ESR टेस्ट एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है जिसके द्वारा शरीर में सूजन या किसी बीमारी और रोग का कारण जानने के लिए किया जाता है। आजकल हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है , कभी-कभी सिर्फ दर्द भी बड़ी बीमारी का कारण हो सकता है। जैसे किसी बीमारी को पता करने के लिए अनेक प्रकार के टेस्ट किया जाते है.
ESR Test Kya Hota Hai?
ऐसे ही अनेक बीमारियों का कारण या शरीर में ए दिन सूजन का कारण जानने के लिए एक ब्लड टेस्ट होता है जिसे OCR कहते हैं। ECR का पूरा नाम एरिथ्रोसाइट सिडमेंटशन रेट है। इसे सैड रेट भी कहा जाता है।
ESR को मापने का तरीका :- ESR को मापने का तरीका हर आयु वर्ग के लिए अलग अलग है जोकि एक चार्ट के द्वारा समझाया जा रहा है :-
आयु वर्ग | पुरुष | महिला |
50<0 (50 वर्ष से कम) | 15 मि मी / घंटा | 20 मि मी / घंटा |
50>0(50 वर्ष से अधिक) | 20 मि मी / घंटा | 30 मि मी / घंटा |
नवजात शिशु | 2 मि मी / घंटा | |
बालक और किशोरवस्था से कम | 3-13 मि मी / घंटा |
यदि हमारे शरीर में रक्त कोशिकाएं आपस में नजदीक रहती है , या एक-दूसरे से चिपकी रहती हैं तो शरीर में सूजन आ जाती है , जो किसी न किसी बीमारी का संकेत देती है। यदि शरीर किसी बीमारी से ग्रस्त है और तो हमारे शरीर में सूजन आ जाती है और तभी चिकत्सक हमें यह टेस्ट करने को बोलते है , यदि शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की बीमारी पनप रही है तो ESR नार्मल से अधिक आएगा। यदि ESR अधिक है इस बात का पता इस बात से लगाया जा सकता है जब आपका टेस्ट किया जाता है तो आपका रक्त टेस्ट tube में तेजी से गिरता है , यदि ESR का स्तर कम है तो टेस्ट के दौरान रक्त tube में 01 घंटे में धीरे-धीरे गिरता है।
दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं इस टेस्ट के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाओं में मैल की मात्रा कितनी है , इसके साथ-साथ यह भी परखा जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं टेस्ट के कितनी देर बाद टेस्ट tube की तली में जमा होती है , यदि 01 घंटे के दौरान जितनी जल्दी लाल रक्त कोशिकाओं से रक्त नीचे टेस्ट tube में जमा होता है , उतना ही ज्यादा सेंडीमेंटशन रेट होगा।
टेस्ट कराने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
कोई भी व्यक्ति या बच्चा , महिला जिसे इस प्रकार के टेस्ट के लिए कहा जाता है तो उसे टेस्ट से पहले कोई भी दवाई नहीं लेनी चाहिए नहीं तो टेस्ट में गड़बड़ हो सकती है और यदि ऐसी कोई भी दवाई का सेवन करते भी है तो डॉक्टर को बता देना चाहिए। डॉक्टर को इस टेस्ट से पहले अपने खान-पान से सम्बंधित सारी जानकारी देनी चाहिए। जब कोई इस टेस्ट को करवाने जाये तो उसे आधे बाजू जितने कपडे पहनने चाहिए ताकि डॉक्टर अच्छी प्रकार टेस्ट के लिए रक्त को लें सके।
यदि कोई बालक टेस्ट के लिए जाता है तो कोशिश करें बालक को टेस्ट के दौरान किसी और मनोरजनात्मक कार्य में लगाए , जैसे उससे बातें करके उसका मन बहलाये या उसे कोई खिलौना दिखा कर उसका ध्यान टेस्ट से हटा दें , इसका कारण यह है कई बार बच्चे टेस्ट से डर जाते है और सुई लगवाने और रक्त के बहने से दर जाते हैं। ऐसा केवल बच्चों के साथ ही नहीं बड़ों के साथ भी हो सकता है। यदि आपको इंजेक्शन से दर लगता है तो कोशिश करें कि जब आपका ब्लड लिया जाये तो आप अपना धयान सुई के तरफ न रखकर कही और रखे ताकि आपको दर्द का अहसास न हो और आप आसानी से टेस्ट के लिए रक्त दे सके। जब यह टेस्ट किया जाता है तो हो सकता है की सुई चुबने ने आपके शरीर के उस हिस्से में सूजन आ जाये , परन्तु इस सूजन से घबराना नहीं चाहिए , क्योंकि वह सूजन केवल सुई चुबने से हुई है जो कुछ घंटो में या एक दिन में ही खत्म हो जाएगी।
ESR टेस्ट कुछ दवाओं से प्रभावित हो सकता है , यदि आप किसी भी दवाई का सेवन करते है तो डॉक्टर को अवश्य इस बारे में जिक्र करें। और टेस्ट से पहले किसी भी दवाई को ग्रहण न करें। नीचे कुछ दवाओं के नाम दियेगए है जिनके कारण ESR प्रभावित हो सकता है :-
हेरोइन ,मेथाडोन ,डेपाकिन (वैल्प्रोइक एसिड ),एंड्रोजन ,एस्ट्रोजन,प्रेड्निसोन आदि किसी भी दवाई का यदि कोई व्यक्ति सेवन करता है तो ESR प्रभावित होता है।
ESR टेस्ट कैसे करते हैं :- जैसे कि हमने पहले बताया है कि यह नार्मल ब्लड टेस्ट की तरह ही है , आईये जानते हैं यह टेस्ट कैसे होता है :-
इसमें आपकी त्वचा को सबसे पहले साफ़ किया जायेगा , इसके बाद आपकी बाजू पर एक ऊपर की और एक पट्टा बांधा जाता है ताकि रक्त नसों में रक्त जमा होना शुरू हो जाये , फिर नस में सुई डालकर रक्त को एक टेस्ट tube में भर लिया जाता है , सुई को हटाते ही उस जगह पर एक बैंडेज लगा दी जाती है ताकि रक्त को बहाव रुक जाये या कभी-कभी एक रुई में एंटी-सेपटिक दवा लगा कर , सुई लगाए गए स्थान पर मरीज को रखने के लिए दी जाती है और कहा जाता है उस जगह को रुई से दबा कर रखे ताकि रक्त का बहाव रुक जाये , जैसे ही टेस्ट tube में रक्त ले लिया जाता है , उसे ESR टेस्ट के जाँच के लिए भेज दिया जाता है। जब ESR के टेस्ट के लिए ब्लड लिया जाता है तो हो सकता है क़ि आपको कुछ कमजोरी महसूस हो , बेहोशी आ जाये , नसों में सूजन आ जाये , चक्कर आ जाये।
ESR के बढ़ने के कारण
यह व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ साथ बढ़ता रहता है और यदि कोई महिला गर्भवती है तो ESR अधिक होगा , इसके साथ-साथ यदि कोई लड़की या महिला मासिक धर्म में है तो भी उसका ESR अधिक आएगाऔर यदि व्यक्ति किसी बीमारी का शिकार है तो उसका ESR अधिक होगा , और यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी दवा का सेवन करता है तो उसका ESR अधिक होगा।
ESR के बढ़ने का कारण :- यदि कोई व्यक्ति नीचे लिखी बीमारियों से ग्रस्त तो उसका ESR समान्य से अधिक होगा
u रक्ताल्पता | u लिंफोमा
| u शरीर में रक्त की कमी |
u गुर्दे की बीमारी | u गर्भावस्था
| u किडनी सम्बंधित रोग |
u हड्डी ,दिल , त्वचा, प्रणालीगत का संक्रमण
| u प्राथमिक मेक्रोग्लोबुलिनमिया | u थायराइड |
u अस्थायी धमनी
| u गठिया | u Lupas |
u बुढ़ापा | u गलग्रंथि की बीमारी | u रक्त वाहनियों में सूजन आना |
u संधिशोध | u एलर्जी | u निमोनिया |
u दिल की बीमारी | u पेट के रोग | u टी.वी. की बीमारी |
u रुमेटिक फीवर | u कैंसर | u जोड़ो में दर्द होना या मासपेशियो में दर्द होना |
ESR के कम होने का कारण :- यदि कोई व्यक्ति नीचे लिखी बीमारियों से ग्रस्त तो उसका ESR समान्य से कम होगा :-
- कोंजेस्टिव दिल की विफलता
- लुकोसिटोसिस
- लौ प्लाजमा प्रोटीन
- सिकलसेल एनीमिया
ESR टेस्ट के लिए कब बोला जाता है
कोई चिकत्सक आपको ESR टेस्ट के लिए तब बोलेगा जब आप कुछ बीमारियों को लगातार महसूस कर रहे हैं , जैसे – सिरदर्द ,जोड़ो का दर्द , कंधो में व गर्दन में दर्द होना , भूख न लगना , बिना किसी कारण के लगातार शरीर के भार में कमी आना। यह टेस्ट आप सुबह खाली पेट या किसी भी समय पर करा सकते हैं , बस शर्ते हैं कि आपने टेस्ट से पहले किसी भी दवाई का सेवन न किया हुआ हो।
ESR का स्तर :- ESR के स्तर को सामान्य करने के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं :-
- संतुलित भोजन का सेवन करें।
- अपने आहार में हरी सब्जियों व फलों को शामिल करें।
- प्रोटीनयुक्त आहार का सेवन करें , जैसे -मछली , अंडे , दालों , अखरोट , बादाम का सेवन करें।
- ESR को कम करने के लिए ओमेगा-3 को ले सकते हैं क्योंकि इसमें फैटी एसिड होता है , जिसके कारण सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
- दालचीनी का सेवन भी ESR को सामान्य करने में मदद करता है।
- ग्रीन टी में मौजूद पोलीफेनॉल्स सूजन को कम करने में सहयक है , इस तरह यह ESR को कम करने में मदद करता है।
- लहसुन और अदरक भी शरीर के सूजन को दूर करते हैं।
- हल्दी जोकि एक बहुत उत्तम उपचार है। किसी भी दर्द को कम करने और सूजन का निवारण करने में हल्दी प्रमुख भूमिका निभाती है।
- यदि आप किसी नशीले पदार्थ का सेवन करते हैं तो उसका सेवन न करें।
- अत्यधिक चीनी या तला हुआ आहार भी हमारी सेहत के लिए हानिकारक है। अतः जितना हो सके सामान्य आहार ही लें , आहार में न ज्यादा मीठा हो , न ज्यादा नमक हो , न ही ज्यादा तला हुआ भोजन हो।
- व्यायाम करने की आदत डालें , व्यायाम करने से अनेक बीमारियों का इलाज संभव है। योग भी इस कार्य में आपकी मदद कर सकता है। इसके कारण ESR का स्तर सामान्य किया जा सकता है।
- यदि वजन अधिक है तो भी ESR अधिक हो सकता है , इसलिए वजन भी अधिक नहीं होना चाहिए।
- जितना हो सके स्वयं को तनावमुक्त रखें , तनाव के कारण ही हमारा शरीर अनेक बीमारियों का शिकार हो जाता है , जिसके कारण ESR के स्तर का बढ़ना स्वाभाविक है।
- प्रतिदिन 08 घंटे की नींद स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है , यदि आप सही समय पर सोते नहीं है तो भी ESR का स्तर बढ़ सकता है।
- जितना हो सके पानी पीये , प्रतिदिन कम से कम 05 लीटर पानी पीये।