्वतंत्रता का भी प्रतीक है ।

राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना

राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना २२ जुलाई १९४७ को  पिंगली वेक्कया नन्द  जी द्वारा कि गई थी , भारत स्वतंत्र होने के कुछ दिन पहले ही ,इसकी अभिकल्पना हुई थी , तथा भारत  स्वतंत्रता के बाद १५ अगस्त १९५७ को  भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जाहरलाल नेहरू जी  द्वारा  राष्ट्रीय ध्वज को लाल किले पर फहराया गया था , उसी प्रकार २६ जनवरी १९५० को हमारे  भारत का संविधान बनाया गया था , हमारे संविधान को भी राष्टीय गौरव प्रदान करने के लिए राष्टीय ध्वज फहराया गया जिस दिन संविधान की गणना की गई थी , उस दिन से अब तक  हर २६ जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर पूरे देश में संविधान दिवस मनाया जाता हैं, ठीक इसे प्रकार हर १५ अगस्त को पूरे देश में राष्टीय ध्वज फहरा कर देश वासी भारत भर में स्वतंत्रता दिवस मनाते है ।

राष्ट्रीय ध्वज की बनावट

हमारे राष्टीय ध्वज की बनावट तीन रंगों  द्वारा  कि गई है । तथा इसके मध्य भाग में एक नीले चक्र से इसे सुशोभित किया गया है , उस तीनों रंगो का अपना एक विशेष महत्व है ,  आइए जानते है राष्टीय ध्वज में  उन तीन रंगों के महत्त्व

राष्टीय ध्वज के तीन रंग

  • पहला  :  नारंगी
  • दूसरा :   सफ़ेद
  • तीसरा :  हरा
  • मध्य   : नीला २४ तीलियों से युक्त चक्र

नारंगी: हमारे राष्टीय ध्वज मे पहला रंग नारंगी है , यह रंग बलिदान तथा त्याग का प्रीतक माना जाता है l

सफ़ेद: राष्टीय ध्वज का दूसरा रंग सफ़ेद है यह शांति और एकता का प्रतीक है ।

हरा: राष्टीय ध्वज का  तीसरा और अंतिम रंग हरा है , हरा रंग खुशहाली था समृद्धि का प्रीति है ।

राष्ट्रीय ध्वज के मध्य में अंकित चक्र :

हमारा राष्टीय ध्वज के मध्य में को चक्र अंकित है वह २४ तीलियों द्वारा बनाया गया है , जो हमारे राष्ट के गौरव का प्रतीक है । यह चक्र हमारा भारत के महान सम्राट अशोक के स्तंभ पर भी देखने को मिलता है, वाराणसी के सारनाथ नामक स्थल पर अशोक चक्र पर ये चिन्ह् बना है ।