क्या धर्म युद्ध का कारण है पर निबंध – Essay on Is Religion the Cause of War in Hindi

इस पोस्ट में क्या धर्म युद्ध का कारण है पर निबंध (Essay on Is Religion the Cause of War in Hindi) पर चर्चा करेंगे। मनुष्य इस धरती पर ईश्वर की सबसे अनोखी रचना के रूप में है। ईश्वर ने हम सभी को अपनी शक्ति के द्वारा एक सामान रूप से बनाया हैं। इसके अलावा हम जिस परिवार में पैदा हुए हैं, उसके अनुसार हमें अलग-अलग धर्मों में विभाजित किया गया है।

हमें विभिन्न मान्यताओं और प्रथाओं के आधार पर विभिन्न धर्मों में वर्गीकृत किया गया है। हमें इतिहास से पता चलता है कि अतीत में धार्मिक युद्धों के कारण कई रक्तपात और विनाश हुए हैं।

क्या हम यह कह सकते है कि अतित और वर्तमान में युद्ध और विनाश के लिए धर्म जिम्मेदार है? यह परीक्षा में पूछे जाने वाला एक महत्वपूर्ण प्रश्न और एक महत्पूर्ण विषय है। मैं यहां इस विषय पर एक लंबा निबंध प्रस्तुत कर रहा हूं, जो स्कूलों और तैयारी कर रहे छात्रों के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।

क्या धर्म युद्ध का कारण है पर निबंध – Essay on Is Religion the Cause of War in Hindi

दुनिया में विभिन्न राष्ट्रों के समाज में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। हिन्दू धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम, बौद्ध, जैन, और पारसी उनमें से कुछ प्रमुख धर्म हैं। धर्म हमारी आस्था और विश्वास से हमारे धर्म के सर्वोच्च शक्ति की पूजा करने के बारे में होती है। इसे सामाजिक संरचना का एक रूप कहा जा सकता है, जहां लोग एक समान रीती-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हैं और एक समान विश्वास भी रखते हैं।

धर्म क्या है?

यह समझना बहुत ही जटिल है कि मूल रूप से धर्म क्या है? क्योंकि विभिन्न संदर्भों में इसकी विभिन्न परिभाषाएं हैं। इसे कई महान लोगों ने अलग-अलग तरीके से समझाया है। आसान शब्दों में धर्म एक ऐसा मार्ग है जो मनुष्यों को दैविक शक्ति ईश्वर से जोड़ता है। यह मनुष्यों द्वारा भगवान की पूजा करने के लिए उनपर विश्वासों और प्रथाओं के बारे में है।

ब्रह्मांड में केवल एक ही सर्वोच्च शक्ति है और विभिन्न धर्मों द्वारा विभिन्न रूपों में उसकी पूजा की जाती है। ईश्वर में आस्था रखने के विभिन्न तरीके हमें धर्मों से अलग करते हैं और प्रत्येक धर्म को सामान विश्वासों और प्रथाओं वाले लोगों के समूह द्वारा प्रतिष्ठित किया जाता है।

और सभी धर्मो के अपने अलग रूप तथा महत्त्व है सभी जाति के लोग अपने अपने धर्मो के प्रति अत्यंत निष्ठावान होते है और उनका विषेश रूप से थी प्रयास होता है की वह भारत वर्ष में अपने धर्म का प्रचार प्रसार उच्चकोटी तक करे जिससे लोग उनके धर्म के प्रति रुचाव रखे इसे प्रकार से लोगो मे अपने अपने धर्म को लेकर एक विवाद छिड़ा होता है ,

सभी जाति के लोग अपने धर्म को जड़ा महत्व देने के लिए लोगो को अपनी और अपने धर्म को अपनाने के लिए जोर देते है जिस कारण वश धर्म एक विवाद का छेत्र भी बन चुका है जबकि देखा जाए तो धर्म को लेकर विवाद सिर्फ जाति वाद लोग ही करते है की किसका धर्म किस प्रकार से प्रबल है।

और यह अपने धर्म को लेकर भारत में अपना राज्य स्थापित कर सके वरना धर्म एक सिर्फ जीवन को सही प्रकार से नियमो को लेकर जीवन यापन करने की एक नीति द्वारा बनाया गया एक रास्ता है ना विवाद की जड़ जिस प्रकार लोग धर्म को लेकर विवाद करते है उसे वजह से आज धर्म जैसे पवित्र नीति एक विवाद का कारण बन चुकी है

इस दुनिया में लगभग 10,000 धर्म हैं। धर्म अपने आप में एक ऐसी संस्था है जो हमारे अंदर नैतिक मूल्यों, एकता, कानूनों, नियमों और विनियमों को विकसित करती है।

धर्म के कारण संघर्ष

एक धर्म के लोगों द्वारा दूसरे धर्म के खिलाफ लड़े गए युद्धों को धार्मिक संघर्ष कहा जाता है। इतिहास में लड़े गए कुल युद्धों में से केवल 6.86% युद्ध धार्मिक युद्ध के रूप में हैं। युद्ध काफी विनाश करते हैं क्योंकि यह बड़े पैमाने पर जीवन, रक्तपात और भय का कारण बनता है।

धार्मिक युद्ध हमारे इतिहास का एक प्रमुख हिस्सा हैं। कहा जाता है कि इन युद्धों में धर्म को ही ऐसी हिंसा और विनाश के होने का प्रमुख कारण बताया गया है।

कुछ प्रमुख धार्मिक संघर्ष धर्मयुद्ध, द-इनक्विजिशन, मध्य पूर्व युद्ध, बोस्नियाई युद्ध, फ्रांसीसी धर्म युद्ध, उत्तरी द्वीप युद्ध इत्यादि शामिल हैं। वर्तमान में आतंकी हमले और धार्मिक संघर्षों के कारण 9/11 जैसे हमले हुए। युद्ध अतीत में हुए, वर्तमान में हो रहे हैं और ये भविष्य में भी जारी रहेंगे। ये युद्ध विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच हुई नफरत का ही परिणाम हैं।

धार्मिक संघर्ष क्यों होते हैं?

विभिन्न धर्मों के लोगों की विचारधाराओं के बीच मतभेद अतीत और वर्तमान में धार्मिक संघर्षों के लिए एक प्रमुख मुद्दा रहा है। यह विश्वास ही है जो लोगों को एक विशेष धर्म का अनुयायी बनाता है।

अगर उनके धर्म और आस्था के खिलाफ कुछ भी कहा जाता है तो लोग आक्रामक हो जाते हैं। यह उनके विश्वास को आहत करता है। इससे विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच विद्रोह की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा जाती और धर्म के आधार पर भेदभाव वर्तमान में भारत और दुनिया में संघर्ष का प्रमुख कारण है।

धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा में कहा गया है कि राष्ट्र के लोग अपने विश्वास के अनुसार किसी भी धर्म को मानने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र हैं। इससे विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग एक साथ रहते हैं। जहां विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं वहां संघर्ष पैदा होना तय है। इन झगड़ों का कारण एक धर्म के लोगों में दूसरे धर्मों के लोगों के प्रति घृणा शामिल होती है।

यह घृणा उनके अंदर इसलिए आती है क्योंकि लोग चाहते हैं कि दूसरे भी वैसे ही रहे जैसे की वो रहते हैं। वो अपनी सोच को दूसरों के ऊपर थोपने की कोशिश करते हैं और ऐसा होना असंभव हैं, क्योंकि हममें से प्रत्येक को अपनी पसंद के अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता है। इन सभी मतभेदों के परिणामस्वरूप संघर्ष होना निश्चित रूप से तय है।

धर्म हमेशा प्रेम और शांति को बढ़ावा देता है – कैसे

दुनिया में लोग विभिन्न धर्मों के अनुयायी है। हर धर्म में कुछ पवित्र ग्रन्थ होते हैं। इन पवित्र पुस्तकों जैसे- गीता, कुरान, बाइबिल और गुरुग्रंथ आदि में धर्म द्वारा दी गई महत्वपूर्ण शिक्षाएं हैं। हर धर्म हमें केवल एक ही बात सिखाता हैं,

लेकिन सबके बताने का तरीका अलग होता है। सभी धर्म हमें एकता, प्रेम और शांति से रहने की सिख देते हैं। कोई भी धर्म हिंसा करने या हिंसा के रास्ते पर चलने के लिए नहीं कहता है। हर धर्म हमें शांतिपूर्ण समाधान के साथ मतभेदों को खत्म करने का सबक सिखाती है।

शांति, सद्भाव और प्रेम के प्रवर्तक होने के कारण धर्म कभी भी हिंसा का कारण नहीं बन सकते है। इसे एक उदाहरण के रूप में भी समझा जा सकता है कि- माता-पिता हमें कभी भी कोई गलत नैतिकता और आदत नहीं सिखाते हैं।

लेकिन किसी तरह गलत प्रभाव के कारण यदि हममें से कोई बिगड़ैल बच्चा बन जाता है, तो क्या उस बेटा/बेटी के गलत कामों के लिए पारिवारिक पृष्ठभूमि या माता-पिता को इसका दोष देना सही होगा? इसी तरह हम किसी धर्म को धार्मिक हिंसा के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं।

क्या धर्म दुनिया में धार्मिक संघर्षों के लिए जिम्मेदार है?

धर्म एक ऐसी चीज है जो किसी भी प्रकार के संघर्ष या झगड़े से परे है। यह धर्म नहीं बल्कि धर्म के अनुयायी कहे जाने वाले लोगों को धर्म के प्रति आस्था है। अधिकांश धार्मिक युद्ध चाहे वो अतीत के हो या वर्तमान के ये गलत धारणाओं या किसी अन्य कारक जैसे- सामाजिक, राजनैतिक या आर्थिक कारकों के परिणाम हैं,

जिन्हें धर्म का चेहरा दिया जाता है। हम कुछ लोगों द्वारा किए गए गलत कामों के लिए हम किसी धर्म को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते है। यदि हम आतंकवादी गतिविधियों को देखे तो यह एक विशेष धर्म से संबंधित होता है पर हम उस धर्म के कुछ लोगों के गलत कार्यों के लिए पूरे धर्म को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं।

आतंकवादी किसी भी जाति के नहीं होते है, उनका कोई भी धर्म नहीं होता है, क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा या विनास नहीं सिखाता है। प्रभु यीशु ने यह कहा था कि किसी भी शत्रु को युद्ध या हिंसा से नहीं बल्कि उसे शांति के साथ जितने का प्रयास करें।

अतीत में लड़े गए धार्मिक युद्ध, धर्म की तुलना में आत्म-आक्रामकता और किसी मकसद को पूरा करने के लिए होता था, जो युद्ध का प्राथमिक कारण हुआ करता था। युद्ध से किसी को जीतना या उन्हें अपने वश में करना लोगों की सोच है, ये किसी धर्म की सोच नहीं है। इस प्रकार यह कहना अधिक उपयुक्त होगा कि ऐसे संघर्षों के लिए लोगों की विचारधाराएं और स्वार्थ जिम्मेदार हैं, कोई धर्म नहीं।

निष्कर्ष

विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच संघर्ष उत्पन्न करने के लिए धर्म के नाम का उपयोग एक उपकरण की तरह किया जाता है। ऐसा केवल कुछ लोगों के कारण होता है, जो केवल अपना स्वार्थ और उद्देश्य को पूरा करने के लिए ऐसा करते हैं।

वास्तव में धार्मिक लोग युद्ध को कभी भी किसी भी प्रकार की शत्रुता को उसके समाधान के रूप में नहीं लेते है। धर्म हमें प्रेम, शांति और सद्भाव सिखाता है और इस प्रकार धर्मों के बीच पैदा हुए मतभेदों से छुटकारा पाने के लिए समान रूप से इसका पालन करने की आवश्यकता है।

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