राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर निबंध – Essay On National Cancer Awareness Day in Hindi

भारत में प्रतिवर्ष 7 नवम्बर को कैंसर के लक्षणों और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के अनुसार, वैश्विक स्तर  कैंसर दूसरी सबसे घातक बिमारी है, जो मौत का प्रमुख कारण बनती है। 2018 लगभग 18 मिलियन मामले विश्व स्तर पर थे, जिनमें से1.5 मिलियन अकेले भारत में थे। 2018 में, वैश्विक रूप से कुल 9.5 मिलियन मौत के मामले में भारत में लगभग 0.8 मिलियन कैंसर से मौतें हुई थी।

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर निबंध – Essay On National Cancer Awareness Day in Hindi

इस दिन को पहली बार 2014 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन द्वारा घोषणा के बाद मनाया गया था। यह दिन वैज्ञानिक मैरी क्यूरी (Marie Sklodowska Curie) की जयंती का दिन है, जो भौतिक में 1903 के नोबल पुरस्कार की विजेता हैं।

कैंसर को फैलने से रोकने के उद्देश्य से देशभर में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 7 नवंबर 2014को देश भर में मनाया गया। कैंसर एक गैर संचारी रोग है। यह देश में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। स्वास्थ्य जीवन शैली, खाने पीने में फल और सब्जियों का अधिक सेवन और तंबाकू उत्पादों से दूर रहकर कैंसर होने के खतरे से बचा जा सकता है।

देश में कैंसर के 29 लाख मामले थे और 1.1 लाख नए मामले सामने सालाना रिपोर्ट किये जा रहें है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार देश में प्रतिवर्ष 10 लाख से अधिक कैंसर के मामले आते हैं और 4 लाख से अधिक लोग तंबाकू का सेवन से कैंसर का एक प्रमुख कारण है और पुरुषों में 45 प्रतिशत नए कैंसर के मामले तंबाकू सेवन के कारण ही होते हैं। महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले सबसे अधिक हैं। हमारे यहाँ कैंसर के अस्पतालों की कमी तो है ही, बड़े अस्पतालों तक गरीबों की पहुँच भी बड़ी मुश्किल है।

इन कारणों से अस्पतालों में पहुँचने से पहले या आधे-अधूरे इलाज से तमाम लोगों की मौत हो जाती है। इसे देखते हुए अब केन्द्र सरकार ने कैंसर के सस्ते इलाज के लिए कुछ कदम उठाए हैं। इसके लिए एक नेशनल कैंसर ग्रिड (एनसीजी) बनाया गया है। दरअसल एनसीजी देशभर के सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों का समूह है, जिसने टाटा मेमोरियल अस्पताल की मदद से ‘नव्या एप’ का गठन किया है। यह मरीजों और उनके तिमारदारों के दरवाजों तक विशेषज्ञों की राय और इलाज के तौर तरीकों को पहुंचाने में मदद कर रहा है।

नेशनल कैंसर ग्रिड में देश-विदेश के 170 कैंसर अस्पताल शामिल हैं। इन अस्पतालों के डॉक्टरों ने विशेष तौर पर भारत के कैंसर मरीजों के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इससे एक बार डॉक्टर को दिखा लेने के बाद मरीज को बार बार डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा। इस एप में मरीज का डाटा डालकर विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श हासिल किया जा सकेगा।

फिलहाल गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के लिए नाव्या की सेवाएं मुफ्त हैं। अन्य मरीजों के लिए 1,500 रुपये से लेकर 8,500 रुपये तक का शुल्क लिया जाता है। प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना का संचालन करने वाली संस्था  राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) भी गरीबों के कैंसर के इलाज के लिए नाव्या एप की सेवाएं लेने की तैयारी में हैं।

नव्या के संस्थापक और चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ नरेश रामाराजन का मानना है कि कैंसर से अर्थव्यवस्था पर दो तरह से प्रभाव पड़ता है। एक तो मरीजों के परिवार पर और दूसरा भारत के स्वास्थ्य बजट पर। अगर परिवार का एक सदस्य भी कैंसर से पीड़ित हो जाता है तो उसके इलाज के लिए करीब 50 प्रतिशत लोग कर्ज लेते हैं या घर बेच देते हैं।

करीब तीन से पांच फीसद लोग तो इलाज की वजह से गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। सरकार की ऐसी योजनाओं का अभी बहुत प्रचार- प्रसार नहीं हुआ है। जरूरत इस बात की है कि इन योजनाओं की जानकारी जनता तक पहुँचाई जाए, ताकि गरीबों को कैंसर से राहत मिल सके।