अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर निबंध – Essay On International Literacy Day in Hindi

हर साल 8 सितंबर को दुनिया भर में अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है । इसे मनाने की शुरुआत सन 1966 ई में हुई थी, जब यूनेस्को ने शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढाने एवं दुनिया भर के लोगों का इस तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए हर साल 8 सितम्बर को ‘ विश्व साक्षरता दिवस ‘ मनाने का फैसला किया था।

चूकी इस बार दुनिया भर में कोरोना 19 महामारी फैली है, इसलिए इस बार साक्षरता दिवस की थीम ‘ साक्षरता शिक्षण और कोविड 19: संकट और उसके बाद ‘ पर रखी गई है ।

आइये जानते हैं इस दिवस के बारे में खास बातें , जैसे कि- इसे क्यों मनाया जाता है, इसका क्या महत्व है और इससे समाज में क्या बदलाव आया है ।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर निबंध – Long and Short Essay On International Literacy Day in Hindi

अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने की घोषणा भले ही 26 अक्तूबर 1966 को हुई हो लेकिन सबसे पहले इसका विचार ईरान के तेहरान में शिक्षा से जुड़े मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौरान आया था । यह सम्मेलन साल 1965 में हुआ था, जिसमें निरक्षरता को खत्म करने के लिए दुनिया भर में एक जागरूकता अभियान चलाने पर चर्चा की गई थी ।

साक्षरतादिवस मनाने का लक्ष्य विश्व में सभी लोगों को शिक्षित करना है । बच्चे, वयस्क, महिलाओं और बूढों को साक्षर बनाना ही इसका मुख्य लक्ष्य है । उनकों अपने अधिकारों के बारे में जानकारी हो,अपने कर्तव्य की समझ हो। जीवन जीने की सही कला पता हो,व्यस्क अपने बच्चों को पढा सके

, बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार दे सकें । साक्षर होकर गरीबी को मिटा सके, बाल मृत्यु को कम कर सकें। अपराध और भ्रष्टाचार खत्म हो । पुरे विश्व खुशहाली आये।

साक्षरता दिवस के अवसरपर ऐसी संस्थाओं को पुरस्कृत किया जाता है जो देश और दुनिया में लोगों को पढ़ाने का काम कर रहीं हैं । स्कूल, कालेजों में लेखन ,व्याख्यान, भाषण,कविता, खेल, निबंध, चित्रकला, गीत,गोलमेज चर्चा, सेमिनार और परिचर्चा जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है ।

हमारे प्रधानाचार्य और टीचर्स ” अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस ” पर भाषण देते हैं । अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का पोस्टर एवं प्रदर्शनी लगाये जाते हैं । न्यूज़ चैनलों के द्वारा इस दिवस पर खबरों का प्रसारण और प्रेस कांफ्रेंस किया जाता है । टीवी पर इससे जुड़ी बातों पर कार्य क्रम दिखाया जाता है । अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस से जुड़ी सभी समस्याओं पर कार्य क्रम दिखाया जाता है ।

साक्षरता के मामले मे भारत

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ( NSO) के आंकड़ों पर आधारित एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साक्षरता दर 77.7 फीसदी है । अगर देश के ग्रामीण इलाकों की बात करें तो वहाँ साक्षरता दर 73.5 फीसदी है जबकि शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 87.7 फीसदी है । साक्षरता के मामले में देश का शिर्ष राज्य केरल है,जहाँ साक्षर लोग 96.2 फीसदी है । वहीं आन्ध्र प्रदेश इस मामले में सबसे निचले पायदान पर है । वहाँ की साक्षरता दर 66.4 फीसदी ही है ।

विश्व में साक्षरता की स्थिति

अफ्रीकी देशों में साक्षरता बहुत ही कम है । विश्व के 10 सबसे कम साक्षर देश अफ्रीका से ही आते हैं । बुर्कीना फासो,दक्षिण सुडान,चाड,नाइजर,गीनिया,बेनिन,सियरा,लिओन,इथोपिया,मोजाम्बिक, सेनेगल दुनिया के 10 सबसे कम साक्षरता वाले देश है ।

मार्गरेट एटवुड ,पाॅलो कोहेलहो,फिलीप डेलर्म,पाॅल आॅस्टर,फिलीप क्लाडेल,फैटेउ डियोम जैसे लेखकों ने विश्व में साक्षरता बढाने के लिए अनेक लेख और किताबें लिखी हैं ।

अनेक कम्पनियां अपने मुनाफे से गरीब देशों में स्कूल, कालेज बनवा रही है । बच्चों की पढाई के लिए काॅपी,किताबें और जरूरी चीजें दान कर रही हैं । दानी संस्थाये,रोटरी क्लब, ब्लड बैंक राष्ट्रीय साक्षरता संस्थान बच्चों को पढ़ाने में मदद कर रही हैं ।

साक्षरता का अर्थ

अलग-अलग देशों में साक्षरता की अलग-अलग परिभाषा दी गयी है । भारत के जन गणना के अनुसार एक ब्यक्ति जिसकी आयु 7 वर्ष या उससे अधिक है जो किसी भाषा को समझ कर लिख या पढ सकता है, उसे साक्षर कहा गया है ।

हालांकि साक्षरता का अर्थ केवल पढना लिखना या शिक्षित होना ही नही है, बल्कि यह लोगों के अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता लाकर सामाजिक विकास का आधार बन सकती है ।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना है । उन्हें  मानव विकास और समाज के लिए अधिकारों को जानने स्वच्छता की ओर मानवीय चेतना को बढावा देना है । भारत सहित दुनिया भर में शिक्षा के जरिये ही गरीबी मिटाई जा सकती है । बाल मृत्यु दर कम की जा सकती है । जनसंख्या बृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है । लैंगिक विषमता को दूर किया जा सकता है, और ये सभी मानव विकास के बाधक है । शिक्षा के माध्यम से ही उन्हें दूर किया जा सकता है ।

निष्कर्ष

हम सभी को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस ” पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाना चाहिए । शिक्षा के बिना कोई देश तरक्की नहीं कर सकता है । शिक्षा हमारे भीतर, देश और समाज में फैले अंधकार को दूर करती है । इसलिए सभी देश को इस अंतर्राष्ट्रीय पर्व को मनाना चाहिए । भारत के लिए इस दिवस का महत्व और भी अधिक है क्योंकि यहाँ अनेक बच्चे और व्यस्क अनपढ़ है ।

गरीबी, स्कूलों की कमी, स्कूलों में शौचालयोंकी कमी, लड़कियों से होने वाली बलात्कार एवं छेड़छाड़ की घटनाएं, जातिवाद, बेटियों की शिक्षा की तरफ माता पिता की उदासीनता जैसे अनेक कारण है जिसकी वजह से आज देश शिक्षा में पीछे है। देश की  सरकार और समाज में साक्षरता बढ़ाने  का अधिक से अधिक प्रयास करें।