अंग तस्करी पर निबंध – Essay On Human Trafficking in Hindi

हमारे समाज में हर इंसान बहुमूल्य है। हम सब को नहीं पता होता है कि हम खुद ही बहुत ही कीमती सामान है। सारे शरीर के एक-एक अंग की कीमत है। और इसी अंग की कीमत लगाकर उसे अवैध तरीके से बेचना “अंग तस्करी” कहलाता है। अंग तस्करी अंगों का एक अवैध व्यापार है। यह सिर्फ हमारे ही देश में नहीं पाया जाता बल्कि हर देशों में किया जाता है।

अंग तस्करी का शिकार ज्यादातर कमजोर वर्ग वाले लोग होते हैं। कुछ लोग अपने गरीबी से मुक्ति पाने के लिए या किसी कारणवश अपने अंग का दान देते हैं। तो यही कुछ लोगों को मजबूर करके जबरदस्ती उनके अंगों को उच्च मूल्य में विदेशों में भेज दिया जाता है। और इस प्रकार कुछ लोगों ने इसे अपना व्यापार बना रखा है।

अंग तस्करी पर निबंध – Long and Short Essay On Human Trafficking in Hindi

भारत एक विकासशील देश है और इसीलिए भारत में गरीबी और अत्यधिक जनसंख्या एक बहुत बड़ी चुनौती है। और शायद इसी की वजह से देश में अपराधिक गतिविधियों को अधिक मात्रा में देखने को मिलता है। आनंदी अपराधों में से एक है अंक तस्करी। इसके जरिए समाज में गरीब लोगों का शोषण किया जाता है।

अंग तस्करी के वजह से आज हमारे देश में बच्चों के अपहरण के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अंग तस्करी के बाद कुछ मामलों में पीड़िता की हत्या भी हो जाती है। जिस मेडिकल फॉर्म को ऐसे अपराध में पाया जाता है उसके लिए कठोर दंड की व्यवस्था की जाती है। मानव तस्करी का एकमात्र उद्देश्य होता है पीड़िता के अंगों को बेचकर पैसे कमाना होता है। इसका हमारे समाज पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। शिक्षा से वंचित लोगों को तो यह भी नहीं पता है कि उनके अंग की वास्तविक कीमत कितनी है। और तस्करों को आसानी से कम दाम देकर पागल बना लेते हैं।

अंग तस्करी को बढ़ावा देने वाले कारक

  • किसी भी अपराध का सबसे मुख्य कारण निर्धनता होती है। एक ऐसा कारण है जो हमें अपराध की ओर मोड़ देती है। अंक तस्करी को भी बढ़ावा निर्धनता से मिलता है।
  • जब व्यक्ति के पास बेचने के लिए कुछ नहीं बचता। और उसने जो कर्ज लिया है उसे चुकाने का कोई उपाय नहीं मिलता तो वह अपने अंग की बोली लगाने लगता है। और इस तरह अंग तस्करी बढ़ती जाती है।
  • कोई भी जीवित रहते हुए या मरने के बाद भी स्वैच्छिक रूप से अपने अंगों को दान नहीं करना चाहता। और इसकी वजह से अंगों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जिससे लोगों को अंग तस्करी जैसा अपराध का सहारा लेना पड़ रहा है।
  • शिक्षा की कमी भी अंग तस्करी को बढ़ावा देने का एक कारक है। शिक्षा से वंचित लोगों को अंक तस्करी के बाद स्वास्थ्य के खराब होने की जानकारी नहीं होती है। वह नहीं पता होता है कि इसके बाद उनका क्या होगा। कमजोर पीड़ित वर्ग के लोग कम राशि में ही अवैध तरीके से कामराज में ही अपने अंग भेज देते हैं।
  • अक्सर अंग की तस्करी विकासशील देशों में की जाती है। तस्कर लोग अक्सर कमजोर लोगों पर अपना निशाना लगाते हैं। क्यों ही कमजोर लोग आसानी से अंक तस्करी के लिए कम धनराशि में ही मान जाते हैं।
  • अंग तस्करी को बढ़ावा देने का सबसे बड़ा केंद्र चिकित्सीय संस्थाएं हैं। कि इसके बिना अंग तस्करी करना संभव है। ऐसी चिकित्सीय संस्थाएं जो अवैध तरीके से इस काम में तस्करों की मदद करती हैं।
  • कानूनी लापरवाही की वजह से तस्करी करने वाले अपराधियों को पकड़ने में अब तक कोई विशेष सफलता नहीं प्राप्त हुई है। जिससे तस्करों को और अधिक बढ़ावा मिल रहा है।

निष्कर्ष

अंग तस्करी एक अवैध और गैर कानूनी काम है। हालांकि लोग मरने के बाद अपने अंग का पंजीकरण करा के दान देते हैं लेकिन यह एक वैध तरीका है अंगदान करने का। कोई भी काम अगर नियम और कानून के दायरे में रखकर किया जाए तो गलत नहीं है।

लेकिन अगर उसे अपने लाभ के लिए चोरी छुपे अवैध तरीके से किया जाए। तो वह गलत माना जाता है। लोगों को मृत्यु के पश्चात आपने अच्छे अंग का जैसे दान के लिए पंजीकरण करा देना चाहिए। और ऐसा करने के लिए दूसरे लोगों को भी जागरूक करना चाहिए। मृत्यु के पश्चात आपके अच्छे अंग को भी आग में जला ही दिया जाता है। अगर आप इसे दान करते हैं तो शायद किसी के काम आ सके।