नागरिकों के अधिकार व कर्तव्य पर निबंध

इस भारत देश का अच्छा नागरिक होने के नाते हमें एक अच्छा और ज़िम्मेदार नागरिक बनना चाहिए। हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में पता होना चाहिए ताकि हम अपने देश के भले का काम कर सकें।

हमारे शहर ही नहीं बल्कि हमारे पूरे देश का अच्छा बुरा भी हमारे हाथों में ही है। अपने देश में अच्छा सुधार लाने के लिए हम सब को अपनी सोच बदलनी होगी अच्छाई की तरफ सुधार की तरफ देश की तरफ देश की सुरक्षा की तरफ देश के नागरिकों की तरफ और देश के नागरिकों की भलाई की तरफ। अगर किसी एक इंसान के कुछ करने से फर्क पड़ सकता है तो अगर सब मिलके देश की भलाई उसके सुधार के लिए कुछ करेंगे तो सोचने वाली बात है की कितना बड़ा बदलाव हम इस देश में ला सकते हैं।

नागरिकों के अधिकार व कर्तव्य पर निबंध – Essay On Fundamental Rights And Duties Of Indian Citizens in Hindi

हम इस भारत के नागरिक हैं हमारी इस देश के प्रति कई ज़िम्मेदारियाँ हैं इस देश में बदलाव लाने के लिए, देश में एकता व प्यार का भाव लाने के लिए। यह सारी ज़िम्मेदरियाँ पूरी करने के लिए ही संविधान द्वारा हमें कुछ अधिकार दिए गए हैं।

सामाजिक और एक इंसान के अपने सुधार के लिए यह सभी अधिकार बेहद ज़रूरी हैं। हमारे देश का संविधान बेहद मज़बूत है जो की लोगों को दी गई आज़ादियों पर निर्धारित है। संविधान द्वारा दिए गए इन अधिकारों को मौलिक अधिकार कहा जाता है। इन अधिकारों को हमसे किसी भी साधारण परिस्थितिओं में हमसे छीना नहीं जा सकता। हमें कुल 6 मौलिक अधिकार संविधान द्वारा दिए गए हैं जैसे

स्वतंत्रता का अधिकार

यह एक बहुत महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, जो लोगों को भाषणों के माध्यम से, लेखन या अन्य माध्यमों से अपने विचारों को व्यक्त करने में सक्षम बनाता है। इस अधिकार के अनुसार, व्यक्ति आलोचना, आलोचना या सरकारी नीतियों के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए स्वतंत्र है। वह देश के किसी भी कोने में कोई भी व्यवसाय करने के लिए स्वतंत्र है।

धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

देश में कई राज्य हैं जहां विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। हम सभी अपनी पसंद के किसी भी धर्म का पालन, अभ्यास, प्रचार और अनुकरण करने के लिए स्वतंत्र हैं। किसी को भी किसी की धार्मिक मान्यताओं में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

समानता का अधिकार

भारत में रहने वाले नागरिक समान हैं और अमीर, गरीब, ऊंच-नीच के बीच कोई भेदभाव और अंतर नहीं है। किसी भी धर्म, जाति, जनजाति, स्थान का व्यक्ति किसी भी कार्यालय में उच्च पद प्राप्त कर सकता है, वह केवल आवश्यक योग्यता और योग्यता रखता है।

शिक्षा और संस्कृति का अधिकार

प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है और बच्चा किसी भी संस्थान में किसी भी स्तर पर शिक्षा प्राप्त कर सकता है।

शोषण के खिलाफ अधिकार

कोई भी अपनी मर्जी या 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी मज़दूरी या मज़दूरी के बिना ज़बरदस्ती नहीं कर सकता।

संवैधानिक उपचार का अधिकार

यह सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। इस अधिकार को संविधान की आत्मा कहा जाता है, क्योंकि यह संविधान के सभी अधिकारों की रक्षा करता है। अगर किसी को किसी भी स्थिति में लगता है कि उसके अधिकारों को नुकसान पहुंचा है, तो वह न्याय के लिए अदालत जा सकता है।

जैसे हमें संविधान द्वारा अधिकार दिए गए हैं उसी के साथ साथ हमें कई कर्तव्य भी दिए गए हैं। अधिकारों के लाभ के साथ साथ कर्तव्यों की ज़िम्मेदारियाँ भी हमें संविधान द्वारा दी गयी हैं। हमारे अधिकार हमारे कर्तव्यों के बिना बेकार हैं।

अगर हम अपने कर्तव्य अपनी ज़िम्मेदारियों को सही तरीके से देश के लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं करेंगे तो संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का फायदा भी हमें नहीं उठाना चाहिए। देश के प्रति हमारी कुछ ज़िम्मेदरियाँ हैं जैसे

  • संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान का सम्मान करना
  • स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों को संजोना और पालन करना
  • भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने के लिए
  • देश की रक्षा करने और राष्ट्रीय सेवा प्रदान करने के लिए जब ऐसा करने का आह्वान किया गया
  • भारत के सभी लोगों के बीच धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या सांप्रदायिक विविधता के बीच सामंजस्य और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना; महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक व्यवहार को त्यागना
  • हमारी समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व देना और संरक्षित करना
  • वनों, झीलों, नदियों, वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार के लिए और जीवित प्राणियों के प्रति दया का भाव रखना
  • वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और जांच और सुधार की भावना को विकसित करने के लिए
  • सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा और हिंसा को रोकना
  • व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करना ताकि राष्ट्र लगातार प्रयास और उपलब्धि के उच्च स्तर तक बढ़े
  • माता-पिता या अभिभावक कौन है, अपने बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए, या जैसा भी मामला हो, छह से चौदह साल की उम्र के बीच वार्ड

सारी अधिकारों का लाभ उठाते हुए हमें कभी अपने कर्तव्यों को नहीं भुलाना चाहिए और उन्हें हमेशा देश के भले के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। अपने अधिकारों का भी कभी गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए।