छुट्टी पर निबंध – Essay On Summer Vacation In Hindi For Class 5

विद्यालय अथवा कॉलेज जाने वाले हर बच्चे को ग्रीष्म और शीत अवकाश का इंतज़ार पूरे वर्ष रहता है। अवकाश के कुछ समय पूर्व से ही मन प्रफुल्लित हो उठता हैं।

मेरी भी ग्रीष्म छुट्टियां शुरू होने में अब कुछ दिन शेष रह गए थे और इस बार हमारे पिताश्री किसी  पहाड़ों वाली जगह घूमने जाने का विचारविमर्श कर रहे थे। सिर्फ विचार से ही मन हर्ष उल्लास से भर गया था। कई जगह जैसे दार्जीलिंग, गैंगटॉक, शिमला, मनाली जैसी स्थानों पे विचारविमर्श किया जा रहा था। अंततः हमने शिमला मनाली जाने की योजना बनाई।

छुट्टी पर निबंध – Essay On Summer Vacation in Hindi For Class 5

हमारी छुट्टियाँ चार मई से शुरू होने वाली थी। शिमला जाने के लिए हमने पंद्रह तारीख की तिथि  तय की ताकि उससे पहले हम अपने विद्यालय की ग्रीष्म अवकाश कार्य भी पूरा करलें। निश्चित तारीख के लिए हमने हवाईजहाज की पाँच टिकटें आरक्षित करवा ली।

आखिरकार चार मई आ गयी। उत्साहित मन से हम सब अपने जरूरत की चीज़ें इकट्ठा करने लगे। हम अपना ज्यादा समय अपने अवकाश कार्य करने में व्यतीत कर रहे थे ताकि निश्चिंत मन से हम अपने घूमने का आनन्द ले पाए। हमने अपने अपने बक्से में जरूरत के समान जैसे कपड़े, ऊनी कपड़े, जूते, मोज़े इत्यादि इकट्ठा करके बक्से में सजाने लगे। पंद्रह तारीख का वो शुभ दिन आ गया। सुबह आठ बजे हम हवाई अड्डा की लियर निकल गैर क्योंकि हवाई अड्डा हमारे घर से एक घंटे की दूरी पर था। हम नौ बजे के करीब हैए अड्डे पहुच गए। ग्यारह बजे का समय था हवाई जहाज के उड़ान भरने का।

हमने अपनी अपनी जगह ले ली हवाई जहाज में और सीट की पेटी बांध ली। यह हमारी पहली हैए यात्रा थी इसलिए हम सब बहुत अधिक उत्साहित थे। यात्रा प्रारम्भ हुई और दो घंटे में हम अपने गंतव्य  चंडीगढ़ पहुच गए जहाँ से हमें शिमला  के लिए गाड़ी लेनी थी।

हमने पहले से ही एक पर्यटन संगठन द्वारा अपनी यात्रा कार्यक्रम आरक्षित करवा लिया  था अतः चंडीगड़ उतरते ही उस संगठन द्वारा भेजी एक गाड़ी हवाई अड्डे के बाहर हमारा इंतेज़ार कर रही थी जिसकी संख्या तथा गाड़ी चालक की दूरभाष संख्या हमे पहले से सूचित कर दी गयी थी। गाड़ी ढूंढने में कोई परेशानी नही हुई और हम शिमला के लिए निकल पड़े।

रास्ता बहुत दार्शनिक और मनोरम था। ऊंचे ऊंचे पहाड़  और चारो तरफ हरियाली दखते बनती थी। हमारी सारी थकान यहां की अद्भुत सुंदरता देख गायब हो चुकी थी।

पांच घंटे पूर्व  सात बजे के करीब हम शिमला पहुँचे जहा संगठन ने हमारे लिए एक होटल की बुकिंग पहले से कर रखी थी। हम उस होटल में पहुचे, अपने कमरे में अपना सारा सामान रखा , गर्म पानी की सुविधा भी उस होटल में थी,

ठंड काफी होने की वजह से हम सब ने हाथ मुँह धोये और खाना खाने के लिए होटल में स्तिथ रेस्तरां पहुँचे। खाना बहुत ही लज़ीज एवं स्वादिष्ट था। हम सब काफी थक गए थे इसलिए वापस  कमरे में जाते ही सब सो गए।

अगले दिन हमने शिमला की कुछ पर्यटक स्थानों में भ्रमण किया मॉल रोड में स्तिथ रिज का दृश्य मनोरम था। रिज मॉल रोड के किनारे स्तिथ है एयर यह से पहाड़ो का नज़ारा देखते बनता हैं। इसके अतिरिक्त हमने झाकु मंदिर के दर्शन किये। यहां पर स्तिथ विशालकाय हनुमान जी की मूर्ति पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है।

हमने शिमला से वहां की कुछ खास चीज़ें जैसे कि ऊनी कपड़े और देवदार के पेड़ों से बनी चीजों को भी खरीदा। संध्या होते ही हम वापस अपने होटल आ गए, खाना खाया और थके होने की वजह से नींद भी जल्दी आ गयी। अगले दिन सुबह आठ बजे नाश्ता करके हम कुफरी जो कि शिमला से सतरह किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है वहाँ की ओर निकल पड़े। हिमालय की तलहटी में बसा यह हिल स्टेशन 2510 मीटर ऊँचाई में स्तिथ है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। वापसी में हमने वहाँ पे स्तिथ

एक प्रसिद्ध गिरजाघर के भी दर्शन किये। शिमला में हमने सोलन भी भ्रमण किया। सोलन मशरुम और टमाटर के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। इसलिए सोलन को भारत का मशरुम शहर और लाल सोने के शहर के रूप में जाने जाते हैं।

अगले दिन हमे मनाली के लिए प्रस्थान करने था। अगले दिन की सुबह निश्चित समय पर गाड़ी चालक हमे मनाली ले जाने के लिए उपस्थित हुआ। हम सब ने मनाली के लिए प्रस्थान किया। रास्ते का नज़ारा अत्यंत मनोहारी और मंत्रमुग्ध करने वाला था। ऊँची ऊंची पहाड़ियाँ और कुछ कुछ पहाड़ों पर पिघलती बर्फ देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति की एक स्वर्णिम झील पहाड़ो की शिखर से बह रही हो।  मनाली के दृश्यों ने मेरे हृदय में विस्मरणीय छाप छोड़ दी।

संध्या तक हम मनाली के अपने होटल के कमरे में पहुँच गए। रात्रि का भोजन करके हमने विश्राम किया। अगले दिन हुमे रोहतांग दर्रे जाना था। रोहतांग दर्रा लेह राजमार्ग के पास स्तिथ है। यहाँ से  हिमनद, हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियाँ और नदी का मनमोहक दृश्य दिखती पड़ता है। इसके  अतिरिक्त हमने हिडिम्बा मंदिर जो कि पत्थरों और लकड़ी द्वारा निर्मित है उसके दर्शन किये। यह मंदिर भीम की भार्या हिडिम्बा को समर्पित है।

अगले दिन हम सब सोलंग घाटी गये। सोलंग घाटी तरह तरह की क्रियाऍं जैसे पैराग्लाइडिंग, स्कीइंग इत्यादि का भी लुफ्त उठा दखते हैं। हम लोगो ने वहाँ पैराग्लाइडिंग का आनंद लिया। फिर मणिकर्ण जो कि अपने गरम पानी के झरनों के लिए प्रसिद्ध है वहाँ भी गए। कहा जाता है कि उस गर्म पानी मे स्नान करने से वयक्ति हर तरह के रोगों सर मुक्त हो जाता है।उस पानी मे अवसाधिय गुण मौजूद हैं।

अगले दिन हमारी वापसी की टिकट आरक्षित थी। हालांकि हमे आने घर वापस जाने की खुशि थी पर इतने सुंदर और मन को प्रफुल्लित कर देने वाली जगह को च9र कर जाने का बिल्कुल मन नही था। अगले दिन सुबह 6 बजे हम लोग अपने होटल से निकल गए और चंडीगढ़ कि ओर प्रस्थान किये। करीब आठ घंटे का सफर तय करने के बाद हम चंडीगढ़ पहुच गए। हवाई अड्डे पहुँच कर हम ने कुछ हल्का फुल्का भोजन ग्रहण किया। निश्चय समय पर हवाई जहाज ने उड़ान पड़ी और हम वापस अपने गंतव्य पर पहुच गए ।अपने हृदय में कभी न मिटने वाली स्मृतियां बटोर ली।