संत रविदास जयंती पर निबंध – Essay On Ravidas Jayanti in Hindi

रविदास जयंती या रैदास जयंती प्रत्येक वर्ष संपूर्ण भारत मे हारा और उल्लास के साथ मनाई जाती है। संत कवि रविदास का जन्म वराणसी के पास बसे एक गाँव मे सन् 1398 मे हिंदू कलेंडर के हिसाब से माक् की पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनकी जयंती प्रत्येक वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा को ही मनाई जाती है.

संत रविदास जयंती पर निबंध – Long and Short Essay On Ravidas Jayanti in Hindi

संत रविदास की गड़ना केवल भारत मे ही नही अपितु विश्व के महान संतो म की जाती है। संत रविदास एक समाज के न होकर पूरी मानवता के गुरु थे। अंहिने पूरे समाज मे फैली क्रुतियों को व छुअछूत को समाप्त किया, संत रविदास की शिक्षाएं समाज के लिए प्रासंगिक हैं।

उनका प्रेम सच्चाई और धार्मिक सौंदर्य का पावन संदेश हर दौर मे प्रासंगिक है। संत रविदास जयंती के दिन मंदिरों मे श्रद्धालु पूजन कर उनके बताये मार्ग पर चलने का प्रण लेते हैं। रविदास जयंती के दिन ग्रामीण क्षेत्रों मे धूं धाम के साथ मनाई जाती है। उन्हे मूर्तिपूजन, तीर्थयात्रा जैसे दिखावों मे उनको बिल्कुल विश्वास नही था।

वह व्यक्ति की आंत्र भावनाओं और आपसी भाईचारे को ही सच्चा धित मानते थे। रैदास ने अपनी काव्य रचनाओं मे सरल, व्यवहारिक ब्रजभाषा का प्रयोग किया है, जिसमे अवधि, राजस्थानी, खड़ी बोली आर उर्दू फारसी शब्दों का भी मिश्रण है।

उनकी जयंती के दिन संत रविदास की झांकियां एवं शोभा यात्रा भी निकाली जाती हैं। इस दिन अनेक मंदिरों मे भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। गुरु रविदास जी से संभंधित अनेक कार्यक्रम पेश किये जाते हैं तथा उनकी महिमा का गुणगां किया जाता है। हिंदी साहित्य के इतिहास मे मध्यकाल भक्तिकाल के नाम से प्रख्यात है।

इस काल मे सैन्य संत और भक्त कवि हुए जिन्होंने क्रुतियों को समाप्त करने का प्रयास किया।उनकी जीवन की घटनाओं से उनके गुणो का ज्ञान होता है, एक घटना अनुसार गंगा स्नान के लिए रविदास के शिष्यों मे से एक ने उनसे भी चलने का आग्रय किया तो वह बोले, “ गंगा स्नान के लिए मै अवश्य जाता परंतु मैंने किसी को आज ही जूते बनाकर देने का वचन दिया है, और अगर मै जूते नही दे सका तो वचन भंग होता है अतः मन सही है तो इस कटौती के जल मे ही गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है।

कहा जाता है की इस प्रकार के व्यवहार के बाद से ही कहावत प्रचलित हो गयी – “ मैं चंगा यो कटौती मे गंगा”। संत संत रविदास जी की गड़ना सिर्फ भारत मे ही नही ब्सल्कि पूरे विश्व के महान संतों मे कीजाती है।