कलम तलवार से ताकतवर होता है पर निबंध – Kalam Ki Takat Essay in Hindi

मत करो अत्याचार ,

क्या बड़ी है शब्दों से तलवार।

मन के भीतर जलाती है शोले ,

इसी के कारण होली के दिन रक्त से खेले।

कलम है वो तलवार ,

जो करती है बेड़ा पार ,

और करती है सपने साकार।

कमल तलवार से ताकतवर होती है – Essay on The Pen is Mightier Than Sword in Hindi

कलम तलवार से ज्यादा ताकतवार होती है यह कथन बिल्कुल सत्य है क्योंकि जो कार्य कलम कर सकती है वह तलवार नहीं।  कहते है  काम बिना शास्त्र उठाये हो सकता है तो कलम ही आपका साथ देती है।

कलम का आकार भले ही अत्यंत छोटा है पर वो कार्य कर सकती है जो तलवार भी नहीं कर सकती। एक तलवार या शास्त्र हमेशा हिंसात्मक वातावरण का निर्माण करते है।  परन्तु वही दूसरी जगह कलम एक अहिंसात्मक रूप से अपनी  बात को सपष्ट भी करती है और किसी भी प्रकार की हिंसा को भी नहीं फैलाती।

प्रेस का महत्व

जब भी कहीं अत्याचार , दुराचार या कुछ भी गलत होता है जो समाज में हिंसात्मक घटनाओं को बढ़ावा देता है तब एक मात्र प्रेस ही साधन है जो लोगों को वास्तविकता से अवगत करा सकती है और उन्हें इस बात के लिए मना सकती है कि इस प्रकार हिंसात्मक क्रियाएँ करने से शांति का माहौल या वातावरण नहीं स्थापित किया जा सकता और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए हमें सभी को मिलजुल कर कदम उठाने होंगे और एक-दूसरे का साथ देकर ही हम एक स्वच्छ और रहने-योग्य वातावरण स्थापित कर सकते हैं।

कहते है शस्त्रों के बल पर आप इंसान को झुका सकते है , उसके दिल को नहीं

यदि दिल को झुकाना चाहते हो तो अस्त्रों का प्रयोग करो शस्त्रों का नहीं

महापुरुषों से प्रेरणा

महात्मा गाँधी जी भी हिंसात्मक घटनाओं के हमेशा खिलाफ थे , वे अंग्रेजो को भारत से निकलना चाहते थे परन्तु  केवल अहिसमक तरीके से। और उन्हें अपने इस कार्य में सफलता भी मिली।

इसी प्रकार अनेक महापुरुषो ने भी कलम की शक्ति को सर्वोत्तम माना है। कलम में जो शक्ति है वो किसी हथियार , बम , या किसी भी प्रकार के शस्त्र में विधमान नहीं है। कलम के प्रयोग ने ही अनेक कवियों व्यास , वाल्मीकि , कालिदास , तुलसीदास जैसे कवियों का जीवन इस संसार में अमर कर दिया और उनका नाम विश्व के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किया।

वीरों के कुर्बानी

हमारे वीर शहीदों की  कुर्बानी हमें कलम ने ही याद दिलाई है।  अगर कोई कवी कलम उठाकर  उनके दिए गए त्याग का वर्णन नही करता तो हमें कभी भी अपने वीरों का समपर्ण कभी ज्ञात नहीं होता।  उन वीरो की कुर्बानी के जय-जयकार कलम ही कर सकते है।  एक पर्सिद कवी ने क्या खूब लिखा है

जला अस्थियां बारी-बारी ,

चटकाई जिनमें चिंगारी

जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर

बिन गर्दन का मोल

कलम आज उनकी जय बोल

वर्तमान स्थिति

वर्तमान समय में आज के राजनितज्ञ और नेता गण अपने लोभो में इतने अधिक लिप्त है की उन्हें देश या देश के लोगो से कोई लगाव नहीं।  आज पुराने समय की तह फिर से एक बार कलम के शक्ति ही नेताओं और राजनीतिज्ञों को सही मार्ग पर ला सकती है।  मेरे देश में भली ही प्रजातंत्र है परन्तु इस प्रजातंत्र ने कुछ लालची नेताओं ने अपनी जागीर बना लिया है।

आज समय है की युवा वर्ग आगे बढ़कर ऐसे नेताओं को कलम या प्रेस के शक्ति से उन्हें उनके कर्तव्य का अहसास कराये और समाज में एक शांतिपूर्ण वातावरण को कायम करे।  आज के नेताओं के बारे में कहना पड़ेगा

मेरे देश में प्रजातंत्र ,

पर नेता सब सोये हैं ,

और व्यसनों में खोये है

जब देश का नेता ऐसा हो

तो देश कैसे उद्धार करे

प्रेस भी बिकने को तैयार है

निंद्रा में सोया ये संसार है

आज समाचार पात्र भी वही छापते  है जो उनसे कहा जाता है।  ऐसा लगता है मानों जैसे इस संसार में नैतिकता का महत्व ही ख़तम हो गया हो।  आज समाचार पत्र या प्रेसकर्ता अथवा पत्रकार चंद पैसो के लिए झूठ को सच और सच को झूठ साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।  उनके अनुसार किया गया इस प्रकार का घृणात्मक कार्य आम जनता को भटकाता है और आम जनता का प्रेस से विश्वास उठ जाता है।

आज के नेता खुद हही  दंगे भड़काते है ताकि जनता उन पर विश्वास करे और बाद में उन्ही  दंगे भड़काने वालो को पैसा भी देती है।  मतदान के समय में नेतागण कई प्रकार के दांव-पेच अपनाकर मतों को खरीद लेते है और अपना स्वार्थ भी सिद्ध कर लेते है।

इस प्रकार का वातावरण प्रजातंत्र का वास्तविक रूप समाप्त कर देता है और देश में तानाशाही राज्य का निर्माण करता है।  इसके लिए स्वयं आम जनता को अग्रसर होना होगा।  जब हम मतदान करें तो किसी दबाव में आकर या किसी लालच में आकर पाने नेता का चुनाव करें और एक सही नेता ही देश को प्रगति पर ले जा सकता है।

तलवार अहितकारी है और कलम हितकारी है

तलवार या शस्त्र का इस्तेमाल हमेशा अहितकारी होता है , इससे किसी भी पक्ष का भला नहीं होता है।  यह सत्य है युद्ध में यदि एक पक्ष विजय होता और दूसरा पक्ष हारता है तो पहला पक्ष दूसरे पर राज करता है।

परन्तु इस प्रकार के मिथ्या बहुत ही गलत है।  क्योकि जब युद्ध होता है तो न केवल जान-माल के हानि होती है बल्कि इसके कारण अनेक घर भी बर्बाद होते हैं। लोगो में द्वेष के भावना पनपती है जो युगों-युगों तक समाप्त नहीं होती है।

वही दूसरी ओर यदि कोई व्यक्ति केवल एक सूचना पत्र से अपनी बात सबके समक्ष रखता है तो किसी भी प्रकार के हिंसात्मक घटना नहीं होती है। कलम की ताकत इतनी अधिक शक्तिशाली है जो युगों -युगों तक सुरक्षित रहती है क्योंकि लिखित सामग्री को सरंक्षित किया जा सकता है.

और शस्त्रो का प्रभाव समय के साथ साथ कम होता चला जाता है , जैसे किसी भी शास्त्र का प्रयोग भी उसकी धार को धीरे धीरे ख़तम कर देता है वही दूसरे ओर कलम द्वारा लिखे गए शब्द युगों -युगों तक सुरक्षित रहते हैं। एक पुस्तक बिना किसी भी प्रकार की हिंसात्मक क्रिया किये एक शक्तिशाली समाज का निर्माण कर सकती है।

कलम और तलवार की आवाज में अंतर

कलम और तलवार की तुलना विनाशकारी और कल्याणकारी सवरूप के तरह है।  अगर एक जीवन को संवार सकता है तो दूसरा बिगाड़ सकता है।  एक साधन अगर निमार्णकर्ता है तो दूसरा विनाशकर्ता है। कलम अगर हमें जीवन को सजोना सिखाती है तो तलवार हमें नष्ट करना सिखाती है।

कलम अगर अंतर्मुखी होकर अपने विचारो का प्रहार करती है तो तलवार विध्वंसता का रूप धारण कर जीवन को तहस -नहस करती है। कलम अगर प्रकाश है तो तलवार अँधेरा है।  जैसे अँधेरे को दूर करने के लिए प्रकाश के जरुरत होती है वैसे ही कलम से ही इस संसार को प्रकाशमय किया जा सकता है।

कलम और तलवार दोनों ही शक्तिशाली है।  जहाँ कलम चलेगी वहाँ इतिहास का निर्माण होगा।  अनेक लेखकों ने कलम के बल पर ही अपना नाम रोशन किया और जीवन मेंबी एक  मुक़ाम हासिल किया।  जब भी हम पर कोई विपदा आती है तो हम पुस्तकों का सहारा लेकर प्रेरणा प्राप्त करते है।  यह सब कलम का ही परिणाम है जो इतने समय से प्रेरणा का स्त्रोत बनी हुई हैं।

ऐ कलम तू वो ताकत है जिसने पीढ़ी दर पीढ़ी को मिलाया

ऐ कलम तू वो रोशनी है जिसने मुझे रास्ता दिखाया

निष्कर्ष

कलम और तलवार का संघर्ष हर युग में रहा है और हर बार शस्त्र का सहारा लेने वालो को झुकना पड़ा है क्योकि हर प्राणी शांति चाहता है किसी भी प्रकार कलह नहीं। आप शस्त्रों के बल पर एक इंसान के शरीर पर घाव कर सकते हैं , उसे शारीरिक रूप से कमजोर कर सकते है परन्तु उसके मस्तिष्क को या उसके मन को नहीं जीत सकते।

कभी न कभी तलवार का वार भी चूक जाता है।  पर यदि कोई इंसान शब्दों का प्रहार करता है तो वो व्यक्ति के आंतरिक मन को झंझोड़ के रख देता है और उसे अत्यंत प्रभावित करता है।

हर वस्तु के सकरात्मक और नकारत्मक पहलु होते है।  कभी-कभी कलम केसाथ-साथ शास्त्रों का वार भी अनिवार्य हो जाता है।  कौन कितना शक्तिशाली है यह समय पर निर्भर करता है , क्योंकि कभी-कभी परिस्थितयां इतनी अधिक विकराल होती हैं कि व्यक्ति को शस्त्र का सहारा लेना ही पड़ता है।