जयपुर पर निबंध – Essay on Jaipur in Hindi

आज हम इस पोस्ट में जयपुर पर निबंध (Essay on Jaipur in Hindi) यानी गुलाबी शहर पर चर्चा करेंगे। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। चलिए जयपुर निबंध Essay on Jaipur in Hindi पर अलग अलग विचार में लिखे गये शब्द को देखते है.

उदहारण 1. जयपुर पर निबंध – Essay on Jaipur in Hindi

जयपुर, भारत के पुराने शहरों में से एक है जिसे पिंक सिटी के नाम से जाना जाता है। राजस्‍थान राज्‍य की राजधानी कहा जाने वाला जयपुर शहर एक अर्द्ध रेगिस्‍तान क्षेत्र में स्थित है। इस खूबसूरत शहर को अम्‍बेर के राजा महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बंगाल के एक वास्‍तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की मदद से बनाया गया था। यह भारत का पहला शहर है जिसे वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार बनाया गया था।

यह जगह हिंदू वास्‍तुकला का एक शानदार उदाहरण है, जो पिथापड़ा रूप यानि आठ भागों के मंडल में बना हुआ है। राजा सवाई सिंह माधों, खगोलविज्ञान के बारे में जानकारी रखते थे और इसी कारण उन्‍होने 9 के अंक को ज्‍यादा महत्‍व दिया और शहर के निर्माण में 9 का ध्‍यान रखा। यह 9 अंक, 9 ग्रहों के प्रतीक होते है। जयपुर शहर, अपने किलों, महलों और हवेलियों के विख्‍यात है, दुनिया भर के पर्यटक भारी संख्‍या में भ्रमण करने आते है।

दूर – दराज के क्षेत्रों के लोग यहां अपनी ऐतिहासिक विरासत की गवाह बनी इस समृद्ध संस्‍कृति और पंरपरा को देखने आते है। अम्‍बेर किला, ना‍हरगढ़ किला, हवा महल, शीश महल, गणेश पोल और जल महल, जयपुर के लोकप्रिय पर्यटक स्‍थलों में से हैं। मेले और त्‍यौहार महलों और किलों के अलावा जयपुर शहर मेले और त्‍यौहारों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। यहां के लोकप्रिय वार्षिक त्‍यौहारों में से एक जयपुर विंटेज कार रैली है जिसका आयोजन हर साल जनवरी माह में किया जाता है।

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यह कार रैली एक प्रमुख आकर्षण केंद्र होती है जो पर्यटकों के बीच खासी प्रसिद्ध है। कार प्रेमी यहां आकर विंटेज कारों जैसे – मर्सिडीज, ऑस्टिन और फिएट आदि का अद्भभुत संग्रह देख सकते हैं। इनमें से कुछ कारें तो 1900 वीं सदी की है। अन्‍य प्रसिद्ध उत्‍सवों में से एक महोत्‍सव एलीफैण्‍ट फेस्टिवल भी है जिसका आयोजन हर साल होली के अवसर पर किया जाता है जो हिन्‍दूओं का मुख्‍य पर्व होता है।

इस महोत्‍सव में कई रंगारंग सांस्‍कृतिक कार्यक्रम प्रस्‍तुत किए जाते है साथ ही जिंदा हाथियों को सजा कर लाया जाता है। इसके अलावा, गणगौर महोत्‍सव भी यहां काफी लोकप्रिय है गणगौर का अर्थ होता है शिव और पार्वती। गण अर्थात् हिंदूओं के भगवाना शिव और गौर अर्थात् भगवान शिव की पत्‍नी पार्वती। यह त्‍यौहार वैवाहिक जीवन में खुशी का प्रतीक होता है।

जयपुर के कुछ अन्‍य त्‍यौहारों और मेलों में बाणगंगा मेला, तीज, होली और चाकसू मेला भी काफी फेमस हैं। फुर्सत के पल जयपुर में पर्यटक फुर्सत के पल मजे के साथ बिता सकते हैं।

रोमांच प्रेमी यहां आकर ऊंट की सवारी, गर्म हवा के गुब्‍बारों की सैर और रॉक क्‍लाइम्बिंग जैसे खेलों का आंनद उठा सकते है। उत्‍साही लोग अच्‍छा समय व्‍यतीत करने के लिए आस करौली और रणथंभौर जैसे राष्‍ट्रीय उद्यानों की सैर के लिए भी जा सकते हैं। आगंतुक, जयपुर में आकर खरीददारी करना कभी नहीं भूलते है।

यहां के कई बाजारों में विभिन्‍न प्रकार के सरणी, गहने, कालीन, मिट्टी के बर्तन और रत्‍न आदि मिलते है जो बिल्‍कूल अलग और अनोखे होते है। वैसे पर्यटक हस्‍तकला सामग्री, कलाकृतियों, परिधान और ब्रांडेड कपड़े भी जयपुर की एम आई रोड़ से खरीद सकते है। लेकिन आपको यहां के स्‍थानीय बाजारों में खरीदारी करते समय बार्गेनिंग करनी पड़ेगी।

प्रसिद्ध भोजन जयपुर, अपने स्‍वादिष्‍ट, मसालेदार और चटपटे भोजन के लिए जो कि प्‍याज, अदरक और लहसून से मिलकर बनता है के लिए काफी विख्‍यात है। दाल बाटी – चूरमा, प्‍याज की कचौड़ी, कबाब, मुर्ग को खाटो और अचारी मुर्ग यहां के प्रसिद्ध व्‍यंजन है। फूड लवर्स इन सभी व्‍यंजनों को यहां के नेहरू बाजार और जौहरी बाजार में जाकर खा सकते है, यह दोनो ही बाजार स्‍ट्रीट फूड मार्केट हैं जहां सभी प्रकार के स्‍थानीय भोजन के ठेले सड़क के किनारे लगे रहते है।

इसके अलावा जयपुर की प्रसिद्ध मिठाईयां घेवर, मिश्री मावा और मावा कचौड़ी भी देश भर में काफी लोकप्रिय हैं। कैसे पहुंचे जयपुर जयपुर देश के कई मुख्‍य हिस्‍सों से भली – भांति वायु, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।

जयपुर शहर से 13 किमी. की दूरी पर स्थित सांगानेर हवाई अड्डा है जो जयपुर अर्न्‍तराष्‍ट्रीय हवाई अड्डा के नाम से जाना जाता है। यह एयरबेस नियमित रूप से उड़ानों के जरिए मुंबई, चंडीगढ़, दिल्‍ली और हैदराबाद जैसे अन्‍य स्‍थानों से जुड़ी हुई है।

जयपुर जक्‍ंशन रेलवे स्‍टेशन देश के कई गंतव्‍य स्‍थलों से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, पर्यटक राजस्‍थान राज्‍य सड़क परिवहन निगम की सेवाओं का भी लाभ उठा सकते है जिसके अर्न्‍तगत राज्‍य के कई शहरों से जयपुर के लिए बसें चलती है जो काफी सुविधाजनक और सस्‍ती होती है। नई दिल्‍ली से राजस्‍थान राज्‍य सड़क परिवहन निगम की बसें जयपुर तक के लिए सीधी मिलती है।

शहर में भ्रमण करने के लिए और दर्शनीय स्‍थलों पर जाने के लिए जयपुर सिटी ट्रासंपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की बस सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है। जयपुर में साल भर जलवायु एक चरम प्रकार का अनुभव करवाती है।

गर्मियों में दिनों में यहां कभी – कभी ही भंयकर गर्मी पड़ती है जबकि सर्दियों के दिनों में काफी ठंडी होती है। गर्मियों के दौरान पर्यटकों को यहां आने पर अपने साथ हल्‍के कपड़े, टोपी और सनस्‍क्रीन साथ लाने की आवश्‍यकता है। पिंक सिटी घूमने के लिए मार्च से अक्‍टूबर तक का समय आर्दश होता है।

उदहारण 2. जयपुर पर निबंध – Essay on Jaipur in Hindi

जयपुर राजस्थान की राजधानी है। इसे गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यह किले¸महल¸चंद्रमहल रामनिवास उद्यान में स्थित म्यूजियम¸ जलमहल¸ शीशमहल¸ जयगढ़¸ नाहरगढ़ का किला जंतर-मंतर आदि के लिए मशहूर हैं। इसके अलावा दस्तकारी रंग-बिरंगे कपड़ें रतन् एवं राशियों के नगीने और जयपुर की रजाइयाँ भी विश्व-प्रसिद्ध हैं।

गुलाबी लगरी के नाम से मशहूर जयपुर की स्थापना सन् 1727 में आमेर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी। उन्होंने 1699 से 1744 तक शासन किया था। उनकी राजाधानी आमेर थी जो जयपुर से 11 किमी, दूर है। आज यहाँ की जनसंख्या लगभग 50 लाख है। सन् 1833 में जब प्रिंस ऑफ वेल्स जयपुर गए तो उनहोंने पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंग दिया था तब से जयपुर का नाम गुलाबी लगर पड़ गया।

जयपुर अपनी कलाकृति और स्थापत्य कला के ले मशहूर है। इस शहर को भारतीय वास्तकला के अनुसार बनाया गया है। पर्यटन की दृष्टि से जयपुर का एशिया में सातवाँ स्थान है।

यह शिक्षा का भी क प्रमुख केन्द्र है। यहाँ पर 40 से धिक इंजीनियरिंग कॉलेज 27 बिजनेस मैनेजमेंट इस्टीट्यूट 15 फार्मेसी संस्थान 4 होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट 3 मेडीकल कॉलेज और 6 डेंटल कॉलेज हैं। इसके अतिरिक्त 8 विश्वविद्यालय हैं। यहाँ एक एस.एम.एस. क्रिकेट स्टेडियम भी है जहाँ बहुत से अंतर्राष्ट्रीय मैच र इंडियन प्रीमियर लीग मैच भी होते रहते हैं।

जयपुर में सन् 1592 में बने किले एवं महलों में मुगल और हिन्दू वास्तुकला की उत्कृष्टता देखने को मिलती है। यह अलवर अरावली पाड़ियों की गोद में बसा है। यहाँ के सरकारी संग्रहालय में रागों पर आधारित चित्र हैं। इसके अलावा सरिस्का टाईगर संचुरी¸कैसरोली पहाड़ पर किला-यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं।

जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों-हवामहल आमेर का महल¸जयगढञ का किला¸जंतर-मंतर के अलावा तमाशा क प्रसिद्ध लोक नृत्य है। जयपुर में ये तमाशा 18वीं शताब्दी से चला आ रहा है। तमाशा लहरिया से शुरू होता है जो एक विशिष्ट नृत्य है।

जयपुर की संस्कृति और वास्तु एवं सथापत्य कला विश्व भर में प्रसिद्ध है जिसे देखने देश-विदेश से प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते हैं। यह भारत की ही नहीं विश्व का क प्रमुख पर्यटन स्थल है।

उदहारण 3. जयपुर पर निबंध – Essay on Jaipur in Hindi

राजस्थान की राजधानी जयपुर को भारत की पर्यटन राजधानी भी कहा जा सकता है। भारत आने वाला शायद ही ऐसा कोई विदेशी सैलानी हो, जो जयपुर घूमने न जाए। इसे भारत के सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से एक माना जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहते हैं कि शहर को सूत से नाप लीजिए, नाप-जोख में बाल बराबर भी फर्क नहीं मिलेगा।

1896 में उस समय के महाराजा सवाई मानसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से रैंगवा दिया था। तभी से यह शहर गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है।

तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरे इस शहर को 1728 में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने बसाया था। शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में बना एक और द्वार न्यू गेट कहलाया।

प्रजा को अपना परिवार समझने वाले सवाई जयसिंह ने सुंदर शहर को इस तरह बसाया कि यहाँ पर नागरिकों को मूलभूत आवश्यकताओं के साथ अन्य किसी प्रकार की कमी न हो।

अच्छी पेयजल व्यवस्था, बाग-बगीचे, कल-कारखाने आदि के साथ बारिश के पानी का संरक्षण और निकासी का प्रबंध भी करवाया। सवाई जयसिंह ने लंबे समय तक जयपुर में राज किया और इस बीच उन्होंने शहर में हस्तकला, गीत-संगीत, शिक्षा और रोजगार सभी को खूब बढ़ावा दिया।

शहर के मुख्य पर्यटन स्थलों में जंतर-मंतर, हवामहल, सिटी पैलेस, गोविंद देवजी का मंदिर, बी एम बिड़ला तारामंडल, आमेर का किला, जयगढ़ का किला आदि हैं। जयपुर के रौनक-भरे बाजारों में दुकानें रंग-बिरंगे सामान से भरी रहती हैं, जिनमें हथकरघा उत्पाद, कीमती पत्थर, कपड़े, मीनाकारी का सामान, आभूषण, राजस्थानी चित्र आदि शामिल हैं।

इसके अलावा यह संगमरमर की मूर्तियों, जयपुरी रजाइयों और राजस्थानी जूतियों के लिए भी प्रसिद्ध है। आजादी के बाद जयपुर में कई महत्त्वाकांक्षी निर्माण भी हुए हैं। एशिया की सबसे बड़ी आवासीय बस्ती मानसरोवर, राज्य का सबसे बड़ा सवाई मानसिंह अस्पताल, विधान सभा भवन, अमर जवान ज्योति, एम आई रोड, सेंट्रल पार्क इस कड़ी में शामिल हैं।

पिछले कुछ सालों से जयपुर में मेट्रो संस्कृति के दर्शन भी होने लगे हैं। चमचमाती सड़कें, बहुमंजिला शॉपिंग मॉल, अपार्टमेंट संस्कृति आदि महानगरों की होड़ करते दिखते हैं।

आज हम उस शहर की यात्रा पर हैं जिनके साथ अपनापन जुड़ा हैं. जी हाँ राजस्थान के राजधानी शहर जयपुर की बात चल रही हैं, मैं इसी मेट्रो सिटी में रहता हूँ राजस्थान का ही नहीं भारत के अग्रणी दर्शनीय स्थलों में शुमार मेरे जयपुर को पिंक सिटी यानी गुलाबी नगर के नाम से भी जाता हैं.

इसके भवनों की पुताई गुलाबी रंग से होने के कारण इसको यह नाम दिया गया था. राजा महाराजाओं के काल में इस क्षेत्र की राजधानी आमेर हुआ करती थी, जो जयपुर के पास ही स्थित हैं. आमेर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने १७२७ ईस्वी में आमेर से 11 किमी दूर जयपुर नगर को बसाया था.

वर्तमान में जयपुर की कुल आबादी 50 लाख से अधिक हैं. इस शहर के इतिहास से एक महत्वपूर्ण घटना जुडी हुई हैं, जिसके चलते इसका रंग रूप पूरी तरह बदल गया था.

Essay on Jaipur in Hindi: 1833 में जब प्रिंस ऑफ वेल्स के जयपुर आगमन पर महाराजा ने नगर के समस्त भवनों को उनके स्वागत में गुलाबी रंग से पुतवा दिया. तब से यह आज तक परम्परा के रूप में चला आ रहा हैं.

रोजाना हजारों की संख्या में देशी विदेशी पर्यटक जयपुर घूमने के लिए आते हैं. यहाँ के मुख्य आकर्षण प्राचीन किले व दुर्ग के आलावा चंद्रमहल रामनिवास उद्यान में स्थित म्यूजियम¸ जलमहल¸ शीशमहल¸ जयगढ़¸ नाहरगढ़ का किला जंतर-मंतर खासे प्रसिद्ध हैं. जयपुर दस्तकारी रंग-बिरंगे कपड़ें रत्न व राशियों के नगीने और जयपुर की रजाइयाँ में विश्व भर में अपनी एक अलग धाक रखता हैं.

जयपुर शहर की प्रसिद्धि का अन्य कारण उसकी स्थापत्य कला एवं कलाकृति भी हैं. प्राचीन भारतीय वास्तुकला के अनुरूप इस शहर को तैयार किया गया था. पर्यटन के लिहाज से जयपुर एशिया महाद्वीप का सातवाँ बड़ा शहर हैं.

स्वतंत्रता के बाद शहर के विकास पर पर्याप्त ध्यान दिया गया. आज यह शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के हब के रूप में विकसित हो चूका हैं. जयपुर में आज 40 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेज 27 बिजनेस मैनेजमेंट संस्थान 15 फार्मेसी संस्थान 4 होटल मैनेज मेंट संस्थान 3 मेडीकल कॉलेज और 6 डेंटल कॉलेज तथा 8 सरकारी व निजी युनिवर्सिटी भी हैं.

क्रिकेट की बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए सवाई मानसिंह क्रिकेट स्टेडियम भी हैं इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा व मेट्रो प्रणाली के सहारे शहरी जीवन को आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं. जयपुर में सन् 1592 में बने किले एवं महलों में हिन्दू व मुगल वास्तुकला का सुंदर समन्वय देखने को मिलता हैं.

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