दशहरा पर निबंध – Essay On Dussehra in Hindi

भारत त्योहारों का देश है. उन्हीं त्योहारों में से एक दशहरा का त्योहार है, और इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है या आयुध पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार अश्विनी माह के शुक्लपक्ष की दशमी तिथी को इसका आयोजन किया जाता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नवरात्री एवं दस दिन के युद्ध के उपरांत महिसा सुर पैर विजय प्रपात किया था.

दशहरा पर निबंध – Long and Short Essay On Dussehra in Hindi

इस त्योहार को असत्य पैर सत्य की विजिये के रूप मे भी मनाया जाता है। इसीलिए इस त्योहार मे दशमी के दिन रावण के पुतले को जलाते हुए विजयादशमी के नाम से माना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन साल की शुभ तिथियों मे से एक है इसके अलावा और दो तिथियां शामिल है कार्तिक शुक्ल की एवं चैत्र शुक्ल की।

इसी दिन से लोग अपना नया कार्य करना शुरू करते है। जैसे -, नया उद्योग आरम्भ, अक्षर लेखन का आरम्भ बीज बोना आदि। लोग ऐसा कहते है की जो इस दिन से कार्य करना शुरू करते है  वह अवश्य ही उसमे विजिये अवश्ये हासिल कर सकेंगे। इस दिन जगह जगह मेले लगते है राम लीला का आयोजन किया जाता है रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है . इस दिन रावण दहन देखने के लिए गाँव गाँव से लोग शहर पहुंचते  है।

प्राचीन काल मे राजा लोग इस दिन विजिये की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा राम भगवान की जीत के रूप मे मनाया जाता है अथवा दुर्गा पूजा के रूप मे इस त्योहार को वेस्ट बंगाल के लोग बढ़े ही धूम धाम से मनाते है ,इस दशहरा के दिनों मे जब आप वेस्ट बंगाल की राजधानी कोलकाता जायेगे तो देखेंगे की शहर को ढुलान की तरह सजाया जाता है और शहर के ह्रर गली कूचे मे इस त्योहार की धूम होती है। इस त्योहार को शक्ति पूजा के नाम से भी जाना जाता है यह हर्ष और उल्लास तथा विजिये का पर्व है।

दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों -काम, क्रोध,लोभ,मोह, मद,मत्सर,अहंकार,आलस्य, हिंसा ,और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा देता है।और कोलकाता में पंडाल विषयवस्तु के अनुसार लगाया जाता है और साथ हे मे लोग एक दूसरे को बहुत सारे उपहार देते हुए वह त्योहार मनाते है और खास कर वहां बच्चों को १० दिन की छुटियाँ भी मिलती है।

और साथी ही मे लोग १० दिन की शोपिंग पहले ही कर लेते है। दशहरा पूजा के साथ साथ लोग दुर्गा माता की भी पूजा करते है जो की शक्ति चीन है । शक्ति के प्रतीक का उत्सव -शक्ति के उपासना का पर्व सर्दी नवरात्री है नवमी तक निशियत  ९ शक्तियों ,९ नक्षत्र , ९ तिथि की भक्ति के साथ सनातन काल से लोग मनाते आ रहे है। इस मोके पर लोग नवरात्री के ९ दिन जगदम्बा के अलग अलग रूपों की उपासना करके शक्तिशाली बनने की कामना करते है। हमारी भारतीय संस्कृति हमेशा से ही वीरता और शौर्ये की समर्थक है। दशहरा का त्योहार शक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार है।यह त्योहार हमे शुभ सन्देश देकर जाता है की हमें असत्य से सत्य की ओर, बुराई पर अच्छाई की विजिये प्राप्त करनी चाहिए।

 दशहरा का सांस्कृतिक पहलू

जैसे की हम सभी जानते है की भारत एक कृषि प्रदेश है। जब किसान अपनी खेतों मे सुनहरे फसल और अनाज रूपी सपंति को घर लता है तो वाह कितना खुश होता है।

इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानते  है और अपना प्रेम प्रकट करने के लिए वह भगवान को पूजते है और प्रसाद चढ़ाते है। और यह पर्व विभिन प्रदेशों मे विभिन तरीके से मनाया जाता है। जैसे की मुंबई मे इस अवसर मे “सिलंगण” के नाम से सामाजिक त्योहार के रूप मे भी मनाया जाता है।

दशहरे का इतिहास

पुराने इतिहास के अनुसार कहा जाता है की रावण जी ने देवी सीता जी का चीयर हरण किआ था। राम जी ने फिर सत्य और अधर्म के लिए रावण को युद्ध के लिए ललकारा था और दस दिनों तक रावण से युद्ध किया था। माँ दुर्गा जी से प्राप्त हुए आशीर्वाद से यानी आश्विन शुक्ल की दशमी तिथि के द्वारा उन्होंने दिव्यास्त्र प्राप्त किया था ,उसकी मदद से उन्होंने रावण का वध किया था।  राम जी ने रावण पैर विजिये प्राप्त किया था। इसीलिए इस दिन को  विजयदशमी के नाम से याद किया जाता है और कहा भी जाता है।