जामा मस्जिद पर निबंध – Essay on Jama Masjid in Hindi

जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। यह भारत में पुरानी दिल्ली में स्थित है। यह भारत के प्रसिद्द स्मारक लाल किला के सामने स्थित है। जामा मस्जिद का निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने 17वीं सदी में दिल्ली में कराया था। इसे ‘मस्जिद-ए-जहाँ नुमा’ के नाम से भी जाना जाता है।

कहते हैं कि 5000 से अधिक मजदूरों ने सात वर्ष से अधिक समय तक कार्य करके इस मस्जिद के निर्माण कार्य को पूरा किया। संगमरमर का प्रयोग, चौड़ी सीढियां एवं मेहराबनुमा प्रवेशद्वार प्रसिद्द जामा मस्जिद की विशेषता है। इस मस्जिद में विशाल आयताकार अहाता है जिसकी लम्बाई व चौड़ाई लगभग 75 मीटर एवं 66 मीटर है। इस मस्जिद में लगभग 25000 लोग एक समय में बैठकर नमाज अदा कर सकते है।

भारत की सबसे बड़ी मस्जिद, दिल्ली में जामा मस्जिद है, जिसे मुगल सम्राट शाहजहां ने 1656 ईस्वी में बनाया था। इतिहास का कहना है कि 5,000 कारीगरों ने शाहजहाबाद में पहाड़ी भोज़ाल पर मस्जिद-ए-जहान नूमा या जामा मस्जिद का निर्माण किया था। यहाँ के प्रांगण में 25,000 लोग एक साथ अपनी नमाज़ अदा कर सकते हैं।

उदाहरण 1. जामा मस्जिद पर निबंध – Essay on Jama Masjid in Hindi

पुरानी दिल्ली में इस मस्जिद की वास्तुकला में दोनों हिंदू और इस्लामी शैलियों का प्रदर्शन किया गया था, जो कि आगरा में लाल किले में मोती मस्जिद को दोहराने के लिए बनाया गया था। पौराणिक कथा यह भी कहती है कि मस्जिद की दीवारें एक निश्चित कोण पर झुकी हुयी थी ताकि अगर भूकंप आए, तो दीवारें बाहर की ओर गिरेंगी।

शाहजहां, अकबर के पोते ने 1656 में प्रचलित छद्म-इटालियन शैली को अस्वीकृत कर दिया। विशाल मस्जिद, जिसे मस्जिद-ए-जहांनुमा के रूप में भी जाना जाता है, (जिसका मतलब है दुनिया का दर्शन)।

मुगल वास्तुशिल्प कौशल को दर्शाते हुए यह अपनी दो मीनारों और तीन विशाल गुंबदों के साथ मजबूती से यह दिल्ली में लाल किले के सामने खड़ा है। 25,000 लोग यहाँ के आंगन में अच्छी तरह से 76 x 66 मीटर के आयाम में खड़े हो सकते हैं और अपनी नमाज़ अदा कर सकते है; इसे व्यापक हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला तकनीक से तैयार किया गया है विभिन्न ऊँचाइयों के लगभग 15 गुंबदों को बनाए रखने के लिये 260 स्तंभों का प्रयोग क्या गया है जो मस्जिद की भव्यता को बढ़ाते है।

मस्जिद के दरवाजे क्रमशः 35,39,33 पूर्वी, उत्तरी, दक्षिणी ओर है। दक्षिणी छोर में एक मदरसा था, लेकिन 1857 के विद्रोह में इसे नष्ट कर दिया। पूरे मस्जिद 261 फीट x 90 फीट है, इसके आँगन में एक प्रार्थना स्थल है और मस्जिद का फर्श सफेद और काले पत्थरों के वैकल्पिक पट्टियों से बना है। मुस्लिमों के लिये प्रार्थना स्थल को कालीन से सजावट किया है।

2006 के ब्लास्ट से जामा मस्जिद के भीतर मुसलमानों के मन में जबरदस्त डर पैदा कर दिया। यह शुक्रवार का दिन था, यह एक ऐसा दिन जिसमें अल्लाह ने मस्जिद को बचाया लिया और यह दिल्ली शहर के लोगों के दिलों में सुंदर रूप से आज भी खड़ा है।

त्यौहार उत्सव – Festival Celebration

कई मुस्लिम त्यौहार हैं जैसे ईद जामा मस्जिद में इन त्यौहार को शानदार तरीके से मनाया जाता है। इस्लामी संस्कृति का पवित्र माह जामा मस्जिद में मनाया जाता है। यहां मस्जिद में सूर्यास्त के बाद इफ्तार(सुबह का खाना) और रात्रिभोज का आयोजन किया जाता है।

मग़रिब, दिन की चौथी आवश्यक प्रार्थना होती है। सुहोर का उत्सव, जिसमें सुबह के पहले भोजन का समावेश होता है, दिन की पहली प्रार्थनायें फ़ज्र कहलाती है। मस्जिद अक्सर समुदाय के गरीब सदस्यों को दिन के आरंभ और अंत में मुफ्त भोजन का आनंद लेने की अनुमति देता है।

इसके अलावा, ईद-उल-फितर और ईद-उल-जोहा का मस्जिदों में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। दैनिक प्रार्थना, जमुआह जैसे अनिवार्य प्रार्थनायें जामा मस्जिद में आयोजित की जाती है। शुक्रवार की नमाज़ जिसे सभी मुसलमान मस्जिद में अदा करते है।

अल्लाह के आशीर्वाद पाने के लिए नमाज़ या मुस्लिम प्रार्थना अरबी भाषा में आयोजित की जानी चाहिए। चूंकि ईद के त्योहारों में कई प्रार्थनाएं जामा मस्जिद के अंदर सभी इकट्ठा होकर एक साथ करते है, क्योंकि इस समय प्रार्थना कक्ष हमारी दृष्टि, मन और हृदय को शुद्ध करते है।

ईद संभवतः मुसलमानों के लिए सबसे अधिक प्रतीक्षित त्यौहार है और वे इसे बड़ी श्रद्धा और भाव मनाते हैं यह वह समय होता है जब अल्लाह मुसलमानों पर अपने सभी आशीर्वादों की बारिश करते है, और इस दिन जामा मस्जिद में लोग अपने पापों को धोकर भविष्य में एक नए और समृद्ध जीवन के लिए तत्पर आगे की ओर अग्रसर होते हैं।

पास के आकर्षण स्थान

पुरानी दिल्ली में आप लाल रेत के पत्थर के साथ बनाया गया लाल किला देख सकते है, कुछ जगहों पर इसकी ऊँचाई 18 से 30 मीटर की है। यहाँ प्रकाश और ध्वनि के कार्यक्रम के द्वारा दिल्ली के पूरे इतिहास को यहां से देखा जा सकता है।

चांदनी चौक यहाँ की एक और जगह है, जिसने दिल्ली में कई पर्यटकों को आकर्षित किया है, जो कि लाल किले के ठीक विपरीत स्थित है। इसमें जैन लाल मंदिर है, वहां पक्षीयों का अस्पताल भी है। चांदनी चौक भारतीय व्यापार और वाणिज्य का प्रमुख स्थल है।

इंडिया गेट पर्यटकों के लिए एक और आकर्षण स्थल है। यह एक विशाल आर्चवे 42 मीटर ऊंचा है मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाने वाले इस स्मारक का निर्माण अंग्रेज शासकों द्वारा उन ९०००० भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था, जो ब्रिटिश सेना में भर्ती होकर प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्धों में शहीद हुए थे। गेट के नीचे एक अमर जवान ज्योति जलती है। गेट से किसी को भी राष्ट्रपति भवन का एक स्पष्ट दृश्य मिल सकता है।

इस्कॉन मंदिर, श्री कृष्ण की पूजा की अवधारणाओं की भव्य अभिव्यक्ति है, जो कि वैष्णव धर्म के लिए बहुत से लोगों को आकर्षित करता है। वर्तमान में गीता या हिंदू पवित्र ग्रंथ पढ़ी जाती है और जिसमें भगवान कृष्ण के विचारों के प्रचार व प्रसार को अभिनित किया गया है।

(लोटस टेम्पल) बहाई मंदिर एक हरे भरे हुए परिदृश्य के बीच स्थित है, और विभिन्न धर्मों के लोगों को इस जगह और पूजा करने के लिए परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है।

इन सभी के अलावा, हुमायूं का मकबरा, उनकी पत्नी हाजी बेगम द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह लाल और सफेद रेत पत्थर और काले और पीले संगमरमर का पत्थर का उपयोग करके बनाया गया है।

जंतरमंतर वास्तव में एक वेधशाला है यहां से एक सटीक खगोलीय ठिकाने की गणना कर सकते हैं। राष्ट्रिय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय और राष्ट्रीय रेल संग्रहालय अन्य प्रमुख स्थान है जो पर्यटकों को आकर्षित करते है।

उदाहरण 2. जामा मस्जिद पर निबंध – Essay on Jama Masjid in Hindi

जामा मस्जिद अर्थात शुक्रवार की मस्जिद, दिल्‍ली दुनिया की सबसे बड़ी और संभवतया सबसे अधिक भव्‍य मस्जिद है। यह लाल किले के समाने वाली सड़क पर है।

पुरानी दिल्‍ली की यह विशाल मस्जिद मुगल शासक शाहजहां के उत्‍कृष्‍ट वास्‍तुकलात्‍मक सौंदर्य बोध का नमूना है, जिसमें एक साथ 25,000 लोग बैठ कर प्रार्थना कर सकते हैं। इस मस्जिद का माप 65 मीटर लम्‍बा और 35 मीटर चौड़ा है, इसके आंगन में 100 वर्ग मीटर का स्‍थान है। 1656 में निर्मित यह मुगल धार्मिक श्रद्धा का एक विशिष्‍ट पुन: स्‍मारक है। इसके विशाल आंगन में हजारों भक्‍त एक साथ आकर प्रार्थना करते हैं।

इसे मस्जिद – ए – जहानुमा भी कहते हैं, जिसका अर्थ है विश्‍व पर विजय दृष्टिकोण वाली मस्जिद। इसे बादशाह शाहजहां ने एक प्रधान मस्जिद के रूप में बनवाया था। एक सुंदर झरोखेनुमा दीवार इसे मुख्‍य सड़क से अलग करती है।

पुरानी दिल्‍ली के प्राचीन कस्‍बे में स्थित यह स्‍मारक 5000 शिल्‍पकारों द्वारा बनाया गया था। यह भव्‍य संरचना भौ झाला पर टिकी है जो शाहजहांना बाद में मुगल राजधानी की दो पहाडियों में से एक है।

इसके पूर्व में यह स्‍मारक लाल किले की ओर स्थि‍त है और इसके चार प्रवेश द्वार हैं, चार स्‍तंभ और दो मीनारें हैं। इसका निर्माण लाल सेंड स्‍टोन और सफेद संगमरमर की समानांतर खड़ी पट्टियों पर किया गया है। सफेद संगमरमर के बने तीन गुम्‍बदों में काले रंग की पट्टियों के साथ शिल्‍पकारी की गई है।

यह पूरी संरचना एक ऊंचे स्‍थान पर है ताकि इसका भव्‍य प्रवेश द्वार आस पास के सभी इलाकों से दिखाई दे सके। सीढियों की चौड़ाई उत्तर और दक्षिण में काफी अधिक है। चौड़ी सीढियां और मेहराबदार प्रवेश द्वार इस लोकप्रिय मस्जिद की विशेषताएं हैं। मुख्‍य पूर्वी प्रवेश द्वार संभवतया बादशाहों द्वारा उपयोग किया जाता था जो सप्‍ताह के दिनों में बंद रहता था।

पश्चिमी दिशा में मुख्‍य प्रार्थना कक्ष में ऊंचे ऊंचे मेहराब सजाए गए हैं जो 260 खम्‍भों पर है और इनके साथ लगभग 15 संगमरमर के गुम्‍बद विभिन्‍न ऊंचाइयों पर है। प्रार्थना करने वाले लोग यहां अधिकांश दिनों पर आते हैं किन्‍तु शुक्रवार तथा अन्‍य पवित्र दिनों पर संख्‍या बढ़ जाती है। दक्षिण मीनारों का परिसर 1076 वर्ग फीट चौड़ा है जहां एक बार में 25,000 व्‍यक्ति बैठ कर नमाज़ अदा कर सकते हैं।

यह कहा जाता है कि बादशाह शाहजहां ने जामा मस्जिद का निर्माण 10 करोड़ रु. की लागत से कराया था और इसे आगरा में स्थित मोती मस्जिद की एक अनुकृति कहा जा सकता हैं। इसमें वास्‍तुकला शैली के अंदर हिन्‍दु और मुस्लिम दोनों ही तत्‍वों का समावेश है।

जीवन का एक संपूर्ण मार्ग इस पुराने ऐतिहासिक स्‍मारक की छाया में, इसकी सीढियों पर, इसकी संकरी गलियों में भारत के लघु ब्रह्मान्‍ड का एक सारतत्‍व मिलता है जो भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत की कहानी कहता है।