महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Essay On Mahila Sashaktikaran in Hindi

भारत एक प्रसिद्ध देश है। यह अपनी विरासत, संस्कृति, सभ्यता और परंपरा के लिए जाना जाता है। भारत में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को बराबर का अधिकार दिया जाता है। भारत में महिलाओं को अपने फैसले लेने का अधिकार है। महिलाओं को स्वतंत्रता और अपनी जीवन के अहम फैसले लेने का अधिकार प्राप्त है। इसे महिला सशक्तिकरण कहते हैं।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Long and Short Essay On Mahila Sashaktikaran In Hindi

समाज में महिलाओं का स्तर पुरुष के बराबर करने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। हालांकि पहले समाज में महिलाओं को चारदीवारी के अंदर रखा जाता था। यह सोच अभी भी कहीं कहीं पर है। लेकिन इन्हीं सोचो को खत्म करने के लिए महिला सशक्तिकरण बनाया गया है। महिला हर क्षेत्र में अपना फैसला खुद दे सकती हैं।

महिलाओं को आर्थिक राजनैतिक और सामाजिक मामलों में भी फैसला लेने का अधिकार है। इस देश की आधी आबादी महिलाओं की है इसलिए महिलाओं को सशक्त  होना बहुत जरूरी है। तभी हमारा देश विकास कर सकता है।

महिला सशक्तिकरण क्या है?

हम पहले सशक्तिकरण का अर्थ समझते हैं। सशक्तिकरण का अर्थ होता है- शक्ति में होना अर्थात् सशक्त होना। महिला सशक्तिकरण को आसान भाषा में समझे तो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना , उन्हें आत्म निर्णय का अधिकार देना, समाज में समानता का अधिकार देना। उसको अपने निर्णय खुद लेने का अधिकार प्रदान करना कि उसे क्या पढ़ना है, कब विवाह करना है, किस से विवाह करना है, जीवन के ऐसे महत्वपूर्ण फैसले उसे खुद लेने दिया जाए। राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक निर्णयों में उसे भागीदारी करने का अधिकार मिले। तो इसे महिला सशक्तिकरण कहते हैं।

महिला सशक्तिकरण क्यों आवश्यक है

इस देश में 50 प्रतिशत पुरुष हैं और 50% महिलाएं हैं। पुरुषों का योगदान हर क्षेत्र में जैसे – रोजगार, राजनीति, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में ज्यादा है लेकिन वही महिलाओं का योगदान बहुत ही कम है। इसका अर्थ नहीं है कि महिलाओं के अंदर योग्यता की कमी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि महिलाओं को समाज में दबा के रखा जाता है। उनको चारदीवारी के अंदर रहने को कहा जाता है। और यही कारण है कि महिलाओं का योगदान पुरुषों से कम है।

महिलाओं पर रोक लगाया जाता हैै। कुछ लोगों ने धर्म के नाम पर रोका कुछ लोगों ने अपनी रुढ़िवादीता के नाम पर रोका और कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए रोका। हमेशा किसी ना किसी वजह से समाज में महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका है। लैंगिक सभ्यता स्थापित करनी है महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है। समावेशी विकास महिलाओं की भागीदारी के बिना संभव नहीं हो सकता है। यदि भारत में महिलाओं की भागीदारी बढ़ जाए तो 27% विकास की दर बढ़ सकती है।

भारत में महिला सशक्तिकरण की स्थिति

जनवरी 2020 प्रकाशित विश्व बैंक की रिपोर्ट ‘वूमने बिजनेस एंड लॉ’ के अनुसार आर्थिक तौर पर महिलाओं को सशक्त बनाने के मामले में विश्व के 190 देशों में भारत का स्थान 117 वां है। चिंता की बात तो यह है कि भारत रवांडा और लिसोटो जैसे देशों से पीछे है। और इसका कारण है हमारे देश के लोगों की मानसिकता।

भारत श्रमबल में महिलाओं की गिरावट में विश्व में पहले स्थान पर है ऐसा 2019 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार कहा गया है। और यह भारत के लिए बहुत ही शर्मनाक बात है क्योंकि यहां भारत को मां माना जाता है। और मां एक महिला ही होती है। और ऐसे देश में महिलाओं की स्थिति बहुत ही चिंतनीय विषय है।

निष्कर्ष

हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है यानी आज भी एक पुरुष ही तय करेगा कि महिला किस से बात करेगी , कितना बात करेगी। रुढ़ीगत परंपराएं जिन्हें धर्म के आधार पर उचित करार देने का प्रयास किया जाता है। शिक्षा का अभाव राजनैतिक असंवेदनशीलता और कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण करना जैसी चीजें महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ने से रोकती हैं।

हमें शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। महिलाओं को महिला सशक्तिकरण के बारे में बताना चाहिए। लैंगिक समता विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाना चाहिए। महिलाओं के साथ जुड़े अपराधों का निवारण जल्द से जल्द करना चाहिए। अपराधों के लिए उचित दंड देना चाहिए। तभी महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा।