जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध – Essay On Jallianwala Bagh Hatyakand in Hindi

अगर आज हम आजादी से रह रहे हैं, आजादी से खा रहे हैं और आजादी से घूम रहे हैं तो उसकी वजह है हमें दिलाने के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले महान वीर। हमारे भारत के आजादी का इतिहास महान वीरों की बलिदानों से भरा हुआ है। विश्व में अगर भारत का नाम है तो उन शहीदों की वजह से ही है। ऐसे ही तमाम वीरों की कुर्बानी की दास्तां सुनात है “जलियांवाला बाग हत्याकांड”।

जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध – Long and Short Essay On Jallianwala Bagh Hatyakand in Hindi

अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर स्थित स्थान जिसे ‘जलियांवाला बाग’ के नाम से जाना जाता है। जहां की मिट्टी आज भी वीरों के लहूओं से रंगी हुई है।

13 अप्रैल 1919 का वह दिन था जिस दिन जलियांवाला बाग में एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया था। 20,000 की संख्या में लगभग लोग हंसराज जी का भाषण सुनने के लिए इकट्ठा हुए थे।  जिसमें सिख समुदाय के लोग अधिक थे। लोग भाषण सुनने में लीन थे उसी समय एक बहुत ही क्रूर और निर्दयी ब्रिटिश जनरल डायर यहां पहुंचा और भाषण बंद कराने लगा।

उसके डर से लोग भागने लगे । डायर के साथ 1600 राउंड गोलियों के साथ सैनिक थे। डायर के आदेश पर एन सैनिकों ने सभी दरवाजे बंद करके और चारों ओर से घेरकर लगभग 10 मिनट तक लगातार फायरिंग किया।

और बेकसूर और निहत्थे लोगों को मौत के घाट उतार दिया। कुछ लोग बाग़ में स्थित कुएं में कूद पड़े। और इस तरह पूरा जलियांवाला बाग देखते ही देखते श्मशान घाट में बदल गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अनुसार इस कांड में 1000 लोगों की मौत हुई थी।

जलियांवाला बाग हत्याकांड का असर

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद अंग्रेजों के प्रति लोगों के दिलों में आग लग गई। देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने इस आग को और अधिक भड़काया। और फिर ये आग पूरे देश में फ़ैल गई।

ब्रिटिश जनरल डायर का इस कांड के पीछे उद्देश्य था लोगों के मन में अपना खोफ करना ताकि कोई उसके खिलाफ आवाज बुलंद ना करें। लेकिन इस कांड का असर उल्टा पड़ गया । इस कांड ने भारतीय के मन में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक बहुत ही भयंकर आग लगा दी जनता के ऐसे रुप को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने एक हंटर कमेटी बनाई डायर को बचाने की कोशिश की।

निष्कर्ष

हमें ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारी आजादी वीरों की कुर्बानियों की वजह से ही मिली है। इस दिन को याद करके उन वीरों को याद करते रहना चाहिए।