एक ऐसा शब्द जिसके बारे में समाज में रह रहे हर व्यक्ति के अंदर उस शब्द के प्रति ईर्ष्या और डर बैठा हुआ है। हम उस शब्द को आतंकवाद के नाम से जानते हैं। यह कैसा रूप है जो हिंसा को बढ़ावा देता है। दुनिया से हिंसा को मिटाना आसान नहीं है। हिंसा को खत्म करने के लिए बहुत तो नहीं कोशिश की। लेकिन खत्म तो तब होगी जब हिंसा का कोई एक निश्चित रूप हो।
भारत में आतंकवाद पर निबंध – Long and Short Essay On Terrorism in India in Hindi
हिंसा ना जाने कितने रूपों में हमारे समाज में फैली हुई है। और इसी हिंसा का एक भयानक रूप हमें आतंकवाद के रूप में देखने को मिलता है। आतंकवाद हिंसा का गैर कानूनी रुप है। आतंकवादियों द्वारा लोगों को डराना आतंकवाद कहलाता है। आतंकवादियों के अंदर किसी एक देश के प्रति इतनी ज्यादा नफरत भर दी जाती है कि वह उस देश को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश करते रहते हैं।
यहां तक की उनके अंदर मोह माया जैसी कोई भावना नहीं होती है। वह अपनी मौत से भी नहीं डरते हैं। यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है। आतंकवाद लोगों को डरा कर अपने परिणामों को पाने का हिंसात्मक तरीका है। इनका मकसद होता है सरकार पर दबाव बनाना और अपनी मांग पूरी करवाना। आतंकवाद कभी भी कहीं भी भीड़ में बम गिरा जाते हैं। और ना जाने ऐसी दुर्घटना में कितने लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। हमारे देश में भी आतंकवाद का बहुत ही भयानक रूप देखने को मिलता है।
भारत में आतंकवाद की घटनाएं
भारत में आतंकवाद की बहुत सारी घटनाएं हैं जिनमें से कुछ घटनाओं का हम नीचे वर्णन करेंगे।
- मुंबई में 26 नवंबर 2008 की वह रात जो गोलियों की आवाज से गूंज उठी थी। दिल दहला देने वाली वो रात आज भी मुंबई के लोगों को याद होगी। मुंबई के पांच सितारा होटल रेलवे स्टेशन और यहूदियों के केंद्र पर हमलावरों का अचानक से हमला करना और गोलियां बरसाना इन सारी घटनाओं ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। कोई अंदाजा ही नहीं लगा पाया था कि यह हमला इतना बड़ा हो सकता है। रक्षक कर्मियों को इस पर काबू पाने या खत्म करने में 60 घंटे लगे तथा 160 लोगों ने अपनी जान गवा दी।
- 29 अक्टूबर 2005 को नई दिल्ली में तीन विस्फोट किए गए। इस विस्फोट में 60 लोगों से अधिक लोगों ने अपनी जान गवा दी और कम से कम 200 लोगों से अधिक लोग घायल हुए।
- 13 जून 2011 को मुंबई में तीन जगहों पर विस्फोट हुआ जिसमें 49 से अधिक लोगों की मौत और ना जाने कितने घायल हो गए।
- हाल ही में एक ऐसी घटना जिसने पूरे देश को झकझोर के रख दिया ना जाने कितने घरों में अंधेरा कर दिया कितने मां बाप से उनके बुढ़ापे का सहारा छीन लिया। 14 फरवरी 2019 का वह दिन जो पुलवामा हमले के नाम से जानते हैं। जम्मू से कश्मीर जा रहे जवानों के काफिले पर फियादीन हमला किया गया। जिसमें सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए। जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान के जैश-ए-महमद आतंकवादी संगठन ने ली थी।
भारत में आतंकवाद का प्रभाव
आतंकवाद का सबसे बुरा प्रभाव लोगों पर पड़ता है। देश में हर समय आतंकवादी गतिविधियां, विस्फोट और फायरिंग को देखकर लोगों के मन में डर और चिंता बनी रहती है। आतंकवाद के शिकार हुए कुछ लोग समय से पहले ही मर जाते हैं और कुछ लोग विकलांग हो जाते हैं और उनको अपना पूरा जीवन एक विकलांग के रूप में वितरित करना पड़ता है।
इस तरह से लोगों के बीच एक डर और तनाव का माहौल बना रहता है। लोग उस स्थान पर जाने से डरते हैं जहां एक दो बार हमला हो चुका रहता है। जिससे भारत के पर्यटन उद्योग और शांति व्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर तो आतंकवाद का बहुत ही बुरा असर देखने को मिलता है। हर आतंकवादी हमले की भरपाई सरकार को अपने खजाने से करनी पड़ती है। इसीलिए भारत की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती है। क्योंकि आतंकवाद एक आपातकालीन घटना है। जो अचानक से हमारे सामने आ जाती है। हम इसके लिए या हमारी सरकार इसके लिए पहले से या कुछ अलग से तैयार करके नहीं रखती। इसके अलावा पर्यटन, उद्योगों में गिरावट, विदेशी निवेशकों की कमी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दरों में वृद्धि हमारे देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर देती है।
निष्कर्ष
आतंकवाद एक बहुत ही बड़ा मुद्दा है। आतंकवाद केवल हमारे देश का मुद्दा नहीं है। पूरा विश्व आतंकवाद को लेकर परेशान है। आतंकवादियों के अंदर इतनी ज्यादा हिंसा भरी रहती है। जिससे वह अपने सोचने की क्षमता खो बैठते हैं। सरकार द्वारा आतंकवाद के खिलाफ इतने कठोर कदम नहीं उठाए गए हैं। जितने की उठाने चाहिए।
आतंकवादी हमलों की वजह से ना जाने कितने निर्दोष लोगों की जान चली गई है। आतंकवाद के प्रति थोड़ी भी लापरवाही आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम करती है। आतंकवाद देश की आर्थिक व्यवस्था को पूरी तरह झकझोर के रख दीजिए। जिससे भविष्य में बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आतंकवाद एक बहुत ही गंभीर मसला है और भारत सरकार द्वारा इसे गंभीर रूप में लेने की जरूरत है।