महाशिवरात्रि पर निबंध – Essay On Mahashivratri in Hindi

महाशिवरात्रि पर्व का संबंध आदिदेव महादेव से है। जिन्हें शंकर शिव रूद्र एवं शंभू जैसे कई नामों से जाना जाता है।ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर महान तेजस्वी अग्नि लिंग के रूप में संसार में प्रकट हुए थे और तब सृष्टि की रचना हुई थी।यह भी कहा जाता है कि उसी दिन शिव पार्वती का विवाह भी संपन्न हुआ था।

महाशिवरात्रि पर निबंध – Long and Short Essay On Mahashivratri In Hindi

भारत समेत पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पर्व पूरे ही आस्था निष्ठा और उत्साह के साथ मनाया जाता है 12 शिवरात्रियों में यह महाशिवरात्रि का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। शैव मत के लोग महाशिवरात्रि के त्यौहार को हर रात्रि भी कहते हैं और आम बोलचाल में इसे हेराथ की संज्ञा भी देते है।

इस पर्व से जुड़ी जो कथा है वह है समुद्र मंथन की समुद्र मंथन के दौरान निकले कई अनमोल वस्तुओं में एक वस्तु कालकूट विष जिससे संसार की रक्षा के लिए भगवान ने कालकूट विष को स्वयं ही पान कर लिया था और उसकी वजह से उन्हें बहुत पीड़ा होने लगी और उनका जो गला था वह नीला पड़ गया कालकूट के इलाज के संदर्भ में ऋषि-मुनियों देवताओं ने सलाह दी भगवान शंकर को कि वह रात भर जागते रहे और  वह सो न पाए इसलिए देवता गण रातभर  संगीत का गान करते रहे नृत्य करते रहे और तभी से यह दिन एक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा इस दिन भक्तगण उपवास भी रखते हैं।

इस कथा के साथ-साथ महाशिवरात्रि पर्व से जुड़ी अनेको पौराणिक कथाएं प्रचलन में है जिन्हें आधार बनाकर यह सिद्ध हो जाता है कि महाशिवरात्रि एक महानतम पर्व है जो कि भगवान शंकर पर केंद्रित है।

अनुष्ठान और पूजा विधि

महाशिवरात्रि के उपलक्ष में भक्तगण भगवान शंकर की नाना प्रकार से पूजा करते हैं उनके लिए व्रत रखते हैं लोक कल्याण के कार्य करते हैं शिव के नाम पर भजन-कीर्तन करते हैं।

भारत में स्थित द्वादश शिव ज्योतिर्लिंगों को विशेष तौर पर स्नान कराया जाता है जैसे कि भभूत स्नान,दुग्ध स्नान गंगाजल स्नान इत्यादि भगवान शंकर का विशेष तौर पर श्रृंगार किया जाता है उन्हें नाना प्रकार के वस्तु चढ़ाए जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन आठों पहर शंकर भोले के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है क्या बच्चे क्या बूढ़े क्या जवान क्या महिलाएं क्या पुरुष हर कोई किसी भी प्रकार का भेदभाव भूल कर के भगवान शंकर के सानिध्य में लोग जाते हैं वंदन करते हैं पूजा-पाठ करते हैं और उनसे सफल जीवन की कामना करते हैं।

सूर्योदय के समय भक्तगण स्नान के लिए प्रसिद्ध जल गुंडों में जाकर के स्नान करते हैं और वहां से जल ले जाकर भगवान शंकर के पर  अर्पित करते हैं। संस्कृत के अद्भुत मंत्रों और लोगों के माध्यम से नाना प्रकार के आवाहन भी करते हैं जैसे से ओम नमः शिवाय इत्यादि।

वैसे तो भगवान शंकर की पूजा के लिए कोई अनुष्ठान नहीं बताए गए हैं क्योंकि वह इतने सहज ही भक्तों पर अपने आशीर्वाद दे देते हैं कि किसी विशेष पूजा की आवश्यकता नहीं होती परंतु शास्त्रों के हिसाब से कुछ बातें बताई गई है जो कि इस प्रकार है।

शिव पुराण के अनुसार

शिवलिंग पर दूध शहद और जल का विशेष बेर के या बेल के पत्ते भी चढ़ाया जाता है।पुण्य कर्म का प्रतिनिधित्व करने वाला बाबा शंकर के शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।फल फूल धूप धन अनाज दीपक आम के पत्ते आदि कई वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं कुछ वस्तुएं जैसे कि तुलसी का पत्ता हल्दी चंपा और केतकी का फूल बॉल शंकर को चढ़ाया नहीं जाता

द्वादश ज्योतिर्लिंग

12 ऐसी जगह है जहां पर भगवान शंकर प्रकट हुए हैं जिन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है जो कि नीचे आपको बताया गया है।

  1. सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है।
  2. श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग।
  3. मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
  4. ॐकारेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदाने देने हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।
  5. नागेश्वर नाथ जो कि गुजरात के द्वारका धाम के पास में स्थित है
  6. बाबा बैजनाथ क्योंकि बिहार झारखंड के सीमा पर स्थित है।
  7. महाराष्ट्र के भीमा नदी के किनारे स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
  8. नासिक से करीब 25 से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है त्रंबकेश्वर।
  9. महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के पास में स्थित वेसल गांव में घूमेश्वर ज्योतिर्लिंग।
  10. उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार से लगभग 150 मिल की दूरी पर स्थित हिमालय में बसें बाबा केदारनाथ
  11. विश्व की प्राचीनतम नगरी जो कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित है काशी विश्वनाथ धाम जिसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है
  12. पुरुषोत्तम श्री राम के द्वारा पूजित और स्थापित तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।

भक्तगण महाशिवरात्रि के पर्व को पूरे भारत में अपने अपने तरीके से विभिन्न मत से बड़े उत्साह के साथ बड़े ही भक्ति के साथ मनाते हैं। उत्तर भारत में लोग महाशिवरात्रि की रात्रि को ठंडाई का जलपान करते हैं शंकर से जुड़े अवधी ब्रज भोजपुरी मैथिली में प्रचलित लोक कथाएं करते हैं लोकगीतों का गान करते हैं और शंकर के बारे में कई आमजन में प्रचलित किवदंती और कथा को बड़े ही रोचकता के साथ सुनते हैं उस पर चर्चा करते हैं।

दक्षिण भारत के देवता लंबी महाशिवरात्रि के दिन बड़े पैमाने पर आयोजन करते हैं अनुष्ठान करते हैं मंदिरों में जाकर के दान पुण्य का कार्य करते हैं कुछ इसी प्रकार ही महाराष्ट्र राज्य में भी महाशिवरात्रि पर्व को बढ़ेगी समर्पण भाव से मनाया जाता है।

हिंदू धर्म के और भगवान शंकर को मानने वाले जो लोग भारत के बाहर विश्व में अप्रवासी के रूप में रहते हैं वह भी बड़े ही श्रद्धा भाव से महाशिवरात्रि पर्व को मनाते हैं इस दिन कई धर्म निष्ठ कार्य भी करते हैं।