मेट्रो रेल पर निबंध – Essay On Metro Train in Hindi

दिल्ली पिछले कुछ दशकों में जनसंख्या में अभूतपूर्व वृद्धि का सामना कर रही है. इसलिए, वाहनों की संख्या बढ़ाकर  लाखो में पहुंच  गई है, ये मुंबई, कोलकाता और चेन्नई की तुलना में अधिक हैं, आज दिल्ली की सड़कों पर यातायात साइकिल, स्कूटर, बस, कार और रिक्शा का मिश्रण है, जिसके परिणामस्वरूप ईंधन की बर्बादी, पर्यावरण प्रदूषण और रॉड दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या है।

मेट्रो रेल पर निबंध – Long and Short Essay On Metro Train in Hindi

मेट्रो ट्रैन या रेल बिजली से चलने वाली एक परिवहन का साधन है।  यह कैसे अपना कार्य समापन करती है।  मेट्रो में मुखयते दो साधन अनिवार्य होते है मिक्रोकंट्रोलर रिसीवर के साथ वॉइस रिकॉर्डर चिप को पूरी ट्रैन के साथ समपर्क स्थापित किया जाता है जैसे ही सीएसटेम को पॉवर दी जाते ट्रैन आगे की और प्रस्थान करती है।

मेट्रो में जो मिक्रोकंट्रोलर होता है उसके प्रोग्राम पहले से ही निर्देशित होते है जैसे ही अगला स्टेशन आने वाला होता है मिक्रोकंट्रोलर उस स्टेशन का कोड चिप को भेजता है और वीडियो चिप उस कोड को सुनकर ऐनी वाले स्टेशन की घोषणा पहल ही कर देता है जिसके मदद से यात्री जन पहले से स्टेशन पर उतरने की तयारी कर लेते है।

वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार ने समान भागीदारी में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DMRC) नाम की 03.05.1995 को एक कंपनी स्थापित की है.

जिसके फलसवरूप  रेल आधारित (MRTS) मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम की शुरुआत की गई , एमआरटीएस के परिणामस्वरूप यात्रियों के लिए समय की बचत होगी, विश्वसनीय और सुरक्षित यात्रा, वायुमंडलीय प्रदूषण में कमी, दुर्घटना दर में कमी, ईंधन की खपत में कमी, वाहन परिचालन लागत में कमी और सड़क वाहनों की औसत गति में वृद्धि।

हमारे देश में मेट्रो रेल की शुरुवात 24 दिसंबर 2002 को हो गई थी पर इसकी शुरुवात करने का विचार काफी समय से चल रहा था।  वास्तव में मेट्रो के लिए दिल्ली सरकार और केंद्रीय सरकार ने संयुक्त रूप से संबंधित संस्था में सन 1995 में पंजीकरण करवाया और 1996 में 62.5 कि.मी. दूरी के लिए मेट्रो परियोजना को स्वीकृति मिल गई ।

दिसंबर, 2002 में परियोजना को साकार रूप मिल गया। 24 दिसंबर, 2002 को प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हरी झंडी दिखाई और मेट्रो चल पड़ी

इसके आरम्भ करने के पीछे कई करण थे जैसे पर्दूषण की समयस्या, जनसंख्या वृद्धि ,यातायात की समयस्या इत्यादि। इसके अतिरिक्त लोगो को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में बहुत समय लगता था जिसके कारन वो अपने गनतववे स्थान पर समय पर नहीं पहुंच पाते थे।

इन सब बातो को मद्देनजर रखते हए यातायात के ऐसे साधन की आवश्यकता थी जो इन सब समयसायो को सुलझा के जीवन को सुखद भविष्य की और ले जाये और जीवन को सरल बना दे।

डॉ. नीरू मोहन ‘वागीश्वरी’ जी ने क्या खूब लिखा है :-

ट्रेन है मेट्रो बड़ी निराली

भू-तल से ऊपर चलने वाली

समय सभी का यह बचाती

मिनटों में गंतव्य पहुँचाती ||

मैट्रो का लाभ

रेल यातायात की अत्याधुनिक सड़क परिवहन है । यह हमारी राजधानी के लिए एक तरह का चमकार  सिद्ध हुई है । इस साधन के द्वारा  समय, श्रम और धन तीनों की बचत होती है । इसके कारण ही  सड़क यातायात का ट्रैफिक  कुछ कम हुआ है ।

लोग बसों की भीड़- भाड़, धूल , प्रदूषण  और उबाऊ यात्रा से बचकर अब मैट्रो रेल से आरामदायक ढंग से यात्रा करना पसंद करते हैं । मैट्रो रेल के चलने से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पहले से कम हुआ है । मैट्रो रेल पूर्णतया स्वचालित एवं वातानुकूलित सुविधा है ।

तेल न कोयला धुँआ न धूल,

कूड़ा-करकट जाओ भूल,

आज नहीं तो कल बनेगी,

यातायात की जान मेट्रो,

मेट्रो क नियम

इसमें यात्रा करने के लिए लोग टोकन खरीदते हैं अथवा अपेक्षाकृत सस्ते स्मार्ट कार्ड का प्रयोग करते है । मैट्रो रेल भारत की राजधानी की शान कही जा सकती है । इसे साफ-सुथरा रखना स्थानीय जनता का भी  है । यह नियमित समय  पर पूरे नियम से चलती है । मेट्रो के बनाये गए नियमो का उलंघन करना एक दण्डनीये अपराध है। यह राष्ट्र की समपत्ति है और इसके नियमो का पालन करना हर नगरक का कर्तवे है। इस स्वच्छ बनाये रखने के लिए यात्राओं को निर्देश दिए गए है।  मेट्रो में खाने-पीने, धूम्रपान, च्यूंगम खाने पर पूर्ण प्रतिबंध है।

मेट्रो रेल की सुविधाएँ

मेट्रो का निर्माण होने से हमें कई लाभ हुए है जो निमन्लिखित है

काम खर्चे में अधिक से अधिक सुविधा :- मेट्रो क कारण हम कम खर्च में ही बहुत जल्द अपने गन्तवे स्थान पर पहुंच जाते है और इसके साथ साथ समय की भी बचत होते है तथा यात्रा काफी आरामदेय भी हो जाते है।

पर्यावरण की सुरक्षा

इसके निर्माण क अंतर्गत पर्यावरण की सुरक्षा का भी धयान रखा गया है।  प्राचीन रेलों को चलने में कोयले का प्रयोग होता था जिससे वातावरण बबहुत ही प्रदूषित होता था , लेकिन मटेरो के निर्माण से पर्वायवरण के दूषित होने में काफी रहत मिले है और साथ ही साथ जीवाश्म ईंधन की बचत भी हुई है।

समय व चोरी चकारी में कमी

मेट्रो से यात्रा करने से हमारे समय व धन की हानि होने का खतरा भी काम हो गया है क्युकी इससे हमारे साधन व धन के चोरइ होने का खतरा कम हो गया है।  इसका कारण यह है मेट्रो में हर स्थाम पर सी सी टीवी कैमरे लगे है जिसके कारण जान मॉल की हानि की परेशानी काफी हद तक समाप्त हो गई है। इस रेल से सफ़र करने वाले लोगों को टोकन और स्मार्ट कार्ड की व्यवस्था कर दी गयी हैं ताकि अगर आपको नकद पैसे को लेजाने में कठिनाई होते है तो आप स्मार्ट कार्ड के द्वारा भी टिकट करिश सकते है या ऑनलाइन भी बुक कर सकते है।   साधारण  रेल से  यात्रा बेहद लंबी हुआ करती थी जिसमें थोड़ी दूरी पर जाने के लिए भी कम से कम एक दिन लगते थे और लंबी दूरी के लिए कभी-कभी एक हफ्ते भी लग जाते थे। इंसान के विकास के रूप में मेट्रो मुख्य है। मेट्रो के कारण अब दफ्तरों में कर्मचारी समय पे पहुंच जाते और उन्हें    किसी तरह की थकान का भी अनुभव नहीं होता।

विशेष सुविधाये

मेट्रो  के सभी स्टेशनो पर  सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता हैं | इस रेल में आपातकालीन की स्थिति में विशेष सुविधाएं उपलब्ध  हैं |इसमें एलिवेटर का उपयोग, लिफ्ट का प्रयोग और विकलांग लोगों के लिए पहिए वाली गाड़ी की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं | मेट्रो रेल के अंदर सी. सी टीवी कैमरे लगे हुए हैं | इस रेल के अंदर और बाहर जाने के लिए मिक्रोप्रोफेसर के दरवाजे लगे हुए हैं | आज इस रेल का सफ़र दिल्ली के बाहर भी किया जाने लगा हैं |

महिलाओं क लिए विशेष व्यवस्था

मेट्रो में महिलाओं के लिए अलग डिब्बे की वयवसथा की गए है। 2010 से  मेट्रो का प्रथम कोच महिलाओं के लिए आरक्षित करके रखा जाता है। इसके कारण आज महिये रेल से यात्रा करना सुरक्षित समझते है और रात को भी यात्रा करने में सुरक्षित मासूस करते है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ , नारे बहुत सुना रहे ,

बेटी सुरक्षा का कर्तव्य तो दिल्ली मेट्रो निभा रहे |

आरक्षित कोच से दिया हैं , सुरक्षा का एहसास ,

देर रात तक करती नारी काम ,

कारण है , परिवार का मेट्रो पर विश्वास |

मेट्रो की असुविधाएं

माना कि 21वीं सदी को इंसानों के लिए विकास की सदी  हैजहा हर समय विकास कक ही राग गया जाता है  लेकिन विकास में प्राकृतिक संतुलन में बाधा डालना यह इंसानियत को खतरे में डालने जैसा होगा क्योंकि मेट्रो को लागू करने के लिए वृक्षों का एक बहुत बड़ा समूह काटना पड़ा था। विकास अच्छी बात है लेकिन पर्यावरण को असंतुलित करके बेहतर भविष्य की शुरवात तो नहीं की जा सकती।

आज मेट्रो रेल तथा बुलेट ट्रेन की बात हो रही है लेकिन विकास के कारण वृक्षों का विनाश या प्रकर्ति के साथ किसी तर का खिलवाड़ भी नहीं होना चाहिए। मेट्रो ट्रैन की टनल्स को बनने की लगत बहुत ज्यादा आती है।  इसका निर्माण हर जगह नहीं किया जा सकता इसका कारण दूसरा शहर मौजूदा सुविधयो से अपशेत होता है।

मेट्रो का प्रसार

आज मेट्रो की उपयोगिता और सफलता को देखकर इस परियोजना ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। कई रूट बने और शुरू हो गए हैं और नए-नए रूटों पर प्रगति से कार्य चल रहा है। अब तो दिल्ली महानगर के समीप बसे नगरों को छू लिया है। प्रांतीय सीमाओं का भेद मिट गया है। भारत के सभी मेट्रो रेल का निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी ROTEM करती है। दिल्ली में मेट्रो के सफल उपयोग के बाद भारत के अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा वह गुजरात में भी मेट्रो को शुरू करने  का प्रयास किया जा रहा है।

विश्व की प्रथम मेट्रो रेल लन्दन में 1863 में प्रारम्भ हुई यह भूमिगत मेट्रो थी. शंघाई मेट्रो चीन विश्व की सबसे लम्बी मेट्रो रेल प्रणाली हैं. विश्व की सबसे व्यस्ततम मेट्रो चीन की बीजिंग सब वे हैं. विश्व की मेट्रो रेल प्रणाली में सर्वाधिक स्टेशन न्यूयार्क सिटी मेट्रो में हैं.

भारतीय मेट्रो रेल परियोजनाएं

कोलकाता मेट्रो रेल

कोलकाता मेट्रो भारत की प्रथम भूमिगत मेट्रो रेलवे हैं. यह 24 अक्टूबर 1984 को प्रारम्भ हुई. 29 दिसंबर 2010 को मेट्रो रेलवे कोलकाता को क्षेत्रीय रेलवे का दर्जा दिया गया.

दिल्ली मेट्रो रेल

यह भारत की द्वितीय मेट्रो रेल प्रणाली हैं. इसके निर्माण हेतु मेट्रो रेल निगम DMRC की 3 मई 1995 को स्थापना की गई. DMRC ने दिल्ली मेट्रो रेलवे का शुभारम्भ शाहदरा व तीस हजारी के मध्य 25 दिसम्बर 2002 को किया.

बैगलौर नम्मा मेट्रो

बेंगलौर मेट्रो को नम्मा मेट्रो के नाम से जाना जाता हैं. बंगलौर मेट्रो का शुभारम्भ 20 अक्टूबर 2011 को हुआ जब बैयप्प्नहल्ली से एम् जी रोड़ बंगलौर मेट्रो चलाई गई. बंगलौर मेट्रो भारत की तृतीय रेल प्रणाली हैं. इसका संचालन BMRCL द्वारा किया जा रहा हैं.

मुंबई मेट्रो रेल

मुंबई मेट्रो की शुरुआत 8 जून 2014 को 11.4 किमी लम्बे स्टेंडर्ड गेज रेलमार्ग पर वर्सोवा अँधेरी घाटकोपर तक चलाई गई. इसकी संचालक रिलायंस इंफ़्रा हैं. मुंबई मेट्रो भारत की पीपीपी मॉडल पर आधारित पहली मेट्रो रेल प्रणाली हैं.

जयपुर मेट्रो

राजस्थान में जयपुर मेट्रो की शुरुआत 3 जून 2015 से की गई हैं. इसके लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक की सहायता प्राप्त हो रही हैं. इसकी क्रियान्विति हेतु जयपुर मेट्रो रेल कोर्पोरेशनलिमिटेड का गठन किया गया हैं.

चेन्नई मेट्रो

चेन्नई मेट्रो 29 जून 2015 से प्रारम्भ हुई हैं. इसका संचालन जापान के सहयोग से चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड द्वारा किया जा रहा हैं. चेन्नई में वर्तमान में एमआरटीएस प्रणाली भी कार्यरत हैं. यह एक नवम्बर 1995 को प्रारम्भ हुई थी, यह भारत की पहली एलिवेटेड लाइन थी.

रेपिड मेट्रो रेल गुडगाँव

यह रेपिड मेट्रो रेल गुडगाँव लिमिटेड द्वारा संचालित गुडगाँव हरियाणा की मेट्रो रेल प्रणाली हैं. जिसे सिकन्दरपुर में दिल्ली मेट्रो की येलो लाइन से जोड़ा गया हैं. रेपिड मेट्रो भारत में संचालित प्रथम पूर्ण निजी मेट्रो प्रणाली हैं. यह NH 8 को दिल्ली मेट्रो वाया साइबर सिटी गुडगाँव से जोड़ती हैं.

भारत की निर्माणाधीन मेट्रो रेल परियोजनाएं :

कोच्ची मेट्रो

कोच्ची केरल में कोच्ची मेट्रो की आधारशिला 13 सितम्बर 2012 को रखी गई. इसका निर्माण कोच्ची मेट्रो रेल कोर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा फ्रांस व जापान के सहयोग से किया जा रहा हैं.

हैदराबाद मेट्रो

इसकी आधारशिला 26 अप्रैल 2012 को हैदराबाद में रखी गई. इस परियोजना का संचालन लार्सन एंड टुब्रो मेट्रो रेल हैदराबाद लिमिटेड व केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा हैं.

नागपुर मेट्रो

इसकी आधारशिला 21 अगस्त 2014 को नागपुर महाराष्ट्र में रखी गई. इसका संचालन 18 फरवरी 2015 को गठित नागपुर मेट्रो रेल कोर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा हैं. 30 सितम्बर 2017 को नागपुर माझी मेट्रो का ट्रायल रन किया गया. इसे महा मेट्रो भी कहते हैं.

मेगा अहमदाबाद गांधीनगर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट

अहमदाबाद गांधीनगर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की आधारशिला 14 मार्च 2015 को गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल द्वारा रखी गई. इसके लिए एक SPV मेट्रो लिंक एक्सप्रेस गांधीनगर एंड अहमदाबाद कोर्पोरेशन लिमिटेड का गठन किया गया.

लखनऊ मेट्रो

लखनऊ मेट्रो की आधारशिला 27 सितम्बर 2014 को रखी गई. इसके संचालन हेतु लखनऊ मेट्रो रेल कोर्पोरेशन का गठन किया गया. इसकी शुरुआत 5 सितम्बर 2017 को की गई.

नवी मुंबई मेट्रो

इसकी नींव 1 मई 2011 को रखी गई. इसे सिटी एंड इंडस्ट्रियल देवलोपमेंट कारपोरेशन द्वारा संचालित किया जा रहा हैं.

निष्कर्ष

अंत में बस इतना कहना है हर साधन के लाभ और अलाभ होते है यहाँ हम पर निर्भर करता है हम उसका दुरुप्युक्त करते है या सदुपयोग

भारत की ये नई विरासत,

कोई करना नहीं शरारत,

आगे पीढ़ियाँ याद करेंगी,

ऐसा एक अभियान मेट्रो,