पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) पर निबंध – Essay On Recycling In Hindi

रीसाइक्लिंग का अर्थ होता है जब भी हम किसी खराब वस्तु को किसी नए वस्तु में बदलते हैं और हम उसे एक नया रूप देते हैं जी उसे रीसाइक्लिंग कहते हैं। रीसाइक्लिंग से हमारे प्रकृति और पर्यावरण वह बहुत ही ज्यादा लाभ होता है रीसाइक्लिंग एक ऐसा प्रोसेस है जिसे हम करके अपनी बहुत सारी चीजों को खराब होने से बचा सकते हैं और उसे एक नया रूप दे सकते हैं।

पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) पर निबंध – Long and Short Essay On Recycling In Hindi

आज बहुत सारे विकसित देश रीसाइक्लिंग का उपयोग करके आगे बढ़ते जा रहे हैं और कम से कम प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर देखा जाए तो रीसाइक्लिंग हमारे घरों में भी होता है जैसे कि हमारे घर में हमारी माता किसी भी शैंपू या तेल के खराब डिब्बे को फेकती नहीं है उसका इस्तेमाल अन्य किसी चीजों में कर लेती हैं। जिसे हम रीसाइक्लिंग का नाम देते हैं रीसाइक्लिंग आज के युग के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमारा पर्यावरण रोज चीख चीख कर करने को कहता है

रीसाइक्लिंग का महत्व

  • रीसाइक्लिंग हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है वह हमारी पृथ्वी को नुकसान नहीं पहुंचाता है अगर देखा जाए तो अगर हम कागज का रीसाइक्लिंग करते हैं तो वह पृथ्वी पर अधिक से अधिक पेड़ों को कटने से बचाता है और हमारे पर्यावरण को स्वस्थ एवं सुरक्षित बनाता है ।रीसाइक्लिंग हमारे लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए एक वरदान के रूप में साबित हो सकता है क्योंकि अगर हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कम से कम करते हैं तो वह हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बचा रह जाएगा जो उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा।
  • रीसाइक्लिंग हमारा आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा मदद करता है क्योंकि अगर हम किसी वस्तु को फेंकने के बजाय उसका दोबारा उपयोग कर लेते हैं। तो वह हमारे लिए बहुत मददगार साबित होता है जैसे कि आज तक हमारे घरों में मम्मी दादी करती आ रही हैं पुराने किसी भी बोतल डब्बे को वह फेकती नहीं है ।वह उसका उपयोग किसी ने किसी चीज को रखने के लिए कर देती हैं जोकि किसी नए डिब्बे को खरीदने के लिए जो पैसे लगते हैं उन्हें बचाता है और फैक्ट्रियों में इनका उत्पादन होने से भी रोकता है क्योंकि अगर बाजार में इसकी मांग रहेगी ही नहीं तो फैक्ट्रियां इसका उत्पादन खुद ही खुद कम कर देंगे।
  • रीसाइक्लिंग हमारे पर्यावरण को बहुत तरीके से बचाता है रीसाइक्लिंग ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करता है क्योंकि अगर किस हम किसी भी वस्तु का इस्तेमाल उसके फेंकने के बजाय कर लेते हैं तो वह वस्तु ना तो जलाई जाती है और ना ही उसे किसी प्रकार का प्रदूषण फैलता है ।जोकि हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक होता है अगर हम किसी वस्तु को जलाते हैं उसमें से निकलने वाला कार्बन हमारे पर्यावरण में बढ़ते हुए ग्लोबल वॉर्मिंग के तरफ एक संकेत होता है इसीलिए अगर हम किसी वस्तु का रीसाइक्लिंग करते हैं तो वह हमारे पर्यावरण में बढ़ रहे प्रदूषण का एकमात्र स्रोत होता है।

रीसाइक्लिंग क्यों नहीं होता है?

  • आज हमारे देश में बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो रीसाइक्लिंग को एक बेकार की प्रक्रिया समझते हैं। वह नहीं जानते कि अगर वह किसी वस्तु को ऐसे फेंक रहे हैं वह हमारे वातावरण के लिए कितना हानिकारक हो सकता है और हमारे आसपास रह रहे जीव जंतुओं के लिए कितना गलत साबित हो सकता है।
  • आज शहरों में जगह की कमी होने के कारण लोग रीसाइक्लिंग को उतना सही नहीं समझते क्योंकि वह अपने घरों के आसपास कोई भी पूरा कचरा नहीं देखना चाहते हैं जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी हो या फिर उन्हें किसी भी प्रकार की हानि पहुंचे ।
  • आज बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें ग्लोबल वार्मिंग या फिर पर्यावरण बढ़ रहे प्रदूषण की कोई परवाह नहीं है। वह सिर्फ सही से खाना रहना या फिर सोना जानते हैं उन्हें इसमें से किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है वह नहीं जानते कि उनके वातावरण या फिर उनके चारों तरफ हो रही परेशानियों का सामना कल उन्हें भी करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

प्राचीन समय में जब आधुनिक दुनिया की वस्तुएं नहीं थी तब हम लोगों ने अपने वातावरण के साथ अच्छा बर्ताव किया था या फिर मनुष्य उस वक्त प्रकृति की गोद में ही खेलते कूदते थे और प्रकृति उनका पालन पोषण बहुत अच्छे से किया करते थे।

परंतु आज के इस आधुनिक युग में मनुष्य इतना अंधा हो गया है कि उसे प्रकृति का तनिक भी ख्याल नहीं रहता है मनुष्य आज के युग में सिर्फ अपनी भलाई के बारे में सोचता है उसे तनिक भी इस प्रकृति के बारे में नहीं ख्याल होता कि अगर वह इस प्रकृति को आज नुकसान पहुंचा रहा है तो कल वह उसके आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है।

अगर मनुष्य के इन रीसाइक्लिंग जैसे छोटे-छोटे कदमों से हमारी प्रकृति या फिर हमारा वातावरण शुद्ध हो सकता है तो इनमें किसी भी प्रकार की खराबी नहीं है अतः मनुष्य को चाहिए कि वह इन छोटे-छोटे कदमों को स्वीकार करें और इस प्रकृति को फिर से हरा-भरा बनाए।