देश भक्ति पर निबन्ध – Essay On Patriotism in Hindi

देश प्रेम या देश भक्ति यानि अपने देश से अपनी जन्म भूमि से अपनी माटी से बेहद लगाव और सम्मान  बिना किसी महत्वकांक्षी से अपने देश के जले जले के प्रति रक्त बहाने के लिए तत्पर रहने वाले देश की प्राकृतिक राजनीतिक सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिति बेहतर हो इसके लिए कार्य करने वाले समाज में लोकतांत्रिक और सद्भावना रखने के लिए कार्य करने वाले लोगों को हम यह इसी भावना को देश प्रेमियों देश भक्ति कहा जा सकता है।

देश भक्ति पर निबन्ध (देश प्रेम पर निबन्ध) –  Long and Short Essay On Patriotism in Hindi

एक देशभक्त व्यक्ति हमेशा अपने राष्ट्र के पक्ष में होता है और अपने नेताओं का समर्थन करता है यदि वे योग्य हैं। वे अपने देश के लिए समर्पित हैं, इसकी रक्षा के लिए चिंता करते हैं, अपने देश के हित को अपनी प्राथमिकता के रूप में रखते हैं और हमेशा इसकी समृद्धि, विकास और विकास की इच्छा रखते हैं। उन्हें अपने राष्ट्र से भावनात्मक लगाव है और इस लगाव को राष्ट्रीय भावना या राष्ट्रीय गौरव के रूप में भी जाना जाता है।

यहां पर एक बात तो ध्यान देने वाली है राष्ट्रभक्ति की भावना वह नहीं है कि हम अपने को बेहतर माने और उसकी तुलना में दूसरों को नीच अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का बखान करें और दूसरों की आलोचना जबकि वास्तविक धारणा तो यह है कि देश और विश्व स्तर पर प्रेम सौहार्द और भाईचारा को बनाते हुए अपने देश की विभिन्न संस्कृति में मेलजोल करते हुए बांटने की ना भावना समेटने की भावना रखने कि जो प्रकृति है वही सच्चे अर्थों में राष्ट्रपति होती है ना कि अपने देश के प्रति को और उनसे जुड़ी समस्त प्रकार की वस्तुओं के प्रति जबर जस्ती सम्मान की भावना जगाने की चेष्टा देशभक्ति की भावना स्वर्ण भूत ही ह्रदय में प्रवेश कर जाती है देश के प्रति मारना ही नहीं देश के प्रति जीना भी देशभक्ति की भावना से तनिक भी कम नहीं हो सकती।

यदि वर्तमान भारतीय सामाजिक स्थिति और आजादी के पूर्व की स्थिति को देखा जाए तो देश के प्रति अपने पन की भावना में जमीन आसमान का फर्क जान पड़ता है आजादी के पूर्व का जो भारतीय जनमानस था वह बहुत ही सुशिक्षित नहीं था परंतु उसके अंदर देश के लिए समर्पित होने की भावना थी देश को आजाद कराने के लिए खुद को भी कुर्बान करने की क्षमता की जाति धर्म भाषा क्षेत्र के नाम पर किसी भी प्रकार की कोई द्वंद  नहीं था देश भक्ति जगाने के लिए किसी के लिए कोई बंधन नहीं था बाध्य नहीं किया जाता था परंतु ऐसा लगता है और तुम अंतरिक्ष पर एक सुनो राष्ट्रभक्ति की अवधारणा ही बदल सी गई है को राष्ट्रभक्ति नैतिकता में नहीं दिखती भाषणों में दिखती है प्रतीकों में दिखती है शब्दों में दिखती है नकी कार्य में।

भारत के अतीत में ऐसे कई समर्पित नायकों के नाम हम याद कर सकते हैं जिन्होंने विदेशी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए भारत की कमजोर जनमानस को प्रोत्साहित किया उसके भीतर की कि वह परतंत्र की शासन व्यवस्था से लड़ने के लिए खड़ी हो सके अन्याय के विरुद्ध समाज में फैले विचार के विरुद्ध खुद भी खड़ा हो सके और जनता को भी अपने साथ में ले ऐसी कई नाम देखने को सुनने को पढ़ने को मिल जाते जबकि वहीं वर्तमान समय में इसकी कमी दिखाई पड़ती है।

आजादी के पूर्व की हमारे क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए अपनी कुर्बानी सर जी की दे दी अपना सारा जीवन राष्ट्र के लिए खफा दिया मौजूदा समय में भी भारतीय जनमानस में उसी प्रकार की चेतना की आवश्यकता है वर्तमान शिक्षित समाज जब उस प्रकार की भावना अपने अंदर महसूस करेगा तो सर ऐसा ही राष्ट्र का कल्याण राष्ट्र का विकास राष्ट्रीय उन्नति दुगने वेग से होगी शिक्षा के क्षेत्र में चिकित्सा के क्षेत्र में कृषि के क्षेत्र में व्यवसाय में रोजगार में अमीर जब गरीबों के लिए समर्पण भाव रखेगा ऊंच-नीच अन्य किसी भी प्रकार के भेद को प्रेरक भारतीय संविधान के अनुसार पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक होकर के पंथनिरपेक्षता का पालन करेगा तो स्वता ही हमारे देश में परिपूर्णता आ जाएगी और राष्ट्र के लिए खुद को समर्पित कर देने वाले महान क्रांतिकारी नेताओं के ह्रदय को भी सुकून सा महसूस होगा उन्हें संतुष्टि होगी और जहां भी होंगे।

देशभक्ति वास्तव में देश की स्वतंत्रता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और हमारे स्वतंत्रता सेनानी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। एक देशभक्त भले ही उसने अपने देश की खातिर अपना जीवन लगा दिया हो, वास्तव में अमर हो जाता है। उन्हें उनके देशवासियों द्वारा पूजा जाता है और दुनिया भर में सम्मानित किया जाता है क्योंकि उन्होंने अपने देश के लिए बड़ी कठिनाइयों का सामना किया है और यहां तक ​​कि इसकी स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया है। वे आत्म बलिदान के माध्यम से अमर नाम कमाते हैं। इस प्रकार कई देशभक्तों ने अपने जीवन सहित कई चीजों को खोने के बाद भी अपने देशवासियों का दिल जीत लिया।

माता-पिता और साथ ही शिक्षकों को आने वाली पीढ़ियों में देशभक्ति की भावना जगाने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि देश के युवाओं को देश का सम्मान करना चाहिए, इससे जुड़ा हुआ महसूस करना चाहिए, प्रयास करना चाहिए और इसे एक मजबूत राष्ट्र बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।