भुवनेश्वर शहर पर निबंध – Essay on Bhubaneswar City in Hindi

नमस्कार दोस्तों! इस पोस्ट में आपको भुवनेश्वर शहर पर निबंध (Essay on Bhubaneswar City in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिस करूँगा । भुवनेश्वर ओड़िशा का सबसे बड़ा नगर तथा पूर्वी भारत का आर्थिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह नगर अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व में यहीं प्रसिद्ध कलिंग युद्ध हुआ था। इसी युद्ध के परिणामस्‍वरुप अशोक एक लड़ाकू योद्धा से प्रसिद्ध बौद्ध अनुयायी के रूप में परिणत हो गया था। भुवनेश्वर को पूर्व का ‘काशी‘ भी कहा जाता है। यह एक प्रसिद्ध बौद्ध स्‍थल भी रहा है। प्राचीन काल में 1000 वर्षों तक बौद्ध धर्म यहां फलता-फूलता रहा है। बौद्ध धर्म की तरह जैनों के लिए भी यह जगह काफी महत्‍वपूर्ण है।

भुवनेश्वर शहर पर निबंध (Essay on Bhubaneswar City in Hindi)

भारत के पूर्वी हिस्से में बसा भुवनेश्वर ओडिशा की राजधानी है। यह शहर महानदी के किनारे पर स्थित है और यहां कलिंगा के समय की कई भव्य इमारतें हैं। यह प्रचीन शहर अपने दामन में 3000 साल का समृद्ध इतिहास समेटे हुआ है। कहा जाता है कि एक समय भुवनेश्वर में 2000 से भी ज्यादा मंदिरें थीं।

यही वजह है कि इसे भारत का मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। भुवनेश्वर पर्यटन के तहत आप प्रचीन समय में ओडिशा में मंदिर निर्माण की कला की झलक देख सकते हैं। भुवनेश्वर, पुरी और कोणार्क आपस में मिलकर स्वर्ण त्रिभुज का निर्माण करते हैं।

भुवनेश्वर: अनंत है यहां की खूबसूरती

भुवनेश्वर को लिंगराज यानी भगवान शिव का स्थान भी कहा जाता है। इसी जगह पर प्रचीन मंदिर निर्माण कला फला-फूला था। यहां आने वाले पर्यटक आज भी पत्थरों पर उकेरी गई डिजाइन को देख कर मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रहते हैं।

भुवनेश्वर और आसपास के पर्यटन स्थल

essay on bhubaneswar in hindi: भुवनेश्वर में ऐसे ढेरों पर्यटन स्थल हैं जो पर्यटकों को बांधे रखते हैं। ओडिशा के सबसे बड़े शहर भुवनेश्वर में मंदिर, झील, गुफा, म्यूजियम, पार्क और बांध का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है।

लिंगराज मंदिर, मुक्तेश्वर मंदिर, राजारानी मंदिर, इस्कोन मंदिर, राम मंदिर, शिरडी साई बाबा मंदिर, हीरापुर स्थित योगिनी मंदिर और विशाल संख्या में यहां के अन्य मंदिर ओडिशा मंदिर वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है।

बिंदु सागर झील, उदयगिरि व खंडगिरि की गुफाएं, धौली गिरी, चंदका वन्यजीव अभ्यारण्य और अतरी स्थित गर्म पानी का झरना सरीखे कुछ प्राकृतिक स्थलों से भुवनेश्वर की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है।

प्रकृतिप्रेमियों को भी भुवनेश्वर काफी रास आता है, क्योंकि यहां ढेरों पार्क हैं। इनमें बीजू पटनायक पार्क, बुद्ध जयंती पार्क, आईजी पार्क, फोरेस्ट पार्क, गांधी पार्क, एकाम्र कानन, आईएमएफए पार्क, खारावेला पार्क, एसपी मुखर्जी पार्क, नेताजी सुभाष चंद्र बोस पार्क आदि प्रमुख है।

अगर आपकी दिलचस्पी स्पोर्ट्स और विज्ञान में है तो फिर यहां का रीजनल साइंस सेंटर, पठानी सामंत ताराघर और कलिंगा स्टेडियम आपके लिए है। यहां का नंदनकानन जू बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है। भुवनेश्वर के पर्यटन स्थलों की फेहरिस्त काफी लंबी है।

इनमें पीपली गांव, देरास बांध, बाया बाबा मठ, शिशुपालगढ़, बीडीए निक्को पार्क, फॉर्चून सिटी, इंफो सिटी आदि का भी खासा महत्व है। भुवनेश्वर शॉपिंग का भी बेहतरीन विकल्प मुहैय्या कराता है। आप यहां से टाई, कपड़े, पीतल से बने बर्तन और लकड़ी से बने सामान खरीद सकते हैं।

भुवनेश्वर और आसपास के मंदिर

यहाँ के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल लक्ष्मनेश्वर मंदिरों का समूह, परसुरामेश्वर मंदिर, स्वर्नाजलेश्वर मंदिर, मुक्तेश्वर मंदिर, वैताल मंदिर, ब्रह्मेश्वर मंदिर, मेघेश्वर मंदिर, वस्करेश्वर मंदिर, अनंत वासुदेव मंदिर, साड़ी मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर, मारकंडेश्वर मंदिर, यमेश्वर मंदिर, चित्रकरिणी मंदिर, सिसिरेश्वर मंदिर आदि हैं|

इसके आलावा मां कनकदुर्गा पीठ, और इस्कोन मंदिर भी प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं| प्राचीन मंदिरों का सावधानी से संरक्षण भी किया जा रहा है|

लिंगराज मंदिर

ओडिशा (essay on bhubaneswar city in hindi) के इस सबसे प्राचीन मंदिर को सोमवंश के राजा ययाति ने 11विन शताब्दी में बनवाया था| नगर शैली में बना यह मंदिर लगभग 185 फिट ऊँचा है| कहा जाता है यह मंदिर विस्मय और कौतुहल का वास्तविक संयोजन है (the truest fusion of dream and reality)| इस मंदिर की मूर्तियां का निर्माण चारकोलिथ पत्रों से किया गया है, जिन पर समय का प्रभाव नहीं पड़ता है और ये आज भी चमक रहीं है|

यह मंदिर भगवान शिव के एक रूप हरिहारा को समर्पित है| मंदिर में स्थित भोग मंडप में मनुष्य और जानवरों को संभोग करते हुई मूर्तियां उकेरी गयी गई| इस मंदिर में सिर्फ हिन्दुओं को प्रवेश की अनुमति है| लिंगराज मंदिर और अनंत वासुदेव मंदिर के बीच में बिंदु सरोवर स्थित है, जिसमे भारत की सभी पवित्र नदियों का जल है|

राजारानी मंदिर

इस मंदिर का भी निर्माण 11वीं शताब्दी में कराया गया था| यह खुबसूरत लाल और सुनहरे बलुआ पत्थरों से बना है| इन पत्थरों को स्थानीय भाषा में राजारानी कहा जाता है| जिस कारण इस मंदिर का नाम राजारानी पड़ा| मंदिर के प्रमुख आकर्षण अलंकृत नक्काशीदार मूर्तियों हैं। राजारानी मंदिर में भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। यह सुंदरता और अनुग्रह का एक प्रतीक है।

मंदिर के दीवार पर स्त्री और पुरुषों की कुछ कामोत्तेजक नक्काशी की गई है। रोचक बात यह है कि मंदिर के गर्भ-गृह में कोई प्रतिमा नहीं है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस मंदिर का रखरखाव करता है और इसमें प्रवेश के लिए टिकट लेना पड़ता है।

मुक्तेश्वर मंदिर

10वीं शताब्दी में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो कलिंग वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है| धनुषाकार आकृति में बने इस मंदिर में भाव तोरण और प्रवेश द्वार हैं, जो उड़ीसा में बौद्ध धर्म के प्रभाव को दर्शाते हैं| अद्भुत वास्तुशिल्पीय शैली में यहाँ हजारों प्रतिमाएं बनी हुई हैं|

मुक्तेश्वर का अर्थ होता है- स्वतंत्रता के भगवान। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहाँ हर वर्ष तीन दिवसीय नृत्य उत्सव का आयोजन पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है, जहाँ ओडिशा के परंपरागत नृत्य ओडीसी की प्रस्तुति दी जाती है।

उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाएं

ईसा पू. दूसरी शताब्दी में निर्मित इन गुफाओं में कभी प्रसिद्द जैन मठ थे| उदयगिरी या उगते सूर्य की पहाड़ियां, लगभग 135 फिट और खंडगिरी या टूटी हुई पहाड़ियां, लगभग 118 फिट ऊँची हैं|

इन गुफाओं का मुख्य आकर्षण इसकी अद्भूत नक्काशियां हैं| उदयगिरी की सबसे बड़ी गुफा को रानी गुंफा या रानी की गुफा, और दूसरी हाथी गुंफा है, जहाँ प्रवेश पर हाथियों की अद्भुत मूर्तियां हैं| खंडगिरी में बड़ी संख्या में गुफाएं हैं, जिनका प्रयोग ध्यान आदि के लिए किया जाता था| उदयगिरि में 18 गुफाएं और खंडगिरि में 15 गुफाएं हैं।

धौलीगिरी

धौलीगिरी की पहाड़ियां मौर्य सम्राट अशोक द्वारा छेड़े गए कलिंग युद्ध की गवाह हैं और 261 ईसा पूर्व में कलिंग युद्ध के बाद यहीं अशोक को पश्चाताप हुआ था, जिसके बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था|

कलिंग के शिलालेखों में अशोक ने कलिंग के लोगों को विद्रोह न करने की चेतावनी दी थी| 3 शताब्दी ईसा पूर्व के ये शिलालेख आज भी अच्छी हालत में हैं, और इन पर एक हाथी और भगवान बुद्ध के सार्वभौमिक प्रतीक भी हैं| भारत और जापान के सहयोग से यहाँ 1970 में एक सफ़ेद रंग का शांति स्तूप बनाया गया है|

भुवनेश्वर में इसके आलावा नंदनकानन राष्ट्रीय पार्क , चंदका वन्यजीव अभ्यारण्य, राम मंदिर, भुवनेश्वर, शिरडी साई बाबा मंदिर, हीरापुर का योगिनी मंदिर, बीडीए निक्को पार्क, अतरी में गंधक का गर्म पानी का झरना, इंफो सिटी, कलिंगा स्टेडियम, फार्चून टॉवर, पठानी सामंत ताराघर, रीजनल साइंस सेंटर, बीजू पटनायक पार्क, बुद्ध जयंती पार्क, एकाम्र कानन, देरास डेम, फारेस्ट पार्क, इंदिरा गाँधी पार्क, गाँधी पार्क, जनजातीय कला और शिल्पकृति संग्रहालय, उड़ीसा स्टेट म्यूजियम आदि दर्शनीय स्थल हैं|

भुवनेश्वर को इकत (Ikat) कपड़ों के लिए भी जाना जाता है, जिसे ज्यादातर साड़ियाँ बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है| टसर और संबलपुरी सिल्क के उत्कृष्ट कपडे भी यहाँ बनाये जाते हैं|

उम्मीद करता हु आपको भुवनेश्वर शहर पर निबंध (Essay on Bhubaneswar City in Hindi) के माध्यम से भुवनेश्वर के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी। अगर आप कुछ पूछना या जानना चाहते है, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर जाकर अपना सन्देश भेज सकते है। हम आपके प्रश्न का उत्तर जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे। इस पोस्ट को पढने के लिए आपका धन्यवाद!

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