उपभोक्ता दिवस पर निबंध – Essay On Consumer Day in Hindi

दुनिया में हर व्यक्ति जो भी वस्तुओं का भोग और सेवाओं का उपयोग करता है उसे उपभोक्ता कहा जाएगा भारत में उपभोक्ता संबंधी कानून 1986 में लाया गया और 2019 में उस में आमूलचूल परिवर्तन करके उसे नवनिर्मिति दी गई। आतंक 24 दिसंबर उपभोक्ता दिवस के रुप में मनाया जाता है।

उपभोक्ता दिवस पर निबंध – Long and Short Essay On Consumer Day in Hindi

उपभोक्ता ऐसा कोई भी व्यक्ति होगा, जो सामान ख़रीद रहा है, या सर्विस ले रहा है. फिर चाहे उस बंदे ने गुड्स या सर्विसेज़ के लिए आधे ही पैसे दिए हों, या पैसे बाद में देने का कॉन्ट्रैक्ट किया हो, या EMI बांधी हो. बस सामान या सर्विस फ़्री में न ली हो. जैसे लंगर में खाना खाने वाला इस परिभाषा के हिसाब से उपभोक्ता नहीं है, लेकिन रेस्टोरेंट में खाने वाला है।

सन 1986 24 दिसंबर को उपभोक्ता अधिनियम विधेयक पारित हुआ था पता उसी दिन से इसे वक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है भोक्ता कानून में समय-समय पर जैसे कि 1991 1993 और 2002 में एक आमूलचूल परिवर्तन किए गए 2002 में तो उपभोक्ता कानून में बड़े स्तर पर संशोधन किया गया और 15 मार्च 2003 को इसे लागू किया गया परिणामस्‍वरूप उपभोक्‍ता संरक्षण नियम, 1987 में भी संशोधन किया गया और 5 मार्च 2004 को अधिसूचित किया गया था।

भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस घोषित किया है, क्योंकि भारत के राष्‍ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधिनियम को स्वीकारा था। इसके अतिरिक्‍त 15 मार्च को प्रत्‍येक वर्ष विश्‍व उपभोक्‍ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। यह दिन भारतीय ग्राहक आन्दोलन के इतिहास में सुनहरे अक्षरो में लिखा गया है। भारत में यह दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया। और आगे भी प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए एक कानून है. देश भर में उपभोक्ता अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित उपभोक्ता शिकायतों को हल करने के लिए यह अधिनियम बहुत जरूरी है. इसके पास उपभोक्ता शिकायतों को तेजी से हल करने के तरीके और साधन हैं।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की प्रमुख विशेषताएं।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी

भोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 वक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ उन्हें जागरूक करेगा उन्हें प्रोत्साहित करेगा की कैसे अनुचित व्यापार भ्रामक विज्ञापन और धोखाधड़ी के रूप में वक्ता के अधिकारों के उल्लंघन होते हैं इन सभी समस्याओं की देखरेख के जुड़े अन्य मामलों को भी अपने निरीक्षण में ही करेगा।

CCPA के पास उल्लंघनकर्ताओं पर जुर्माना लगाने और बिके हुए माल को वापस लेने या सेवाओं को वापस लेने के आदेश पारित करना, अनुचित व्यापार प्रथाओं को बंद करने और उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की गई कीमत को वापिस दिलाने का अधिकार भी होगा।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के पास उपभोक्ता नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए एक जांच विंग होगा. CCPA का नेतृत्व महानिदेशक करेंगे।

उपभोक्ताओं के अधिकार

अधिनियम उपभोक्ताओं को 6 अधिकार प्रदान करता है;

  • वस्तुओं या सेवाओं की मात्रा, गुणवत्ता, शुद्धता, क्षमता, कीमत और मानक के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार
  • खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षित रहने का अधिकार
  • अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं से संरक्षित रहने का अधिकार
  • प्रतिस्पर्धी कीमतों पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं या सेवाओं की उपलब्धता

भ्रामक विज्ञापनों पर प्रतिबंध और जुर्माना:

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के पास यह अधिकार होगा कि वह भ्रामक या झूठे विज्ञापन (जैसे लक्ष्मी धन वर्षा यंत्र) बनाने वालों और उनका प्रचार करने वालों पर जुर्माना लगाये और 2 वर्ष तक के कारावास की सजा सुनाये.

अगर कोई दुकानदार या विक्रेता इस अपराध को दोबारा करता है तो उसे 5 साल की कैद और 50 लाख का जुर्माना भी सजा के रूप में लिया जा सकता है

किसी भी प्रकार की खरीदारी जैसे ऑनलाइन मल्टी अस्तर की मार्केटिंग के माध्यम से ऑफलाइन यानी सीधे दुकान में या शोरूम में जाकर के खरीदारी टेलिसॉपिंग अथवा डायरेक्ट सेलिंग के माध्यम से यानी किसी भी प्रकार से खरीदारी की गई हो उन सब में भी उपभोक्ता अधिनियम कानून ग्राहक के लिए सहयोगी साबित होगा।

कोई भी यूज़र, जो ख़रीददार की मर्ज़ी से उस सामान या सर्विस का उपयोग कर रहा है, उपभोक्ता ठहरा. जैसे माना कोई अपने बच्चों के लिए टॉय ख़रीदे, या अपने पति के लिए घड़ी तो क्रमशः उसके बच्चे या पति भी उपभोक्ता कहलाए गए. सोचिए न उपभोग से ही उपभोक्ता शब्द बना।

यदि आपने उत्पाद को किसी अन्य व्यक्ति को बेचने के लिए खरीदा है तो आप भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अंतर्गत उपभोक्ता नहीं माने जाएंगे जैसे कि मान लीजिए आपकी किसी प्रकार की दुकान है चप्पल फूल यान प्रकार की कोई छोटी दुकान उस समय आप विक्रेता की श्रेणी में आएंगे ना कि उपभोक्ता के

आपको अपने सामान को छोटे स्तर पर नहीं ठोक भाव पर लेना होगा। उपभोक्ताओं की शिकायतें निपटाने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता अदालतें  हैं। नए कानून में क्षेत्राधिकार को बढ़ाया गया है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के सह-संस्थापक और प्रेसिडेंट एमआर माधवन ने कहा, “चूंकि राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालतों के मुकाबले जिला अदालतों तक पहुंच ज्यादा होती है. लिहाजा, अब जिला अदालतें 1 करोड़ रुपये तक के मामलों की सुनवाई कर सकेंगी।

उपभोक्ता दिवस यह बतलाता है कि उसके साथ किसी भी प्रकार का वस्तु और सेवा संबंधित अधिकारों का हनन नहीं होगा  किसी भी प्रकार की कालाबाजारी धोखाधड़ी या कम गुणवत्ता की वस्तु और सेवा प्रदान की जाएगी तो उसके लिए यह अधिनियम तब पर होगा कार्यक्रम होगा  अच्छा यह नारा सार्थक होगा ” जागो ग्राहक जागो”जब उपभोक्ता भी अपने अधिकारों के लिए सजग रहेंगे।