हिंदू धर्म के अनुसार सबसे बड़ा दान “कन्यादान” को माना गया है। यह एक ऐसा दान है जिसमें लोग अपनी उस बेटी को इसे वो बचपन से पाल पोस कर बड़ा करते हैं उसे किसी और के हाथों में सब देते हैं। इसीलिए इस दान को सबसे बड़ा दान माना गया है। और यह एक पवित्र दान भी माना जाता है।
दहेज़ प्रथा पर निबंध – Long and Short Essay On Dowry System in Hindi
शादी के बाद बेटी के रूप में अपनी अमानत किसी और को सौंप दी जाती है। हमारे समाज में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है। लेकिन इस शादी के पवित्र बंधन पर दहेज जैसी बदनाम प्रथा ने लांछन लगा रखा है। “दहेज प्रथा” हमारे समाज की कुरीतियों में से एक है। यह हमारे समाज में इस कदर फैल चुकी है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। इस प्रथा में लोग अपनी लड़कों की बोली लगाते हैं।
आश्चर्य की बात तो यह है कि हमारा समाज एक शिक्षित समाज बन चुका है उसके बावजूद भी लोगों की ऐसी भावना बहुत ही दयनीय स्थिति को दर्शाती है। हमारे देश के युवाओं को इसका पूरी तरह से विरोध करना चाहिए।
वह धनराशि या वस्तु जो विवाह के समय या विवाह के बाद वधु परिवार की ओर से वर परिवार को वधू की साथ दी जाती है। उसे ही दहेज कहते हैं। उर्दू में दहेज को जहेज़ कहते हैं। भारतीय समाज में दहेज एक परिवारिक समस्या है। दहेज प्रथा का भारत, यूरोप, अफ्रीका और दुनिया के अन्य भागों में लंबा इतिहास है।
यह समाज में प्रचलित बुराइयों में से एक है। यह मानव की बहुत पुरानी सभ्यता है दहेज प्रथा की काफी हद तक हमारे समाज में निंदा की जाती है। हमारे समाज में कुछ लोगों द्वारा यह कहना इसका अपना महत्व है। और अभी भी इसका अनुसरण किया जा रहा है। यह प्रथा लड़कियों को अपना जीवन नए सिरे से शुरू करने के लिए आर्थिक रूप से की जाए एक मदद की प्रक्रिया है। लेकिन धीरे-धीरे या समाज की सबसे बुरी प्रथा में बदल गई है। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि यह बदनाम प्रथा आज भी हमारे समाज में बनी हुई है।
दहेज प्रथा अभी भी क्यों है?
यह एक सोचने वाली बात है कि आज भी हमारे समाज में दहेज प्रथा जैसी बुरी प्रथा देखने को मिल रही है। जबकि हमारा समाज एक शिक्षित समाज बन चुका है। और साथ ही साथ सरकार द्वारा भी इस दंडनीय अपराध घोषित करने के बाद कई अभियानों और कानूनी प्रावधान के माध्यम से लगातार खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बावजूद भी कुछ ऐसे कारण हैं जिसकी वजह से आज भी यह प्रथा बरकरार है-
- आज हमारे समाज में इस बुरी प्रथा को परंपरा के नाम पर बढ़ावा दिया जा रहा है। हमारे समाज में वधू के परिवार के स्थिति का अनुमान उनके द्वारा दिए गए उपहार के रूप में नकद, गहने, कपड़े और संपत्ति से लगाया जाता है। लोगों द्वारा इसे परंपरा का नाम दिया जाता है कि विवाह में ऐसे उपहार वर के परिवार को देना हिंदू धर्म की परंपरा है।
- कुछ लोग अपना मान और प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बेटियों की शादी मैं शानदार प्रबंध करते हैं। वह ऐसा दिखावा करते हैं कि उनके पास बहुत सारा पैसा है और वह अपने बेटी को बड़ी कार और ढेर सारा नगद देते हैं। और इस तरह से लोगों के मन में लालच बढ़ने लगती है और ऐसा देखकर सभी लोग दहेज की मांग करने लगते हैं।
- दहेज लेना एक दंडनीय अपराध है जानते हुए भी कानून का दहेज के प्रति सख्त कार्रवाई नहीं देखने को मिलता है जो दहेज प्रथा जैसी बुरी प्रथा को बढ़ावा मिलता है।
दहेज के लिए महिलाओं पर हो रहे अपराध
भारतीय समाज में दहेज की मांग दिन पर दिन बढ़ती ही चली जा रही है। लोग अपने बेटे के नौकरी के हिसाब से उसकी कीमत लगाते हैं। लड़की के परिवार वालों को लड़के की वह कीमत चुकानी पड़ती है तब जाकर शादी के लिए मानते हैं। अगर किसी लड़की के परिवार वाले किसी कारणवश मुंह मांगा दहेज नहीं दे पाते हैं तो लड़के के घरवाले लड़की को कई तरह की शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देते हैं। यहां तक कि हमारे समाज में दहेज के लिए लड़कियों को जला दिया जाता है।
यह समाज की बहुत ही हिंसात्मक सोच है। दहेज की मांग पूरी ना होने पर लड़की के साथ घरेलू हिंसा जैसे मारपीट, घर के काम करवाना, बुरा व्यवहार, खाना ना देना और भी कई प्रकार की हिंसात्मक गतिविधियां की जाती है।
निष्कर्ष
भारतीय समाज में दहेज प्रथा का यह रूप बहुत ही दयनीय है। आज के युवा पीढ़ी को दहेज प्रथा के विरुद्ध आवाज उठाना चाहिए। दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए सबसे पहले युवाओं को इसके विरुद्ध होना पड़ेगा तभी हम शायद इस प्रथा को खत्म करने में कामयाब हो पाएंगे। लड़कों को यह बात समझनी होगी कि वह कोई बिकाऊ चीज नहीं है कि उनकी कीमत चुकाई जाए।
और जहां तक रही बात हमारे समाज में कुछ लोगों की यह सोच होती है कि हमने अपने बेटे को पढ़ाने में बहुत सारा पैसा खर्च किया है। तो लड़की के परिवार वालों को उसकी भरपाई करनी पड़ेगी तभी शादी होगी।
ऐसी सोच वाले लोगों को यह बात क्यों नहीं समझ में आता है कि लड़की के पढ़ाई में भी उसके घर वालों ने पैसे लगाए हैं और वह लड़की नौकरी करके पैसे कमा कर अपने ससुराल वालों को ही देगी ना कि अपने घर वालों को। इसीलिए इस प्रथा को खत्म करने के लिए सबसे पहले नौजवान युवा और लड़कियों को इसके खिलाफ होना पड़ेगा। भारत सरकार को भी इसके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।