भारतीय किसान पर निबंध – Essay On Indian Farmer in Hindi

सच हमेशा कड़वा होता है, भारत में रहने वाले तमाम लोगों के लिए एक कड़वा सच यह भी है कि, जिस इंसान के कड़ी मेहनत द्वारा उपजाय हुए अनाजों से अपनी भूख मिटाते हैं और तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर खाते हैं इन अनाजों को खून पसीना से सींचने वाला किसान आज आत्महत्या को मजबूर हो गए है। और इस देश में रहने के बावजूद किसानों की हालत दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है।

भारतीय किसान पर निबंध – Long and Short Essay On Indian Farmer in Hindi

भारत वह देश है जो अपने कृषि प्रधान होने के कारण पूरे विश्व में जाना जाता है लेकिन कृषि प्रधान होने के बावजूद उस कृषि से जुड़े हुए हजारों करोड़ों लोग दूसरों का पेट भर कर खुद भूखा सोया करते हैं, और यह कोई कहने की बात नहीं है बल्कि एक बेहद कड़वी सच्चाई है ।

अगर किसान खेती करना छोड़ दें और अन्न को उपजाना छोड़ दे तो किसी को भोजन  नहीं मिलेगा , लेकिन यह बेहद शर्मनाक बात है कि लाखों करोड़ों लोगों के पेट भरने वाले व्यक्तियों का ना तो पेट भर पा रहा है और ना ही वह अपनी जिंदगी को सही तरीके से जी पा रहे हैं । आज के दौड़ में हर कोई नौकरी पाना चाहता है लेकिन कुछ लोग अभी भी हैं जो कृषि से जुड़े हुए हैं और पारंपरिक तौर पर कृषि को अपनाते हुए खेती कर रहे हैं लेकिन अब वह लोग भी बेहद संकट में आ चुके हैं क्योंकि जब वह खेती करते हैं तो उन्हें खेती करने में बेहद नुकसान हो रहा है और मुनाफे की जगह उन्हें सिर्फ और सिर्फ नुकसान होने के कारण कई बार आत्महत्या करना पड़ रहा है ।

बढ़ती महंगाई के साथ किसानों की जिंदगी बस से बदतर हो चुकी है और वह लगातार अपनी जिंदगी को खत्म कर रहे हैं, जो कि अब पूरे भारत के लिए चिंता का विषय बन चुका है । किसान इस देश का अस्तित्व है और अब उस अस्तित्व पर संकट के बादल लगातार मंडरा रहे हैं, साल 2019 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के तहत 10,281 किसानों ने अपनी जिंदगी से हार मानकर आत्महत्या कर लिया, कोई यूं ही आत्महत्या नहीं करता है बल्कि उसके पीछे भी कई कारण होते हैं और किसानों के आत्महत्या के पीछे कई बड़े कारण हैं ।

कृषि प्रधान देश में कृषि से जुड़ी हुई समस्याएं

भले ही भारत कृषि प्रधान देश है लेकिन अब यहां कृषि से जुड़ी हुई कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं जिनका सीधा असर हमारे किसान भाइयों पर हो रहा है। एक तरफ बढ़ते प्रदूषण के कारण आज मानसून के मौसम में तेज धूप होती है और इसका सीधा असर खेती पर होता है जिसके कारण फसल अच्छे नहीं होते हैं और मुनाफे से ज्यादा किसानों को नुकसान हो जाता है,

सरकारी किसानों को लोन देने के दौरान पहले ब्याज दर जाता लेती थी जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान होता था हालांकि वह लोन लेते थे और जब ब्याज नहीं चुका पाते थे तो आत्महत्या कर लेते थे जिसके बाद सरकार ने ब्याज दरों में कमी कर दी ताकि किसान ऐसा कठोर कदम ना उठाएं लेकिन फिर भी अभी भी किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। कड़ी मेहनत के बाद जब किसानों के खेत में फसल लैलाह आता है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं होता लेकिन यह खुशी बिचौलिए को पसंद नहीं आती है,

यह बिचौलिए किसान से सस्ते दाम पर अनाज खरीद कर उसे मंडी में महंगे दाम पर बेचते हैं जो कि किसान के लिए बेहद नुकसानदायक है । बदलते वक्त के साथ किसानों को मौसम के कारण बेहद नुकसान होता है कभी अचानक बाढ़ का प्रकोप, तो कभी अचानक ठंड के मौसम में बारिश होने लगती है इस दौरान किसान जो भी फसल अपने खेत में लगाया होता है वह बर्बाद हो जाता है, जिसके कारण सभी किसान हताश हो जाते हैं और निराशा का अंधेरा उनकी जिंदगी को घेर लेता है । अधिकतर तौर पर किसान अपने घर का मुखिया होता है और वही पूरे घर को आ देखभाल करता है इस दौरान अगर कमाई का एकमात्र जरिया खेती है तो उस परिवार के लिए बिना खेती के गुजर बसर करना असंभव हो जाता है और आत्महत्या उन्हें एकमात्र रास्ता नजर आने लगता है।

किसानों के आत्महत्या को रोकने के लिए भारत सरकार के द्वारा किए गए पहल –

किसान राहत पैकेज साल 2006 – साल 2006 में कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश समेत 31 जिलों में किसानों की मुख्य परेशानी को पहचान कर उनके परेशानी को कम करने के लिए पूर्णवाज पैकेज पेश किया गया इस राज में वह जिले शामिल थे जहां अधिकतर आत्महत्या किया गया था  ।

महाराष्ट्र विधेयक 2008 – महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र के किसानों को सहयोग करने के लिए साल 2008 में किसान को निजी धन उधार को विनियमित करने के लिए मनी लेंडिंग अधिनियम 2008 पारित किया ।

कृषि ऋण छूट और ऋण राहत आयोजन – किसानों के बढ़ते परेशानी को देखते हुए भारत सरकार ने उनके भले के लिए, यह योजना साल 2008 में शुरू किया जिसके द्वारा 30 करोड़ 6 लाख किसानों को इसका लाभ हुआ ।

इस तरह सरकार ने अब तक ऐसे कई नियम लाए हैं जिसके तहत किसानों का भला हो रहा है जैसे कि, महाराष्ट्र राहत पैकेज 2010 , केरल के किसानों को ऋण राहत आयोग, आय स्रोत पैकेज विविधता 2013 इत्यादि लेकिन फिर भी किसान लगातार आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं और यह बेहद चिंता की बात है ।

किसानों के आत्महत्या को नियंत्रित करने के उपाय

भारत सरकार के लगातार ठोस कदम उठाते हुए किसानों का भला करने के लिए कई नियम ला रही है औरकिसानों को आत्महत्या करने से रोका जा सकता है ।

  • भारत सरकार को एक विशेष कृषि क्षेत्र बनाने की आवश्यकता है जहां मुख्य तौर पर कृषि को प्राथमिकता दी जाए ।
  • किसानों को आधुनिक तकनीकी करण सीखने की मुख्य आवश्यकता है ताकि वह अपने अनाज की उपज को तकनीकों के द्वारा बढ़ा सकें ।
  • पहुंचा दे तो उनका कुछ हद तक भला हो सकता है ।
  • किसानों के लिए फसल बीमा पॉलिसी शुरू की जा सकती है ।

निष्कर्ष

किसान भारत देश को चलाने वाला वह पहिया है जो अगर डगमगा गया तो पूरे देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है, हम सबका अन्नदाता अगर भूखे पेट सोता है तो यह हम सब के लिए शर्मनाक बात है और इसीलिए यह बेहद जरूरी है कि किसानों को हर तरह की सुविधाएं दी जाए जिसके तहत वह खेती के जरिए अच्छी आमदनी कर सकें और खुशी खुशी अपनी जिंदगी बिता सकें ।