ओड़िशा पर निबंध – Essay on Odisha in Hindi

नमस्कार दोस्तों! इस पोस्ट में आपको ओड़िशा पर निबंध (Essay on Odisha in Hindi) के बारे में जानकारी देने वाला हु। ओड़िशा जिसे पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता था, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। ओड़िशा उत्तर में झारखंड, उत्तर पूर्व में पश्चिम बंगाल दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में छत्तीसगढ से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है।

ओड़िशा जिसे पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता था, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। ओड़िशा उत्तर में झारखंड, उत्तर पूर्व में पश्चिम बंगाल दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में छत्तीसगढ से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है।

ओड़िशा पर निबंध (Essay on Odisha in Hindi)

भारत के स्थित उड़ीसा का नाम भारत के खूबसूरत राज्यों में शुमार किया जाता है। यह भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसे कलिंग प्रदेश भी कहा जाता है। प्रकृति ने जहाँ इस प्रदेश को अपनी खूबसूरती से चुन-चुनकर नवाजा है, वहीं इस प्रदेश पर ईश्वर की कृपा भी कृपा भी भरपूर दिखाई पड़ती है। यहाँ हरियाली और जल दोनों ही अथाह मात्रा में मौजूद है। इसी के कारण यहाँ का माहौल सुरम्य, शांत व सुंदर है।

उड़ीसा को आस्था और धर्म की नगरी भी कहा जाता है। जगन्नाथपुरी की विशाल व अद्भुद रथयात्रा जहाँ लाखों-करोड़ों धर्मावलंबियों को ‘पुरी’ खीच लाती है, वहीं यहाँ के सुंदर समुद्र तट नौजवानों के लिए उड़ीसा को एक बेहतर टूरिस्ट स्पॉट बनाते हैं। एक प्रकार से उड़ीसा कला, शिल्प व सुंदरता का सुंदर संगम है।

उड़ीसा का धार्मिक पक्ष

उड़ीसा मंदिरों का भी राज्य है। यहाँ के मंदिर वास्तु एवं शिल्प की दृष्टि से बेजोड़ व अनूठे है। उड़ीसा का प्रमुख आकर्षण जगन्नाथ पुरी है। प्रतिवर्ष आषाढ़ माह की ‘बीज’ को निकलने वाली यहाँ की रथयात्रा (श्रीकृष्ण, बलभद्र, सुभद्रा) विश्व प्रसिद्ध है। तीनों भगवानों की प्रतिमा से सुसज्जित इन खूबसूरत रथों के दर्शन मात्र को श्रृद्धालु दूर-दूर से जगन्नाथपुरी पहुँचते हैं।

ड़ीसा के प्रमुख मंदिर

जगन्नाथ मंदिर, कोर्णाक, लिंगराज, मुक्तेशवर, 64 योगिनी मंदिर, राजा-रानी मंदिर आदि।

बौद्ध स्मारक : धौली, ललितगिरी, रत्नागिरी, उदयगिरी, पद्मापुर, देओगढ़, प्राची वेली, कुरूमा, बिश्वनाथ हिल। जैन स्मारक : खंडागिरी और उदयगिरी।

उड़ीसा के प्रमुख नगर

भुबनेश्वर

यह उड़ीसा की राजधानी व एक खूबसूरत पर्यटनस्थल है। इसे हम अतीत और वर्तमान का समावेश स्थल भी कह सकते हैं। ‘भुबनेश्वर’ का अर्थ है – देवताओं के रहने का स्थान। भुवनेश्वर मंदिरों का नगर है। यहाँ कई प्राचीन मंदिर व ऐतिहासिक धरोहरे है, जिनकी संख्या लगभग 500 से अधिक है। भुवनेश्वर यात्रा के दौरान आप शिशुपालग्रह, मुक्तेश्वर मंदिर, हिरापुर, अत्री, नंदकानन आदि स्थलों को देखने का भी लुत्फ उठा सकते हैं।

लिंगराज मंदिर

इसे उड़ीसा के खूबसूरत मंदिरों में शुमार किया जाता है। इस मं‍दिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर पूर्णत: शिवलिंग नहीं है। यह हरि और हर की संयुक्त प्रतिमा है, जिसमें आधा भाग शिव का और आधा भाग विष्णु का है।

जगन्नाथपुरी

essay on odisha in hindi: उड़ीसा के ‘पुरी’ की धार्मिकस्थल के रूप में भी है। इस तीर्थस्थल की ख्याति हिंदुओं के चारों धामों के समान ही है। यहाँ भगवान विष्णु जगन्नाथ के अवतार में मूर्ति रूप में विराजित है। लगभग 65 मीटर ऊँचा भगवान जगन्नाथ का मंदिर वास्तु-शिल्प की दृष्टि से भी उत्कृष्ट है।
जगन्नाथपुरी की रथयात्रा यहाँ का मुख्य आकर्षण है, जिसे देखने पूरी दुनिया के दूर-दराज इलाकों से तीर्थयात्री पुरी आते हैं। पुरी में जगन्नाथ मंदिर के अलावा यहाँ का सुंदर समुद्र तट भी दर्शकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

कोर्णाक

कोर्णाक का ‘सूर्य मंदिर’ ‍विश्वप्रसिद्ध है। इस मंदिर की दीवारों पर गोल चक्रनुमा खूबसूरत आकृतियाँ उकेरी हुई है। यह मंदिर विशाल रथ की आकृति में बना है तथा मूर्तिकला की दृष्टि से अनूठा व बेजोड़ मंदिर है। यहाँ आकार पर्यटकों को एक असीम शांति का अनुभव होता है। खूबसूरत मंदिरों के साथ ही यहाँ का सुंदर समुद्र तट ‘चंद्रभागा’ पर्यटकों की यात्रा की थकान मिटाने व मौज-मस्ती करने के लिए एक बेहतर स्थान है।

कोर्णाक महोत्सव

उड़ीसा को प्रकृति ने 500 किमी लंबी समुद्रतट रेखा से नवाजा है। ‍जिसके कारण यहाँ बहुत से खूबसूरत समुद्र तट है। यहाँ के प्रमुख समुद्र तटों में पुरी, गोपालपुर, चंडीपुर, चंद्रभंगा, आर्यापल्ली, पाराद्वीप आदि है।

‘गोपालपुर समुद्र तट’ उड़ीसा के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। एक समय यह ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रमुख बंदरगाह हुआ करता था। परंतु ब्रिटिशों के भारत छोड़कर जाने के बाद गोपालपुर उड़ीसा का एक शांत व सुरम्य समुद्र तट बन गया।

उड़ीसा में वन्य जीव

उड़ीसा की ‘चिल्का झील’ का नाम दुनिया की बड़ी खारे पानी की झीलों में शुमार किया जाता है। यह झील लाखों प्रवासी पक्षियों व समुद्री जीवों के लिए आश्रयस्थली भी है। यहाँ पर मछलियों की 200 से अधिक प्रजातियाँ विकसित हो रही है। इसी के साथ ही उड़ीसा के घने जंगल जीव-जंतुओं के लिए एक ख़बसूरत आरामगाह की भूमिका अदा करते हैं। यहाँ की हरियाली व पहाड़ों के सीने को चिरकर निकलते छोटे-बड़े झरने वन्यजीवों को यहाँ रहने के लिए एक अच्छा माहौल प्रदान करते है।

उड़ीसा की वाइल्ड लाइफ सेन्च्युरी

उड़ीसा में कई छोटे-बड़े वन्यजीव अभ्यारण्य है, जिनमें आपको कई प्रकार के दुर्लभ वन्यजीवों की प्रजातियाँ देखने को मिलेगी। यहाँ के वन्यजीव अभ्यारण्यों में भीतरकर्निका, चिल्का, किरपाडा, गहिरमाथा, नंदन कानन सिमलीपाल, अम्बापानी आदि प्रमुख है।

‘भीतरकर्निका वाइल्ड लाइफ सेन्च्युरी’ उड़ीसा की प्रसिद्ध वाइल्ड लाइफ सेन्च्युरी है। यहाँ कछुओं की कई दुर्लभ प्रजातियाँ संरक्षित है। यहाँ का विशेष आकर्षण ‘ओलिवरिडले’ नामक दुर्लभ प्रजाति के कछुए है। इतना ही नहीं यह सेन्च्युरी सुंदरवन के बाद सदाबहार वनों से आच्छादित भारत की दूसरी बड़ी वाइल्ड लाइफ सेन्च्युरी है।

उड़ीसा के प्रमुख त्योहार व धार्मिक आयोजन : उड़ीसा के धार्मिक आयोजन में जगन्नाथ रथयात्रा, चंदन यात्रा, बाली यात्रा आदि प्रमुख है। यहाँ के प्रमुख त्योहार महाशिवरात्री, बसंत पंचमी, मकर संक्रांति, सावित्री व्रत, माघ सप्तमी आदि है।

इसी के साथ उड़ीसा के प्रमुख आयोजनों में कलिंग महोत्सव, कोर्णाक उत्सव, राजा-रानी संगीत महोत्सव, पुरी बीच महोत्सव, खंडागिरी उत्सव आदि है।

इस प्रकार अपने में असीम प्राकृतिक सुंदरता को समेटे उड़ीसा की हसीन वादियाँ पर्यटकों के स्वागत को तैयार है। तो क्यों न इस बार उड़ीसा की यात्रा का प्लॉन किया जाएँ तथा अपनी छुट्टियों को यादगार बनाया जाएँ।

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