जनसँख्या पर निबंध – Essay On Population in Hindi

भारत अपनी 121.0 करोड़ (2011) जनसंख्या के साथ चीन के बाद विश्व में दूसरा सघन तम बसा हुआ देश है। भारत की जनसंख्या उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की मिलाके कुल जनसंख्या से भी अधिक है। प्रायः यह तर्क दिया जाता है कि इतनी बड़ी जनसंख्या निश्चित तौर पर इसके सीमित संसाधनों पर दबाव डालती है।

और देश में अनेक सामाजिक आर्थिक समस्याओं के लिए उत्तरदाई है। हमारे देश में जनसंख्या के आंकड़ों को प्रति 10 वर्ष बाद होने वाली जनगणना द्वारा एकत्रित किया जाता है। भारत की पहली जनगणना 1872 ई. में हुई थी। किंतु पहले संपूर्ण जनगणना 1881 में संपन्न हुई थी।

जनसँख्या पर निबंध – Long and Short Essay On Population in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या किसी भी देश के लिए बहुत सारी समस्या उत्पन्न कर देती है। ‌ बढ़ती हुई जनसंख्या सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं बल्कि पर्यावरण और वन जीवन के लिए भी चिंता का विषय बन जाती है। जनसंख्या बढ़ने पर लोगों को अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ेगी। जनसंख्या में वृद्धि होती है तो रहने के लिए अधिक जगह की आवश्यकता पड़ती है।

जिसकी वजह से वनों की कटाई की जा रही है। और इसकी वजह से पर्यावरण और वन जीव अधिक प्रभावित हो रहे हैं। बढ़ती आबादी की वजह से हमारे देश में प्रदूषण का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। जिससे हमारा जीवन अत्यधिक प्रभावित हो रहा है। मानव द्वारा निर्मित कई उद्योगों और धंधों से जल और भूमि प्रदूषित हो रही है। और इससे मानव जीवन के ऊपर खतरा मंडरा रहा है। सबसे ज्यादा जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करने वाला कारक ग्लोबल वार्मिंग जो मानव गतिविधियों द्वारा निर्मित हो रही है। इतनी सारी बातों को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या पर नियंत्रण करना अत्यंत आवश्यक है।

जनसंख्या के कारक

  • जनसंख्या किसी भी देश के लिए पूंजी निर्माण निर्धारित करती है। जनसंख्या किसी विशेष को इस लायक बना सकती है कि वह अपने श्रम शक्ति से अच्छे परियोजना द्वारा पूंजी निर्माण कैसे करें।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या तकनीक और उत्पादकों में सुधार लाती है। किसी भी देश के आर्थिक विकास का मुख्य सहयोगी जनशक्ति के गुणवत्ता में सुधार को माना जाता है।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या का अर्थ होता है कि लोगों की वृद्धि के साथ साथ ज्ञान के भंडार में भी वृद्धि होगी जिससे हमारे समाज अधिक उत्पादन कर सकता है। अधिक जनसंख्या अधिक श्रम करेगी और इससे हमारे देश में उत्पादन-प्रक्रिया तेजी से प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ेगी।
  • अंतिम जनसंख्या औद्योगिक के रूप में उन्नत देशों में आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • जनसंख्या वृद्धि किसी भी देश के विकास के प्रोत्साहन के रूप में अति आवश्यक है।
  • जनसंख्या आर्थिक विकास के आवश्यक कारक के रूप में जनशक्ति के पूर्ति के लिए आवश्यक है।

निष्कर्ष

जनसंख्या किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए साधन और साध्य दोनों ही है। आर्थिक विकास और जनसंख्या वृद्धि दोनों एक दूसरे से घनिष्ठता के साथ जुड़े हुए हैं। मैं सरकार द्वारा शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर यह नियम लागू नहीं हो रहा है। हम सबको जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। एकजुट होकर जनसंख्या वृद्धि के खिलाफ कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। ताकि आने वाले भविष्य में हम इस घनघोर समस्या से बच सकें।