बालश्रम पर निबंध – Essay On Child Labour in Hindi

आज के व्यस्ततापूर्ण जीवन में हर व्यक्ति अपना बचपन याद करता है। प्रत्येक व्यक्ति यह सोचता है कि हमारा बचपन कितना अच्छा था। हम बचपन में कितनी मस्ती करते थे। ना कोई जिम्मेदारी होती थी और ना किसी तरह का तनाव होता था केवल खुशी और प्रसन्नता थी। यह सारी बातें सोच कर फिर व्यक्ति यह कल्पना करता है कि काश हम फिर से बचपन जैसे जिंदगी जी सकें। फिर से हमारा बचपन का दौर वापस आ जाता।

बालश्रम पर निबंध – Long and Short Essay On Child Labour in Hindi

इस प्रकार की बातें सोचना उस व्यक्ति के लिए तो उचित है जिसने अपना बचपन मजे में और मस्ती के साथ बिताया है। लेकिन कभी वह व्यक्ति अपने बचपन में जाना चाहेगा जिस का बचपन मजदूरी करने और गुलामी करने में गुजरा हो। शायद कभी नहीं।

जिन बच्चों को अपने परिवार से अलग करके गुलामी कराई गई हो। और को बालावस्था से वंचित कर दिया गया हो। इन सारी बातों को मगर आसान भाषा में बोले तो जिन बच्चों से बचपन में बाल श्रम करवाया गया हो क्या ऐसे बच्चे कभी अपने बचपन को याद करेंगे क्या आगे चलकर फिर वह अपने बचपन में जाने की कल्पना करेंगें। इन सारी बातों का एक ही जवाब है बिल्कुल नहीं।

ना जाने कितने बच्चों से उनका बचपन छीन लिया गया है बाल श्रम के जरिए। हालांकि बाल श्रम एक गैर कानूनी काम है। लेकिन आज भी हमारे समाज में यह हो रहा है। अमीर लोगों को और माफियाओं ने तो इसे अपना कारोबार ही बनाया लिया है।

बाल श्रम का मतलब

बाल श्रम का अर्थ है बच्चों से छोटी उम्र में मजदूरी कराना। बच्चों से गुलामी करवाना। बच्चों को उनके बाल व्यवस्था से वंचित करना। यह सारी बातें बाल श्रम के अंतर्गत आती हैं।

या नींद सरल शब्दों में समझाया जाए तो 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पैसे या किसी चीज का लालच देकर उनसे कम पैसे में अपना काम करवाना बाल श्रम कहलाता है। बाल श्रम एक गैर कानूनी काम है। इसका हमारे संविधान में 1950 में 24 अनुच्छेद के रूप में उल्लेख भी किया गया है। जिसमें साफ शब्दों में कहा गया है कि अगर 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखानों, होटलों, घरेलू नौकर के रूप में और ढाबों आदि मैं मजदूरी करवाना अपराध है।

अगर किसी व्यक्ति द्वारा ऐसा करते हुए देखा जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी और उसे कठोर दंड दिया जाएगा। बच्चों से कम उम्र में काम करवाके उन्हें बचपन, खेलकूद और शिक्षा से वंचित करके लोग शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करके बच्चों का शोषण कर रहे हैं। समाज में बाल श्रम की निंदा होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा बाल मजदूरी कराई जाती है। तत्कालीन रिपोर्ट के अनुसार लगभग 35 मिलीयन बच्चों से बाल मजदूरी करवाई जाती है।

बाल श्रम की वजह

बाल श्रम या बाल मजदूरी हमारे समाज की बहुत गंभीर समस्या है। बाल मजदूरी के बहुत सारे कारण हैं जिनमें से कुछ बातों की चर्चा नहीं की गई है-

1-  जनसंख्या वृद्धि

बढ़ती हुई जनसंख्या बाल मजदूरी का एक विशेष कारण है। लगातार जनसंख्या में बढ़ोतरी की वजह से आवश्यकता की वस्तुओं की कीमत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है ऐसे में महंगाई बहुत अधिक बढ़ गई है। जिससे परिवार का पालन करना बहुत ही कठिन हो गया है। ऐसे में गरीब लोग क्या करें। इसीलिए ना चाहते हुए भी गरीबों के परिवार के हर सदस्य को मजदूरी करना पड़ता है। फिर चाहे वह बड़ा हो या बच्चा। तभी उनका जीवन यापन हो सकता है।

2-  भ्रष्टाचार

हम सबको पता है समाज में भ्रष्टाचार बहुत बुरी तरह से जगह बना चुका है। ऐसे में बड़े-बड़े होटलों और कारखानों के मालिक बच्चों से बाल मजदूरी करवाते हैं। नहीं इस बात का कोई डर नहीं है कि यह एक गैर कानूनी काम है पकड़े जाने पर उन्हें इस बात की सजा मिलेगी क्योंकि उन्हें पता है कि वे अपने पैसे के दम पर छूट जाएंगे। उनके पास पैसे का पावर है। और इसी वजह से भ्रष्टाचार बाल  को बढ़ावा दे रही है।

3-  गरीबी

हमारे देश में गरीबी का होना सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कारण है बाल मजदूरी का। गरीब लोग अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए बच्चों को बाल मजदूरी करने देते हैं। ताकि कम से कम उनको पेट भर भोजन मिल सके।

4-  पैसे की लालच

छोटी उम्र में बच्चों को पैसे की लत लग जा रही है। वह इसे अपना पैसा समझकर अपने हिसाब से इस्तेमाल करते हैं। और मेरी सर माधुरी के लिए विवश हो जाते हैं।

5-  शिक्षा का अभाव

जो अभिभावक बिना पढ़े लिखे हैं उनमें से कुछ लोगों की मानसिकता यह है कि बच्चे जितनी कम उम्र में अपने पैरों पर खड़ा हो जाए उतना ही अच्छी बात है। इसीलिए वह अपने बच्चों को बाल मजदूरी करने देते हैं।

बाल श्रम का बुरा प्रभाव

जिंदगी का सबसे सुनहरा पल बाल मजदूरी द्वारा बच्चों से छीन लिया जाता है। या फ़िर ऐसा कह लो उनसे उनकी बचपन रुपी खुशी ही छीन ली जाती है।  बाल मजदूरी से अक्सर बच्चे कुपोषित हो जाते हैं। क्योंकि उनसे मेहनत ज्यादा करवाई जाती है और खाने को कम दिया जाता है। और वह पूजा के अभाव में कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।

बाल मजदूरी के दौरान लड़की लड़कियों का शोषण भी किया जाता है। बाल मजदूरी में 40 प्रतिशत बच्चों के साथ शारीरिक शोषण किया जाता है ऐसा एक रिपोर्ट द्वारा अनुमान लगाया गया है।

बाल मजदूरी करते समय अपने बच्चों से गलतियां हो जाती हैं। उनकी गलतियों पर उन्हें मानसिक रूप से किया जाता है जिसका इनके दिमाग बहुत बुरा असर होता है।

बच्चों को जिस उम्र में विद्यालय में रहना चाहिए। उस उम्र में वह ऐसी जगह काम कर रहे होते हैं जहां बहुत ही अभद्र व्यवहार किया जाता है उनके साथ में। ऐसे में हमारे देश का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है। और इन्हीं कारणों से बेरोजगारी और गरीबी जैसे समस्या अधिक बढ़ने लगती है।

बाल श्रम को रोकने का उपाय

बाल श्रम को रोकने के लिए हमारे सरकार में बहुत सारा कानून बनाया है। लेकिन कानून बनाने से कुछ नहीं होता । जब तक हम कानून का अच्छी तरह से पालन ना करें। सरकार द्वारा बनाया गया कुछ इस प्रकार से है-

1- 1986 में सरकार द्वारा एक एक्ट पारित किया गया था जिसे निषेध विनियम एक्ट के नाम से जानते हैं। इस act के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना दंडनीय अपराध है।

2-  2000 में, देखभाल और संरक्षण नामा एक्ट बनाया गया।

3- 2009 में, बच्चों की स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार के रूप में एक एक्ट बनाया गया इस एक्ट में 6 से 14 वर्ष  उम्र के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने और प्राइवेट स्कूलों में 25% सीट आरक्षण के रूप में गरीब और विकलांग बच्चों को देने की बात कही गई।

यह सारे कानून सरकार द्वारा बाल मजदूरी रोकने के लिए बनाया गया है। इसके साथ सभी को इस बात को समझना चाहिए कि बाल मजदूरी एक अभिशाप है समाज के लिए। यह हमारे समाज को अन्याय की ओर ले जा रही है। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना चाहिए।

निष्कर्ष

बाल श्रम या बाल मजदूरी जैसे अभिशाप को समाज से दूर करना बहुत ही आवश्यक है। सभी बच्चों को अपना बचपन जीने का हक है।और किसी को भी उनसे उनका यह हक छीनने की इजाजत नहीं है। बाल मजदूरी की वजह से बच्चे शिक्षित नहीं हो पाते हैं जिससे उनका भविष्य अंधकार में हो जाता है। हमारी सरकार में बाल मजदूरी रोकने के लिए बहुत सारे कानून बनाए हैं। और हमें उन कानूनों का पालन करना चाहिएं। समाज में भ्रष्टाचार जैसी भावना की वजह से बाल मजदूरी को और बढ़ावा मिल जाता है।