अंगदान पर निबंध – Essay On Organ Donation in Hindi

खुद में ही सिमटे, खुद में ही उलझे, खुद से ही जूझते, खुद को ही कोसते, यूं ही जिंदगी बिता देते हैं हम। कभी कुछ देर ठहर के खुद से पूछने की जरूरत भी शायद नहीं समझते कि क्या हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है? क्या इंसान और इंसानियत का भी कोई फर्ज है हमारा? खून के रिश्ते के दायरो के आगे भी रिश्ते निभाने की जरूरत है कोई?

लेकिन हम में से भी कुछ लोग हैं जो दूसरों को भी जिंदगी जीते हुए देखने की चाह रखते हैं। यही चाह उन्हें “अंगदान ” की प्रेरणा देती है। ताकि उनके वादे लोग बेहतर जिंदगी जी सकें। और अंगदान करने वाले लोगों को देवदूत भी कहते हैं।

जिंदगी में बहुत कुछ ऐसा है जिसका कोई जिक्र नहीं है। और शरीर के अंगो का तो बिल्कुल भी नहीं। लेकिन बदलते समय के साथ लोगों की सोच और चिकित्सा के क्षेत्र में आय क्रांतिकारी बदलाव ने नामुमकिन को मुमकिन कर के दिखा दिया है। जीवन का श्रेष्ठ दान है अंगदान।

अंगदान पर निबंध – Long and Short Essay On Organ Donation in Hindi

अंगदान का मतलब है किसी शख्स से स्वच्छ अंग को लेकर किसी दूसरे जरूरतमंद शख्स के अंग पर ट्रांसप्लांट करना। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि एक शख्स के अनुदान के वजह से 50000 लोगों की मदद हो सकती है अंगदान देहांत के बाद या कभी-कभी जीवित भी किया जा सकता है। एक दिन हम सभी जिंदगी छोड़ के चले जाएंगे। और जाते-जाते अगर हम किसी को जिंदगी दे जाएं तो इससे बड़ा पुण्य कुछ नहीं होगा। और ऐसा हम केवल अंगदान के जरिए कर सकते हैं। अंगदान के लिए कोई उम्र नहीं होती।

वह छोटी उम्र में भी अंग दान किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर का कोई अंग खराब हो गया है जिससे उसकी जान नहीं बचाई जा सकती तो वह अपने बाकी के अच्छे अंग का दान करके दूसरे की जिंदगी को बचा सकता है। हमारे देश में हजार लोग अंगदान के मामले की वजह से जान गवा रहे हैं क्योंकि उन्हें अंगदान नहीं मिल पाता है।

अगर यही हम लीवर की बात करते हैं तो सौ लीवर मरीजों में से केवल एक को लीवर दान करने वाला मिल पाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दान के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं है। हर साल लगभग दो लाख किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। लेकिन केवल 60 हजार किडनी ट्रांसप्लांट हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि हम अंगदान की शपथ लें। ताकि दुनिया से जाने के बाद दूसरे के दुनिया को रोशन कर सकें।

किन किन अंगो का अंग दान कर सकते हैं?

अगर आप अंगदान करना चाहते हैं तो कोई भी शख्स दो आंखें, 2 किडनी, हार्ट, लीवर, पेनक्रियाज, छोटी आत, फेफड़े और त्वचा जैसे 8 चीजों का दान कर सकता है। सामान्यतः 8 तरह का ही अंग दान होता है लेकिन एक इंसान अगर चाहे तो 50 तरह के ट्रांसप्लांट कर सकता है।

अंगदान में समस्या

अंगदान के कुछ अपने नियम और कानून होते हैं उनका पालन करना होता है। जैसे-

सड़क दुर्घटना के दौरान केवल उसी व्यक्ति का अंगदान हो सकता है। जिसकी मौत हॉस्पिटल में हुई है। अधिकांश लोग दुर्घटना स्थल पर ही मर जाते हैं जिससे उनसे कोई अंगदान में नहीं मिल पाता।

लोग अभी जागरूक नहीं है। इसीलिए इसे गलत मानते हैं। बहुत सारे लोग अंगदान के लिए पंजीकरण ही नहीं करा पाते हैं। कुछ बीमारियों से पीड़ित लोग दान नहीं कर सकते जैसे कैंसर, संक्रमण, एड्स और भी किसी गंभीर बीमारी इत्यादि।

अंगदान की प्रक्रिया

अंगदान के लिए अपने जीवित काल पंजीकरण कराना पड़ता है जिसके बाद दाता कार्ड मिलता है। अंगदान के समय इस कार्ड का होना आवश्यक है। दान के समय परिजनों का होना जरूरी होता है।

मृत्यु के पश्चात  अंगदान कानूनी नियमों के आधार पर होता है। मृतक का सबसे करीबी रिश्तेदार अंगदान के लिए हस्ताक्षर कर सकता है। किसी भी उम्र में अंगदान किया जा सकता है। 18 साल से कम उम्र में अंगदान करने के लिए माता-पिता की अनुमति या किसी रिश्तेदार की अनुमति का होना आवश्यक है।

निष्कर्ष

अंगदान एक महादान है। अभी दुनिया में अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं है इसीलिए लोग इसे गलत समझते हैं। लेकिन इंसानियत के नाते हमें अंगदान के प्रति जागरूक होना चाहिए। सोचिए कितना पुण्य की बात है कि आपकी वजह से किसी की दुनिया रोशन हो सकती है।

और उसे भी प्रेरणा मिलेगी की वह भी अपना जीवन काल समाप्त होने से पहले किसी की दुनिया रोशन कर जाए। धीरे धीरे ऐसा करते रहने से समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।

जैसे हर चीज के दो पहलू होते हैं नकारात्मक और सकारात्मक वैसे ही अंगदान के भी दो तरीके हैं वैध और अवैध। अवैध तरीकों की डर की वजह से लोग अंगदान से पीछे हटते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए अगर इस दुनिया से जाते जाते आप किसी को जिंदगी दे सकते हैं तो जरूर दीजिए।