भारत एक ऐसा राज्य है जहाँ कई प्रकार के त्योहार मनाये जाते है उनमे से एक रक्षाबंधन है जो भाई बहनों का त्योहार है जो मुख्य रूप से बनाया जाता है और हिन्दु संस्कृति में बहुत ही ज़्यादा प्रचलित है पर आमतौर से इसे भारत के सभी धर्मों के लोग समान उत्साह और भाव के साथ मनाते हैं। पूरे भारतवर्ष में इस दिन का माहौल देखने लायक होता है और क्यों भी न क्यूंकि विश्व भर के भाई बेहेन ऐसी दिन का इंतज़ार करते है जो की हर एक भाई बेहेन के रिश्ते को और भी मजबूत बना देता है।
रक्षाबंधन पर निबंध – Long and Short Essay On Raksha Bandhan in Hindi
देखा जाए तो ये बंधन के दिन का नहीं होता ये काफी सालों का भाई बेहेन का बंधन होता है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता है । यह त्योहार काफी हज़ारों सालों से चलता आ रहा है। इस त्योहार को आज भी हर्षउल्लास के साथ मनाया जाता है ।
यह त्योहार हिन्दू श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक त्योहार है जो भाई का बहन केप्रेम को दर्शाता है और प्यार का एक प्रतीक है। रक्षाबंधन के समय मे बहनें अपने भाइयों की दाहिनी हतेली के कलाई में राखी बांधती जाती हैं, फिर बेहेने उनका तिलक करती हैं और उनसे अपनी रक्षा का करने का संकल्प लेती है।
राखी बढ़ना एक कार्य नहीं की आपको सिर्फ लेकिन यह एक प्रेम दिखाने का तरीका है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता है लेकिन राखी सिर्फ यही तक सिमित नहीं लेकिन आज लोग उन लोगों को भी राखी बढ़ने लगे है जो देश की रक्षा करते है , पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि लोगों को भी बाधा जाता है जो देश की रक्षा करते है।
रक्षा बंधन की महत्वता हम पौराणिक इतिहास मे भी देख सकते है और समझ सकते की एक भाई बहन का बड़हन किस प्रकार का होता है । वामनावतार नामक पौराणिक कथा में रक्षाबंधन के प्रसंग के बारे मे पढ़ने को मौका मिलता है। वह कथा इस प्रकार है की – जब राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार का प्रयत्न करने की कोशिश की तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु जी से प्रार्थना की। विष्णु जी वामन ब्राह्मण बनकर राजा बलि से भिक्षा मांगने के लिए पहुँच गए।
लेकिन गुरु के मना करने के बावजूद भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। और फिर वामन भगवान ने तीन पग में आकाश-पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया था ।
उसने अपनी भक्ति के शक्ति के वजह से उन्होंने यह वरदान माँगा की विष्णु जी उनके सामने हर वक़्त रहे और लक्ष्मी जी इस बात से चिंतित हो गई। और फिर सीता जी नारद जी की सलाह के अनुसार लक्ष्मी जी बलि के पास जाते हुए उन्होंने रक्षासूत्र बांध दिया और उन्होंने उसे अपना भाई बना लिया। बदले में वे विष्णु जी को अपने साथ वापस ले आई। और वह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा की तिथि थी।
अगर आप सभी इतिहास को गहरे मे जाते हुए पढ़े तो राखी के महत्व के अनेक उल्लेख मिलते हैं। जैसे की मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेजा था और साथ ही मे रक्षा-याचना की थी। जो की मुग़ल सल्तनत था हुमायूं मुस्लिम भी उन्होंने राखी की लाज रखी।
कहा जाता है की सिकंदर की धर्म पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरु को राखी बांधकर उसे अपना भाई बना लिया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन भी लिया था। और फिर पुरु ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी को ध्यान देते हुए और अपनी बहन वचन निभाते और सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवनदान दे दिया था।
महाभारत में राखी – महाभारत में भी रक्षाबंधन के पर्व के बारे मे उल्लेख दिया गया है । बात यह थी की जब युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण जी से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब कृष्ण जी ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए उन्होंने सुझाव दिया की राखी का त्योहार मनाये और उन्होंने उसी प्रकार से उनकी आज्ञा मानी।
और एक उल्लेख के द्वारा पता चलता है की रक्षाबंधन कितना हे प्रिये महत्वपूर्ण है बात यह थी की जब श्री कृष्णा शिशुपाल का वध कर रहे थे तो उस वक़्त कृष्ण जी की तर्जनी में चोट लग गई थी, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर चीर उनकी उंगली पर बांध दी थी ताकि और खून न बहे और यह श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन हुआ था। कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाते हुए यह कर्ज चुकाया था।
तो इसी प्रकार से कई सालों से राखी मनाते हुए आ रहे है जो की दर्शाता है की लोग सही मे अपने भाई बहेनो से कितना हे प्रेम करते होंगे लेकिन आज देखा जाए तो लोग कन्याओं को सामान और इज़्ज़त देना भूल गए है जिस देश मे लक्ष्मी माता जी की पूजा की जाती है उस देश ने हे कन्याओं को समाज से अलग कर दिया लेकिन ये साड़ी बातें देखते हुए हमे अपनी सोच बदलनी चाहिए और इस रक्षाबंधन को और भी सुन्दर तरीके से मनाना चाहिए।