देश के प्रति मेरा कर्त्तव्य पर निबंध – Essay on My Duty towards my Country in Hindi

इस पोस्ट में देश के प्रति मेरा कर्त्तव्य पर निबंध (Essay on My Duty towards my Country in Hindi) के बारे में चर्चा करेंगे। देश के किसी भी व्यक्ति के कर्तव्यों का आशय उसके/उसकी सभी आयु वर्ग के लिये उन जिम्मेदारियों से हैं जो वो अपने देश के प्रति रखते हैं।

देश के लिये अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की याद दिलाने के लिये कोई विशेष समय नहीं होता, हांलाकि ये प्रत्येक भारतीय नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार हैं कि वो देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझे और आवश्यकता के अनुसार उनका निर्वाह या निष्पादन अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करें।

उदाहरण 1. देश के प्रति मेरा कर्त्तव्य पर निबंध – Essay on My Duty towards my Country in Hindi

भारत एक धार्मिक, सांस्कृतिक और परंपरागत देश हैं और विवधता में एकता के लिये प्रसिद्ध हैं। हांलाकि, इसे विकास के लिये स्वच्छ, भ्रष्टाचार, सामाजिक संघर्षों, महिलाओं के खिलाफ अपराधों, गरीबी, प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिंग आदि के अन्त के लिये अपने नागरिकों के और अधिक प्रयासों की आवश्यकता हैं।

लोगों को सरकार पर चिल्लाने और दोषी ठहराने के स्थान पर देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को समझना चाहिये। देश की वृद्धि एवं विकास के लिये सभी व्यक्ति व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदार हैं। लोगों को लाओं तुज़ के प्रसिद्ध कथन,“हजारों कोसो की यात्रा एक कदम से शुरु होती हैं” को कभी नहीं भूलना चाहिये।

सभी को अपने मौलिक कर्त्तव्यों के बारे में जानकारी रखनी चाहिये और उन्हें नजरअंदाज किये बिना अनुकरण करना चाहिये। देश के अच्छे और जिम्मेदार नागरिक होने के कारण, सभी को अपने कर्त्तव्य वफादारी से निभाने चाहिये जैसे:

  • लोगों को सरकार के बनाये हुये सभी नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिये। उन्हें प्राधिकरणों का आदर करना चाहिये और कोई नियम नहीं तोड़ना चाहिये साथ ही साथ दूसरों को भी ऐसा करने के लिये प्रेरित करना चाहिये।
  • उन्हें अपने खिलाफ किसी भी अपराध को सहन नहीं करना चाहिये और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिये। उन्हें समाज को नकारात्मक प्रभाव से बचाते हुये अपने सभी नागरिक और सामाजिक कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए।
  • उन्हें जरुरतमंद लोगों के लिये समाधान उपलब्ध कराने चाहिये, बुद्धिमत्ता पूर्ण मतदान करना चाहिये और अपने सभी करों का भुगतान समय पर करना चाहियें।
  • उन्हें समाज के हित के लिये आर.टी.आई. और आर.टी.ई. जैसे अधिनियमों की मदद लेनी चाहिये।
  • सभी को अपने चारों ओर साफ-सफाई रखने के लिये स्वच्छता अभियान में भाग लेना चाहिये। उन्हें बच्चों को बेकार वस्तुओं को कूड़ेदान में डालना और सार्वजनिक वस्तुओं की देखभाल करना सिखाना चाहिये।
  • वो लोग जो समर्थ हैं उन्हें गैस के अनुदान (सब्सिडी) को छोड़ देना चाहिये।
  • सभी को देश और संगी नागरिकों के प्रति ईमानदार और वफादार होना चाहिये। उन्हें एक-दूसरे के लिये सम्मान की भावना रखनी चाहिये और देश के कल्याण के लिये बनायी गयी सामाजिक व आर्थिक नीतियों का भी सम्मान करना चाहिये।
  • लोगों को अपने बच्चों को शिक्षा में शामिल करना चाहिये और उनके स्वास्थ्य और बचपन की देखभाल करनी चाहिये। उन्हें अपने बच्चों को बाल-श्रम और अन्य अपराध करने के लिये मजबूर नहीं करना चाहिये।
  • लोगों को अपने देश को दुनिया में सबसे अच्छा देश बनाने के लिये प्रयास करना चाहिये।

उदाहरण 2. देश के प्रति मेरा कर्त्तव्य पर निबंध – Essay on My Duty towards my Country in Hindi

किसी भी व्यक्ति के कर्त्तव्य उसकी वो जिम्मेदारी हैं जिन्हें उसे व्यक्तिगत रुप से निभाना होता हैं। एक नागरिक जो समाज, समुदाय या देश में रहता हैं, वो देश, समाज या समुदाय के लिये बहुत से कर्त्तव्यों और जिम्मेदारियों को रखता हैं जिन्हें उसे सही तरीके से निभाना होता हैं। लोगों को अच्छाई में विश्वास रखना चाहिये और देश के प्रति महत्वपूर्ण कर्त्तव्यों को कभी भी नजअंदाज नहीं करना चाहिये।

देश का एक नागरिक होने के नाते मेरा देश के लिये कर्त्तव्य

हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आजादी मिले बहुत वर्ष बीत गये जो बहुत से महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष से प्राप्त हुई थी। वो देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों के वास्तविक अनुसरणकर्त्ता थे जिन्होंने लाखों लोगों के साथ अपना अमूल्य जीवन गवाकर स्वतंत्रता के सपने को हकीकत बनाया।

भारत की स्वतंत्रता के बाद, अमीर लोग और राजनेता केवल अपने खुद के विकास में लग गये न कि देश के विकास में। ये सत्य हैं कि हम ब्रिटिश शासन से आजाद हो गये हैं हांलाकि, लालच, अपराध, भ्रष्टाचार, गैर-जिम्मेदारी, सामाजिक मुद्दों, बाल श्रम, गरीबी, क्रूरता, आतंकवाद, कन्या भ्रूण-हत्या, लिंग-असमानता, दहेज-मृत्यु, सामूहिक दुष्कर्म और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों से आज-तक आजाद नहीं हुये।

केवल सरकार द्वारा नियम, कानून, प्राधिकरण, अधिनियम, अभियान या कार्यक्रमों को बनाना काफी नहीं हैं, वास्तविकता में सभी गैर-कानूनी गतिविधियों से मुक्त होने के लिये इन सभी का प्रत्येक भारतीय नागरिकों के द्वारा कड़ाई से अनुसरण किया जाना चाहिये।

भारतीय नागरिकों को वफादारी के साथ देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को पालन गरीबी, लिंग असमानता, बाल श्रम, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और अन्य सामाजिक मुद्दों के उन्मूलन के साथ ही सभी के भले के लिये करना चाहिये। भारतीय नागरिकों को अपना राजनीतिक नेता चुनने के अधिकार हैं जो देश के विकास को सही दिशा में आगे ले जा सके।

इसलिये, उन्हें अपने जीवन में बुरे लोगों को दोष देने का कोई अधिकार नहीं हैं। उन्हें अपने राजनीतिक नेता को वोट देते समय अपनी आँखे खुली रखनी चाहिये और एक ऐसा नेता चुनना चाहिये जो वास्तव में भ्रष्ट मानसिकता से मुक्त हो और देश का नेतृत्व करने में सक्षम हो।

निष्कर्ष

ये भारत के नागरिकों के लिये आवश्यक है कि वो वास्तविक अर्थों में आत्मनिर्भर होने के लिये अपने देश के लिये अपने कर्त्तव्यों का व्यक्तिगत रुप से पालन करें। ये देश के विकास के लिये बहुत आवश्यक हैं जो तभी संभव हो सकता है जब देश में अनुशासित, समय के पाबंद, कर्तव्यपरायण और ईमानदार नागरिक हो।

उदाहरण 3. देश के प्रति मेरा कर्त्तव्य पर निबंध – Essay on My Duty towards my Country in Hindi

देश के प्रति नागरिकों के कर्त्तव्य

भारतीय नागरिकों के विभिन्न पदों के लिये निम्नलिखित जिम्मेदारियाँ हैं:

माता-पिता

माता-पिता देश के प्रति सबसे ज्यादा जिम्मेदार होते हैं क्योंकि वो ही देश के लिये एक अच्छे और बुरे नेता देने के मुख्य स्त्रोत हैं। वो बच्चों के प्राथिमक आधारभूत विद्यालय होते हैं इसलिये उन्हें हर समय चौकस रहना चाहिये क्योंकि वो देश के भविष्य को पोषण देने के लिये जिम्मेदार हैं।

कुछ लालची माता-पिता (चाहे गरीब हो या अमीर) के कारण, हमारा देश आज भी गरीबी, लिंग असमानता, बाल-श्रम, बुरे सामाजिक और राजनीतिक नेता, कन्या भ्रूण-हत्या जैसी सामाजिक बुराईयों को अस्तित्व में रखता हैं और जिससे देश का भविष्य बेकार है।

सभी माता-पिता को देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को समझना चाहिये और अपने बच्चों (चाहे लड़की हो या लड़का) को उचित शिक्षा के लिये स्कूल अवश्य भेजना चाहिये, इसके साथ ही अपने बच्चों के स्वास्थ्य, स्वच्छता और नैतिक विकास की देखभाल करनी चाहिये, उन्हें अच्छी आदतें, शिष्टाचार, और देश के प्रति उनके कर्त्तव्यों को सिखाना चाहिये।

शिक्षक

अपने छात्रों को अच्छा और सफल नागरिक बनाकर देश को अच्छा भविष्य देने में शिक्षक द्वितीय स्त्रोत हैं। उन्हें अपने देश के प्रति अपने कर्त्तव्यो को समझना चाहिये और कभी भी अपने छात्रों के मध्य (अमीर-गरीब, बुद्धिमान- औसत छात्रों में) भेदभाव नहीं करना चाहिये। उन्हें देश के लिए अच्छे नेता और उज्ज्वल भविष्य देने के लिए अपने सभी छात्रों को समान ढंग से पढ़ाना चाहिए।

डॉक्टर

मरीज के लिये डॉक्टर एक भगवान की तरह माना जाता हैं क्योंकि वो उन्हें नया जीवन देता/देती हैं। कुछ लालची डॉक्टरों के कारण देश में उच्च तकनीकी उपचार उपलब्ध नहीं हैं। जो देश के गरीब यहाँ तक कि मध्यम श्रेणी के लोगों के लिये भी बहुत मंहगे है इसलिये वो इन्हें जुटा नहीं पाते हैं।

कुछ सरकारी डॉक्टर अस्पतालों (हॉस्पिटल्स) में अपने कर्त्तव्यों को सही से नहीं निभाते हैं और अपने निजी चिकित्सालयों (क्लीनिकों) को खोल लेते हैं। उन्हें देश में सभी महंगे उपचारों को सभी जरुरतमंदों के लिये किफायती मूल्यों पर उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिये। उन्हें उच्च शिक्षा के बाद विदेश नहीं जाना चाहिये हांलाकि, अपने देश में रहकर देश के बेहतर विकास के लिये कार्य करने चाहिये।

इंजीनियर (अभियन्ता)

इंजीनियर देश के निर्माण विकास कार्य के लिये बहुत ज्यादा जिम्मेदार हैं। उन्हें देश के विकास के लिये अपने ज्ञान और पेशेवर कौशल तकनीकों सकारात्मक तरीके से सही दिशा में प्रयोग करना चाहिये। उन्हें भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं होना चाहिये और अपने कर्त्तव्यों के प्रति वफादार होना चाहिये।

राजनेता

एक देश का स्तर देश के राजनेताओं पर निर्भर करता हैं। एक राजनेता (जो लालची न हो और न ही भ्रष्टाचार में लिप्त हो) देश के विकास में अपनी विभिन्न महान भूमिकाओं को निभाता हैं वहीं एक भ्रष्ट राजनेता देश को नष्ट कर सकता हैं। इसलिये एक राजनेता को अपने कर्त्तव्यों को समझकर देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना चाहिये।

पुलिस सिपाही

पुलिस की नियुक्ति शहर, राज्यों और राष्ट्र स्तर पर विभिन्न स्थानों पर पूरे देश में सुरक्षा, शान्ति और सद्भावना को बनाये रखने के लिये की जाती हैं। वो लोगों की उम्मीद हैं, इसलिये उन्हें अपने देश और लोगों के साथ वफादार होना चाहिये।

व्यवसायी या कारोबारी

एक व्यवसायी का अपने देश के प्रति मुख्य कर्त्तव्य ये हैं कि वो देश में ज्यादा से ज्यादा रोजगार प्रदान करे, न कि विदेशों में और अपने देश की आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ाने के साथ ही देश में गरीबी के उन्मूलन के प्रयास करें। उन्हें किसी तरह के भ्रष्टाचार और तस्करी में शामिल नहीं होना चाहिये।

खिलाड़ी

खिलाड़ियों को अपने खेल और देश के प्रति वफादारी रखनी चाहिये और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार या मैच-फिक्सिंग में शामिल नहीं होना चाहिये क्योंकि वो देश के युवाओं के आदर्श होते हैं।

सामान्य नागरिक (आम-आदमी)

आम आदमी विभिन्न तरीकों से देश के लिये जिम्मेदार हैं। उन्हें अपने निष्ठापूर्ण कर्त्तव्यों को समझना चाहिये और देश के नेतृत्व के लिये अच्छा नेता चुनना चाहिये जो देश को सही दिशा में ले जा सके।

उन्हें अपने घर के साथ-साथ अपने आस-पास के वातावरण को साफ और स्वच्छ रखना चाहिये जिससे कि उनका परिवार स्वस्थ्य, खुशहाल और बीमारी मुक्त बना सके। उन्हें अनुशासित, समय का पाबंद और अपने पेशे के प्रति कर्त्तव्य निष्ठ होना चाहिये।

उदाहरण 4. देश के प्रति मेरा कर्त्तव्य पर निबंध – Essay on My Duty towards my Country in Hindi

एक व्यक्ति अपने जीवन में अपने, परिवार, माता-पिता, बच्चों, पत्नी, पति, पड़ोसियों, समाज, समुदाय और सबसे अधिक महत्वपूर्ण देश के प्रति बहुत से कर्त्तव्यों को रखता हैं। देश के प्रति एक व्यक्ति के कर्त्तव्य इसकी गरिमा, उज्ज्वल भविष्य बनाये रखने और इसे भलाई की ओर अग्रसर करने के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं।

मैं कौन हूँ

मैं एक भारतीय नागरिक हूँ क्योंकि मैनें यहाँ जन्म लिया हैं। देश का/की एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण मैं अपने देश के प्रति बहुत से कर्त्तव्यों को रखता/रखती हूँ जो सभी पूरे किये जानी चाहिये। मुझे अपने देश के विकास से संबंधित विभिन्न पहलुओं के कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिये।

कर्त्तव्य क्या हैं

कर्त्तव्य वो कार्य या गतिविधियाँ हैं जिन्हें सभी को व्यक्तिगत रुप से दैनिक आधार पर देश की भलाई और अधिक विकास के लिये करनी चाहिये। अपने कर्त्तव्यों को पालन वफादारी से करना ये प्रत्येक भारतीय नागरिक की जिम्मेदारी हैं और ये देश के लिये आवश्यक माँग भी हैं।

देश के लिये मेरे क्या कर्त्तव्य है

देश का एक नागरिक वो होता है जो न केवल अपना बल्कि उसके/उसकी पूर्वजों ने भी लगभग पूरा जीवन उस देश में व्यतीत किया हो, इसलिये प्रत्येक राष्ट्र के लिये कुछ कर्त्तव्य भी रखते हैं। एक घर का उदाहरण लेते है जहाँ विभिन्न सदस्य एक साथ रहते हैं हांलाकि, प्रत्येक घर के मुखिया, सबसे बड़े सदस्य द्वारा बनाये गये सभी नियमों एवं प्रतिनियमों का अनुसरण घर की भलाई और शान्तिपूर्ण जीवन के लिये करते है।

उसी तरह, हमारा देश भी हमारे घर की तरह ही है जिसमें विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते है हांलाकि उन्हें कुछ नियमों और कानूनों का अनुसरण करने की आवश्यकता होती है जो सरकार ने देश के विकास के लिये बनाये हैं। देश के कर्त्तव्यों के प्रति वफादार नागरिकों का उद्देश्य सभी सामाजिक मुद्दों को हटाकर, देश में वास्तविक स्वतंत्रता लाकर देश को विकासशील देशों की श्रेणी में लाना होता हैं।

सरकारी या निजी क्षेत्र के कार्यालयों में, कार्य करने वाले कर्मचारियों को समय से जाकर बिना समय व्यर्थ में गवाये अपने कर्त्तव्यों को वफादारी के साथ निभाना चाहिये क्योंकि इस सन्दर्भ में सही कहा गया हैं कि, “यदि हम समय बर्बाद करेंगें तो समय हमें बर्बाद कर देगा।” समय किसी के लिये भी इंतजार नहीं करता, ये लगातार भागता रहता हैं और हमें समय से सीखना चाहिये।

हमें तब तक नहीं रुकना चाहिये जब तक कि हम अपने लक्ष्य तक न पहुँच जाये। हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य अपने देश को वास्तविक अर्थों में महान बनाना हैं।

हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिये और अपने देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को समझना चाहिये। ये केवल हम है, न कि कोई और, जो इससे लाभान्वित हो सकते हैं और शोषित भी। हमारी प्रत्येक गतिविधि सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से (यदि हम सकारात्मक कार्य करेंगें तो लाभान्वित होंगे और यदि नकारात्मक कार्य करेंगें तो शोषित होंगें) प्रभावित करती हैं।

इसलिये, क्यों न आज ये प्रतिज्ञा करें कि अपने ही देश में शोषित बनने से खुद को बचाने के लिये आज से हम प्रत्येक कदम सही दिशा में सकारात्मकता के साथ उठायेगें। ये हम ही हैं जिन्हें अपने देश के लिये सही नेता को चुनकर उस पर राज्य करने का अधिकार प्राप्त हैं। तो हम दूसरों और नेताओं को क्यों दोष दे, हमें केवल खुद को दोष देना चाहिये न कि दूसरों को क्योंकि वो हम हीं थे जिन्होंने माँग के अनुसार अपने कर्त्तव्यों का पालन नहीं किया।

हम केवल अपनी ही दैनिक दिनचर्या में लगे रहे और दूसरों के जीवन, पाठ्येतर गतिविधियों, देश के राजनीतिक मामलों, आदि से कोई मतलब नहीं रखा। ये हमारी गलती हैं कि हमारा देश आज भी विकासशील देशों की श्रेणी में हैं न कि विकलित देशों की श्रेणी में।

निष्कर्ष

ये बहुत बड़ी समस्या हैं हमें इसे हल्कें में नहीं लेना चाहिये। हमें लालची और स्वार्थी नहीं होना चाहिये; हमें खुद और दूसरों को स्वस्थ्य और शान्तिपूर्ण जीवन जीने देना चाहिये। अपने देश का उज्ज्वल भविष्य हमारे अपने हाथ में हैं।

अभी भी खुद को बदलने का समय हैं, हम और भी अच्छा कर सकते हैं। खुली आँखों से जीवन जीना शुरु करके अपने देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिये। हमें अपने हृदय, शरीर, मस्तिष्क और चारों तरफ के क्षेत्रों को साफ करके एक नयी व अच्छी शुरुआत करनी चाहिये।

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