भारतीय नौसेना दिवस पर निबंध – Essay On Indian Navy Force in Hindi

भारतीय नौसेना भारतीय सेना का सामुद्रिक अंग है जो कि ५६०० वर्षों के अपने गौरवशाली इतिहास के साथ न केवल भारतीय सामुद्रिक सीमाओं अपितु भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की भी रक्षक है। ५५,००० नौसैनिकों से लैस यह विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी नौसेना भारतीय सीमा की सुरक्षा को प्रमुखता से निभाते हुए विश्व के अन्य प्रमुख मित्र राष्ट्रों के साथ सैन्य अभ्यास में भी सम्मिलित होती है।

पिछले कुछ वर्षों से लागातार आधुनिकीकरण के अपने प्रयास से यह विश्व की एक प्रमुख शक्ति बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षा को सफल बनाने की दिशा में है।

भारतीय नौसेना दिवस पर निबंध – Long and Short Essay On Indian Navy Force in Hindi

भारतीय नौसेना ईस्ट इंडिया कंपनी की युद्ध करणी सेना के रूप में सन 1612 इसमें में बनाई गई इसका नाम रखा गया इंडियन मैरिन बाद में 1650 ईस्वी में इसका नामकरण मुंबई में ऋण के रूप में हुआ जोकि एक सदी के बाद 1830 ईस्वी में समाप्त हुआ और 18 1934 में भारतीय विधान परिषद ने एक भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया और फिर रॉयल इंडियन नेवी का अस्तित्व सामने आया द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय नौसेना में विस्तार किया गया और अधिकारी तथा सैनिकों में संख्यात्मक वृद्धि की गई सैनिकों की संख्या 2000 से बढ़ाकर 30,000 कर दी गई अधिकारियों की संख्या में भी हजारों की संख्या में वृद्धि हुई। इसके साथ-साथ जहाज व ईद पौध भी बढ़ाए गए।

भारत की आजादी के दौरान भारत की नौसेना नाम मात्र की थी विभाजन की शर्तों के अनुसार लगभग एक तिहाई सेना पाकिस्तान चली गई कुछ महत्वपूर्ण नौसैनिक संस्थान पाकिस्तान को मिले तत्पश्चात भारत सरकार ने नौसेना के पुनर्गठन की योजना बनाई ब्रिटेन व अमेरिका के साथ-साथ अन्य देशों से कई युद्धपोत खरीदें कुछ भारत में भी निर्मित किए जैसे कि राजपूत राणा रणजीत गोदावरी गंगा और गोमती आदि

कुछ समय बाद लगभग 8000 टन का एक और क्रूजर खरीदा गया जिसका नामकरण हुआ मैसूर। सन 1964 तक भारतीय बड़े में वायुयान नायक विक्रांत भूषण दिल्ली तथा मैसूर  के साथ-साथ अति आधुनिक पनडुब्बियाँ और पनडुब्बी विनाशक फ्रीगेट शामिल किए जा चुके चुके इसके साथ साथ ब्रह्मपुत्र ब्यास बेतवा खुखरी कृपाण तलवार और त्रिशूल जैसे नए फ्रिज रेट वर्तमान समय में हैं जिनका निर्माण एक विशेष पर्व पारंपरिक रूप से हुआ। इनका उपयोग प्रशिक्षण देने के लिए होता है,

इसके अलावा कोकण कारवार काकीनाडा कड़ा नूर कदलूर भसीन और बिमली पत्तम सुरंग हटाने के लिए तैयार किए गए। वर्तमान समय में छोटे नौसैनिक जहाज निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है और इसके साथ तीन सागर मुख प्रति रक्षक नौका ए भी अजय अक्षय और अभय इसके साथ नौवक ध्रुवक भी बनाया गया है। इसके अलावा कोचीन लोनावला और जामनगर में भारतीय नौसेना के प्रशिक्षण संस्थान है आईएनएस अरिहंत भारत की एक नाभिकीय ऊर्जा पनडुब्बी है।

“काकीनाडा” “कणानूर”, “कडलूर”, “बसीन” तथा “बिमलीपट्टम” से सुंरग हटानेवाले तीन स्क्वाड्रन तैयार किए गए हैं। छोटे नौसैनिक जहाजों के नवनिर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है और तीन सागरमुख प्रतिरक्षा नौकाएँ, “अजय”, “अक्षय” तथा “अभय” और एक नौबंध “ध्रुवक” तैयार हो चुके हैं। कोचीन, लोणावला, तथा जामनगर में भारतीय नौसेना के प्रशिक्षण संस्थान हैं। आई एन एस अरिहन्त भारत की नाभिकीय उर्जा पनडुब्बी है।

भारतीय नौसेना का महत्व

वर्तमान समय में भारतीय नौसेना भारत के समुद्री सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को समृद्ध और मजबूत करने के लिए भी भारतीय नौसेना ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं क्षेत्र में भारतीय नौसेना अलग-अलग देशों के बंदरगाहों पर जाकर कई अच्छे कार्य भी करती है।देशभक्ति को बढ़ावा देने वाले मिशनों को बढ़ावा देती है,

और देश में किसी तरह की आपदा की स्थिति में भी मदद का हाथ बढ़ाती है। भारतीय नौसेना को दक्षिण एशिया में सबसे मजबूत बल माना जाता है। इसके पास करीब 67,000 कर्मचारी और करीब 295 नौसेना हथियार हैं।

भारतीय नौसेना के पश्चिमी नौसेना कमान का मुख्यालय मुंबई में है। इस मौके पर पश्चिमी कमान के जहाज और नौसैनिक एक साथ इकट्ठा होते हैं और इस दिन को मनाते हैं। नौसेना दिवस समारोहों से पहले भारतीय नौसेना के जवान 1 दिसंबर, 2019 को मुंबई में रिहर्सल करते हैं जिस दौरान वे अपने कौशलों का प्रदर्शन करते हैं। रिहर्सल अरब सागर में किया जाता है।

नौसेना दिवस समारोहों पर जिन गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन होना होता है, उसकी योजना विशाखापट्टनम स्थित भारतीय नौसेना कमान तैयार करती है। इसकी शुरुआत युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि के साथ होती है और। उसके बाद नौसेना की पनडुब्बियों,जहाजों, विमानों आदि की ताकत और कौशल का प्रदर्शन किया जाता है।

ऐसे समय पर भारतीय नौसेना के द्वारा प्रदर्शन किया जाता है उस समय आम लोग भी भारतीय नौसेना के युद्धपोत ओं में बैठकर सैर का आनंद ले सकते हैं। इसके साथ-साथ एर्नाकुलम में पत्रकारों के द्वारा फोटो प्रदर्शनी भी की जाती है

दिसंबर महीने में पूरे देश में 4 तारीख को नौसेना दिवस मनाया जाता है यदि वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत के द्वारा हुई जीत और उस जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नौसेना के नायकों द्वारा उनके बहादुरी के सम्मान में जश्न मनाने के उपलक्ष में घोषित किया गया 3 दिसंबर 1971 के दिन पाकिस्तानी सेना ने भारत के हवाई क्षेत्र और सीमावर्ती क्षेत्र पर हमला किया इसका जवाब भारतीय सेना बखुबी दिया।

क्यों मनाया जाता है?

भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन का नाम ट्राइडेंट रखा था। भारतीय सेना की तरफ से किए गए जवाबी हमले में 4 पाकिस्तानी जहाज और कराची बंदरगाह का फ्यूल टैंक पूरी तरह से बर्बाद हो गया था। इस हमले में 500 पाकिस्तानी नौसैनिक भी शहीद हो गे थे।

इस हमले में आईएनएस निपत, आईएनएस निर्घाट और आईएनएस वीर शामिल थे। 90 मिनट चलने वाला ये ऑपरेशन 4 दिसंबर, 1971 के दिन शुरू हुआ था। इस दिन लगभग 2 बजे, भारतीय नौसैनिकों ने गुजरात के ओखा पोर्ट से पाकिस्तान की ओर रवाना हुए थे।

कराची के दक्षिण के करीब पहुंचने के बाद भारतीय नौसेना के बेड़े को यह एहसास हुआ कि एक दुश्मन का पोत बंद हो रहा था। यह हमला एक घंटे से अधिक समय तक चला था। भारत ने कुल छह मिसाइलों को दागा था। भारतीय नौसेना ने न केवल 4 पाकिस्तानी जहाजों को डुबोया था, बल्कि अपने सभी नौसैिकों को सुरक्षित लेकर घर लौटे थे।

भारतीय पक्ष पर कोई हताहत न होने के कारण, यह अभियान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के आधुनिक नौसैनिक इतिहास में सबसे सफल माना जाता था। वीरता के शानदार प्रदर्शन को चिह्नित करने के लिए हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है।