मेरे शहर का नाम खड़गपुर है। यह पश्चिम बंगाल में स्तिथ एक छोटा सा नगर है। इसे छोटा भारत भी कहा जाता है क्योंकि यहां विभिन्न संस्कृतियों तथा जातियोँ के लोग रहते है। यह बंगाल का केंद्रबिंदु मन जाता है ।
यह 127 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है यानी 49वर्ग फुट। यह समुद्र से 61 फुट ऊँचाई पर स्तिथ है। पहले यह इतना विकशित नही था पर अब समय के साथ इसमे काफी बदलाव आया है।खड़गपुर की जनसंख्या बहुत है क्योंकि यहां हर जाति के लोग रहते है।पश्चिम मेदिनीपुर ,खड़गपुर का जिला है।
मेरे शहर पर निबंध – Long and Short Essay On Mera Shehar in Hindi
इस शहर में सभी लोग एकता के साथ रहते है। यह एक घाना बस हुआ शहर है ।इसमें लगभग एक लाख से ज्यादा लोग रहते है। यह नगर मुख्य रूप से हिन्दू प्रधान है पर इसके अतिरिक्त यहां मुसलमान, ईसाई, सिख वह अन्य धर्मों के लोग रहते है। यहां के लोग काफी परिश्रमी एवं अनुशासित है।हर मुसीबत में हमे इनकी एकता का प्रमाण मिलता है।
खड़गपुर के लोगों का मुख्य व्यवसाय व्यापार है परंतु इसके अलावा अन्य कार्यों में भी यहां के लोग संलग्न है।पहले खड़गपुर का रेलवे स्टेशन विस्व का सबसे लंबा स्टेटशन था पर अब गोरखपुर रेलवे स्टेशन ने इसकी जगह ले ली।
खड़गपुर की सबसे बड़ी पहचान यह है कि यहां आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) है। यहां के प्रौद्योगिकी संस्थान को पहले परिसर के लिए चुना गया था। इसका यहां होना नगर के महत्व को और अधिक बढ़ा देता है। देश के कोने -कोने से विद्यार्थी यहां पढ़ने आते है। आईआईटी खड़गपुर को गरिमा और गौरव प्रदान करता है।
यदि यहां के वातावरण की बात की जाए तो वह बिल्कुल साफ सुथरा एवं स्वछ है। यहां चारों ओर हरियाली है सुबह की शांत शीतल हवा में को तरोताज़ा कर देती है। यहां न गाड़ियों के हॉर्न का शोर है,ना कारख़ानों की आवाज़। खड़गपुर में हर त्योहार को महत्व दिया जाता है,हर उत्सव में लोग एकजुट होकर खुशियां मनाते है और भाईचारे का प्रतिनिधित्व करते है। यहां मेले लगते है जहां तरह तरह की चीज़े मिलती है जैसे स्वादिष्ट पकवान,खिलौने आदि,इसमे करतब भी होते है और लोग उसका आनंद उठाते है।
यहां जगन्नाथ पूजा की रथ यात्रा भव्य होती है जिसकी तुलना लोग पुरी की रथ यात्रा से करते है। इसके अतिरिक्त खड़गपुर में दशहरा का पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है जिसका वर्णन शब्दों में करना सँभव नही। इस दिन रावण मैदान में खडगपुर का हर एक निवासी उपस्थित होता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मानता है।
यूं तो बंगाल मुख्य रूप से दुर्गा पूजा के लिए जाना जाता है खड़गपुर में भी इसका बहुत महत्व है लोग चार दिन सुबह से रात तक पूरे नगर का भ्रमण करते है और आनंद लेते है।
आज खड़गपुर में बहुत सारे मॉल भी खुल गए जिसमे से बिग बाजार लोगों का सबसे पसंदीदा है। जब किसीको कुछ खरीदना होता है या दोस्तों के साथ घूमने होता है तो वे यही जाना सबसे अधिक पसमद करते है।
इसके अतिरिक्त यहां काजी नए और बड़े होटल भी खुले है । यह सब दर्शाता है कि अब खड़गपुर भी पुरान्त एवं रूढ़िवादी सोच से बाहर निकल चुका है और प्रगति की ओर अग्रसर हो रहा है। मैं खुदको खुशनसीब समझती हूँ कि मैं यहां की निवासी हूँ क्योंकि मुझे बचपन से शांत वातावरण बहुत पसंद है और खड़गपुर का वातावरण में पसंद के सर्वथा अनूकूल है।
खड़गपुर की एक विशेषता है जिसे केवल खड़गपुर के निवासी ही समझ सकते है और वह यह है कि चाहे आप यहां से किसी अन्य सहर में किसी भी कार्यवश क्यों न चले जाएं लेकिन जब आप दोबारा लौटकर खड़गपुर आते है तो भावनाओं की जो लहर आपके हृदय में हिलौलरे लेती है उसका वर्णन करना असंभव है।
इस जगह में एक अलग प्रकार का सुकून है। खड़गपुर काफी समय से यहां रहने वाले तेरह हज़ार कर्मचारियों के लिए रेलवे उपनिवेशक बना हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग कलकत्ता को खड़गपुर से जोड़ता और यह लगभग 131 किलोमीटर की दूरी पर है। कलकत्ता से खड़गपुर जाने के लिए दो घंटे का समय लगता है।
खड़गपुर वासियों के लिए यह गौरव की बात है कि हमारे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी यहां काम करते थे। वे यहां रेलवे में टिकट कलेक्टर के पद पर नियुक्त थे और साथ ही यहां के सेरसा स्टेडियम में प्रतिदिन क्रिकेट का अभ्यास करते थे। सामान्य तौर पर खड़गपुर एक समृद्ध, स्वछ,और शांत नगर है जहां लोग प्रेम और भाईचारे के साथ मिलकर रहते है।