भारत की ऋतुएँ पर निबंध – Essay on Seasons in India in Hindi

इस पोस्ट में भारत की ऋतुएँ पर निबंध (Essay on Seasons in India in Hindi) के बारे में चर्चा करेंगे। किसी क्षेत्र का ऋतु, उस क्षेत्र का औसत मौसम है, जो एक निश्चित समय में उस क्षेत्र पर प्रभाव डालता है। भारत का ऋतु चक्र छः कालखंडों में विभाजित है। यह एक-दूसरे से परस्पर पूर्ण रूप से असमान हैं।

ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत यह भारत के छः प्रमुख ऋतुएँ हैं। महाकवि कलिदास द्वारा रचित ऋतु-संहार में भारत के ऋतुओं का बड़ा सुंदर दार्शनिक वर्णन मिलता है।

उदाहरण 1. भारत की ऋतुएँ पर निबंध – Essay on Seasons in India in Hindi

पृथ्वी का अपनी धूरी पर निरंतर घूमने के प्रक्रिया से दिन और रात की घटना घटित होती है। साथ ही पृथ्वी के सूर्य के परिक्रमा करने के फलस्वरूप ऋतुओं में परिवर्तन होता है। जिससे गर्मी, बरसात और ठंडी का अनुभव हम सभी को प्राप्त होता है।

सालों से होती आ रही ऋतु परिवर्तन के वजह से मनुष्य तथा जीव-जन्तुओं ने स्वयं को उसके अनुकूल ढाल लिया है। फिर भी प्राकृतिक शक्ति के रूप में ऋतु परिवर्तन हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है।

भारत में ऋतु परिवर्तन

मई-जून की धूप से तपती धरातल (धरती) व गर्म हवाएं (लू) से लोग व्याकुल हो जाते हैं। आसमान छूते तापमान के कारण पंक्षीयों के लिए पेड़ पर पानी रखा जाता है तथा जगह-जगह सड़क के किनारे पर मुसाफिरों के लिए भी पानी का प्रबंध किया जाता है।

बरसात का मौसम शुरू होते ही कई क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश होने के कारण नदियों का स्तर इस प्रकार बढ़ता है की गांव के गांव खाली करने पड़ जाते हैं और शहर भी उससे अछुते नहीं रह पातें। वहीं कई स्थान बारिश के बूंद के अभाव में सूखे ही रह जाते हैं। इससे मानव जीवन जीव-जन्तु सभी बहुत अधिक प्रभावित होते हैं।

ठंड के आगमन से शुरूआत की ठंड व्यक्ति को सुखद अनुभव कराती है पर समय बीतने के साथ शीत ऋतु की ठंड व्यक्ति के लिए बहुत अधिक कष्टदायक होती है। इसमें घर से निकल पाना ही बड़ी चुनौती सा प्रतीत होता है। सड़क के किनारे बैठे भिक्षुक तथा वे जानवर जिनका कोई नहीं होता उनके कष्ट का अनुमान लगा पाना बहुत मुश्किल है।

निष्कर्ष

पृथ्वी के अस्तित्व में आने के समय से ही पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन की घटना घटित होती आ रही है। यह मानव जाति के साथ-साथ जीव-जन्तु, वनस्पति इन सभी को प्रभावित करती है।

उदाहरण 2. भारत की ऋतुएँ पर निबंध – Essay on Seasons in India in Hindi

भारत विश्व के सुंदर देशों में से एक देश है। इसके संदुरता का मुख्य कारण प्रकृति प्रदत्त वातावरण तथा समय-समय पर बदलने वाली ऋतुएँ हैं। पृथ्वी के अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की दिशा में घूमने तथा सूर्य की परिक्रमा करने के परिणाम स्वरूप बारह महिने में छः बार ऋतु परिवर्तन होता है।

भारत के ऋतु चक्र का वर्णन

ग्रीष्म ऋतु (Summer Season)

भारतीय पंचांग के अनुसार वर्ष की शुरूआत चैत्र माह से होती है, तथा भारत में ऋतु चक्र का प्रारंभ भी ग्रीष्म ऋतु (गर्मी) चैत्र (मार्च-अप्रैल) माह से होती है।

शुरूआती गर्मी में जहां हवां के माध्यम से आनंद की प्राप्ति होती है वहीं कुछ समय पश्चात बढ़ते गर्मी के पारे के वजह से स्कूल बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद भी गर्मी के मौसम, परिवार व दोस्तों के साथ पिकनिक और छुट्टी पर कहीं दूर जाने का सुखद आनंद की प्राप्ति कराता है।

वर्षा ऋतु (Rainy Season)

झुलसा देने वाली गर्मी के वजह से जो तलाब, नदी, कुए तथा धरती सूख गए थे। वह सभी अब बरसात के वजह से हरे भरे हो गए है। बरसात के मौसम में चारों ओर हरियाली छा जाती है।

शरद ऋतु (Autumn Season)

अब आसमान का नीला रंग साफ तौर पर देखा जा सकता है। सफेद बादल आपस में खेलते प्रतीत होते हैं। इस मौसम में फल तथा अनेक प्रकार के फूल खिलते हैं, इसके साथ ही किसान द्वारा लगाए गए धान की पैदावार शुरू हो जाती है। सुबह-सुबह घास पर ओंस की बूंदे जीवन में नई ऊर्जा को भर देती हैं। शरद ऋतु को कवियों द्वारा “शरद सुंदरी” भी कहा गया है।

हेमंत ऋतु (Pre Winter season)

हेमंत ऋतु में ठंड की शुरूआत हो जाती है पर अभी उतनी ठंड नही लगती। इस ठंड में घूमने योग्य मौसम होता है।

शिशिर ऋतु/शीत ऋतु (Winter Season)

शीत ऋतु में ठंड अपनी चरम सीमा पर रहता है। जिससे कई दिनों तक धूप का नामोनिशान नहीं मिलता, दूर तक फैली धूंध लोगों को घर से बाहर निकलना मुश्किल कर देती है। यह सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध (Hemisphere) से दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर जाने के वजह से होता है।

वसंत ऋतु (Spring Season)

सबसे आखिर में वसंत ऋतु आता है, वसंत को ऋतुओं का राजा तथा वसंत दूत भी कहा जाता है। यह मौसम न तो ज्यादा गर्म होता है और न ज्यादा ठंडा। इस मौसम में शिशिर (शीत ऋतु) में पेड़ों से झड़ें पत्तों की टहनियों पर नये पत्ते पनपने लगते हैं। ऐसा कहा जाता है वसंत में पुष्प, पेड़, नदियों तथा तालाबों में सुगंध भर जाता है।

निष्कर्ष

पृथ्वी की परिक्रमा के फलस्वरूप ऋतुओं में परिवर्तन देखा जाता है। प्रत्येक ऋतु एक-दूसरे से भिन्न हैं परंतु सभी प्रकृति पर अपना प्रभाव डालने का सामर्थ्य रखते हैं।

उदाहरण 3. भारत की ऋतुएँ पर निबंध – Essay on Seasons in India in Hindi

मुख्य रूप से तीन प्रकार के ऋतु वातावरण में समय-समय पर मौजूद होती है। जिसमें गर्मी, ठंडी और बरसात प्रमुख है पर कभी ज्यादा गर्मी पड़ती है तो कभी समान्य, ठंड के साथ भी समान स्थिति पायी जाती है। इस कारणवश इनका विभाजन छः हिस्सों में कर दिया गया है।

ऋतु परिर्वतन के प्रमुख कारण

ग्रीष्म ऋतु – जब सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर अग्रसर होता है इसके फलस्वरूप भारत में ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। इसके साथ ही तापमान भी उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ता है। इससे पूरा देश ताप से तपता है। मई-जून के महिने में उत्तरी पश्चिम (राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब) का तापमान बढ़कर 47 डिग्री से. (470 C) हो जाता है।

वहीं उत्तर भारत के शुष्क भागों में इस समय दोपहर में गर्म हवाएं चलती हैं जिन्हें ‘लू’ कहा जाता है। भारत समेत उत्तरी गोलार्द्ध पर पड़ने वाले सभी देशों में, अन्य दिनों की तुलना में 21 जून सबसे बड़ा दिन होता है। ऐसा सूर्य के कर्क रेखा से गुजरने पर सूर्य की किरण उत्तरी गोलार्द्ध पर अधिक समय तक लम्बवत पड़ने के वजह से होता है।

ग्रीष्म का उपहार –

ग्रीष्म ऋतु में गर्मी अधिक पड़ने के कारण वर्षा ऋतु में बरसात भी अधिक होता है, जिससे किसान के फसलों की उत्पादन में वृद्धि होती है।

शीत ऋतु

भूमध्यसागरीय क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली शीतोष्ण चक्रवात पाकिस्तान तथा ईराक को पार करने के पश्चात भारत में प्रवेश करती। जिससे जम्मू काश्मीर, पश्चिमी पंजाब आदि क्षेत्रों में हलकी वर्षा के साथ शीत ऋतु का आगमन होता है। उत्तरी भारतीय क्षेत्रों में वर्षा तथा हिमपात (बर्फ़ गिरना) के कारण शीत ऋतु अपने चरम पर पहुंच जाता है।

भारत में शीत ऋतु की समयावधि 15 दिसम्बर से 15 मार्च है। खगोलीय कारणों के वजह से सूर्य के प्रकाश का पृथ्वी पर न पड़ने के वजह से 21 दिसम्बर का दिन साल का सबसे छोटा दिवस होता है।

शीत ऋतु की संदुरता, रात में चंद्रमा के चांदनी से सारा जग जगमगा उठता है तथा दिन में तालाब में खिले पुष्पों पर भवरे आदि बैठ कर शरद की शोभा बढ़ाते हैं।

वर्षा ऋतु

भारत में दक्षिणी पश्चिमी मानसून हवाओं के प्रवाहित होने से पूरे देश में वर्षा होती है। दक्षिण से चलने वाली हवाएं बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर से होकर गुजरते हुए सागर की नमी को स्वयं में समाहित कर लेती है। जहां-जहां यह पर्वतों से टकराती है वहां वर्षा होती है। यही कारण है राजस्थान में वर्षा न होने का, क्योंकि राजस्थान में एक भी पर्वत श्रृंखला नहीं है।

बंगाल की खाड़ी पर हवा के माध्यम से ऊपर उठती नमी गारो-खासी पर्वत से टकराकर मेघालय के मासिनराम तथा चेरापूंजी गांव में विश्व में सर्वाधिक वर्षा का कारण बनते हैं। इस गांव में निवास करने वाले लोग घर से बाहर बिना छाता कभी नहीं जाते तथा घने बादल के सुंदर दृष्य को हम पास से देख सकते हैं। वर्षा के आगमन सेचारों ओर हरियाली छा जाती है। प्रकृति का सबसे सुंदर स्वरूप देखने का सुख वर्षा ऋतु में प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

पृथ्वी के विभिन्न भौगोलिक क्रियाओं के परिणाम स्वरूप ऋतुओं में परिवर्तन देखा जाता है। पाषण काल (जब से मनुष्य जाति अस्तित्व में आए), उस समय से पूर्व से ऋतु परिवर्तन होने के सबूत प्राप्त होते हैं अतः इससे स्पष्ठ है, ऋतु परिवर्तन प्राकृतिक घटनाओं द्वारा होता है।

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