युवा पीढ़ी पर निबंध – Essay On New Generation in Hindi

युवा पीढ़ी को देश की रीड़ की हड्डी कहा जाता है। यह वह पीढ़ी है जिसमे बचपना भी है और गंभीरता भी। देश की उन्नति में इनका विशेष योगदान रहता है,ये देश के मुख्य भाग होते है। देश का भविष्य इन्ही युवाओं पर निर्भर करता है।

युवा अवस्था में इनके अंदर जागरूकता होती है,कुछ करने का जोश होता है,उमंग होती है,फुर्ती होती है। हमारे देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा युवे वर्ग है। युवा पीढ़ी उनको कहा जाता है जिनकी उम्र 14 से 40 साल के बीच होती है। एक युवा वह होता है जो बच्चा नही है और उसका वयसकत में प्रवेश बाकी है।

युवा पीढ़ी पर निबंध – Long and Short Essay On New Generation in Hindi

युवा शब्द जीवंतता, जोश,उत्साह से जुड़ा हुआ है। इन्ही से देश के भविष्य का निर्माण होता है। भगत सिंह,चंद्रशेखर आज़ाद,सुभाष चंद्र बोस युवा थे जब उन्होंने अपने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। युवा सदैव ही नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक होते है और बहुत जल्दी सीख भी लेते है।

उनके भीतर ऊर्जा होती है वे रुढ़िवादिता का डट कर विरोध करते है और पुराने अनर्गल रीति-रिवाजों का खंडन करते है। वे दुनिया को एक नई दिशा दिखाने का सामर्थ्य रखते है।उनके अंदर एक नेता का स्वभाव,एक तेज़ होता है वे पूरी निष्ठा के साथ गलत को गलत बोलने का साहस रखते है,उन्हें किसी से भय नही लगता है।

यदि हम देश के युवाओं को मजबूत बनाना चाहते है तो  सर्वप्रथम हमे उन्हें शिक्षित करना होगा,क्योंकि शिक्षा से ही उनका मस्तिष्क मजूबत होता है,सोचने-समझने की क्षमता जागृत होती है।

माता-पिता को सदैव ही इसको एक कर्तव्य के रोकप में समझना चाहिए,बच्चों को शिक्षा प्रदान करना उनका कर्तव्य है वही बुढ़ापे में अपने माता-पिता की देखभाल करना बच्चों का कर्तव्य है। भारत में युवा एक प्रतिभाशाली लोगों का समूह है जो विभिन्न स्तरों में देश को गौरवान्वित करते है। युवाओं ने खेल प्रतियोगिताओं में अनेकों पदक प्राप्त किये है.

यह इस बात का प्रमाण है कि वे कितने प्रतिभाशाली है लेकिन साथ ही हम इस तथ्य को नकार नही सकते है कि आज भी देश में बेरोज़गारी अपनी चरम सीमा पर है,कई युवा हताश और निराश हो गये है जिसके कारण वे अधिकतर आत्महत्या जैसा कानूनी अपराध कर बैठते है। इस क्षेत्र में सुधार हेतु अभी भी हमे एक बहुत लंबा रास्ता तय करना है।

वर्तमान समय में युवा तर्कसंगत बात करना ज्यादा उचित समझते है,वे कट्टरपंथी विचारधारा के समर्थक होने का प्रतिनिधित्व करते है,पर कभी -कभी उनकी यह सोच काफी नकारात्मक प्रतीत होती है। जरूरी यह भी नही है कि वे सदैव जो कहते है वही सही होता है ऐसी अवस्था में उन्हें बड़ो द्वारा समझाने की आवश्यकता होती है।

जहां एक ओर कुछ युवा ऐसे होते है जो देश को उन्नति के मार्ग पर ले जाते है वही दूसरी ओर कुछ ऐसे होते है जो अपनी अत्यधिक आधुनिक विचारधारा के कारण देश को डूबा देते है और समाज के लिए एक खराब उदहारण के रूप में प्रस्तुत होते है।

देखा जाए तो कुछ युवाओं नास्तिक होना आधुनिकता का अंग समझते है,उन्हें लगता है कि भगवान को ना मानना उन्हें आधुनिक बनाता है और इसलिए वे आस्तिकों की खीली उड़ाते है और उन्हें पिछड़ा हुआ समझते है ।

यह बिल्कुल गलत है, मैं ये नही कहती कि सब भगवान को माने ये सबकी स्वयं की इच्छा होती है परंतु जो ईश्वर पर आस्था नही रखते ,नास्तिक होते है उनके अपने कुछ तर्क होते है वे उनके अनुसार इस विचारधारा का समर्थन करते है,मात्र आधुनिकता के लिए नही परंतु युवा सिर्फ आधुनिक बनने के लिए ऐसा करते है। ईश्वर को न मानना आधुनिकता नही दर्शाता है। इसके अलावा कुछ युवाओँ को यह लगता है कि सिर्फ छोटे कपड़े पहना आधुनिकता होती है परंतु ऐसा नही है कपड़ो से आधुनिकता का बोध नही होता है,कपड़े छोटे हो या बड़े उससे फर्क नही पड़ता है।

युवाओं के सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत तो स्वयं भगवान श्री राम है उनके जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है,जब उन्हें वनवास हुआ था तो वे युवा ही थे और फिर उनका सम्पूर्ण जीवन संघर्ष का एक पथ था जिसपे सिर्फ वही चल सके। श्री राम के अतिरिक्त अन्य कई ऐसी हस्तियाँ है जो युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है.

जैसे भगत सिंह,सुखदेव, राजगुरु,नेताजी सुभाषचंद्र बोस,मैरीकॉम इत्यादि।इन लोगो के जीवनी पर अगर हम नज़र डाले तो पाएंगे कि इन लोगो का जीवन हर तरह की सुख सुविधाओं से पूर्ण नही था परन्तु इनके अंदर का दृन्ह निश्चय ही इन्हें की सफलता की उचाईयों तक लेकर गया। इन लोगो को अपने मार्ग में अनगिनत मुश्किलों का सामना करना पड़ा परन्तु इन लोगो ने कभी हार नही मानी और निरंतर अपनी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहे।