धनतेरस के बारे में पूरी जानकारी – Dhanteras in Hindi

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल (लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त) में की जानी चाहिए। पूजा सूर्यास्त और दिन के अंत के अगले एक घंटे और 43 मिनट के बाद शुरू की जा सकती है। धनतेरस पूजा को धनवंतरी त्रियोदशी, धनवंतरी जयंती पूजा, यमद्वीप और धनत्रयोदशी के रूप में भी कहा जाता है।

धनतेरस के बारे में पूरी जानकारी – Dhanteras in Hindi

यह पूरे भारत के साथ साथ दूसरे देशों में भी पॉच दिन लम्बे दिवाली समारोह के पहले दिन का त्यौहार है। धनतेरस का अर्थ है, हिन्दू चन्द्र कलैण्डर के अनुसार, अश्विन के महीने में 13 वें दिन (कृष्ण पक्ष में,अंधेरे पखवाड़े) धन की पूजा। इस दिन देवी लक्ष्मी की भी पूजा होती है, और इस दिन कुछ बहुमूल्य वस्तुऍ खरीद कर घर लाने की भी परम्परा है इस मिथक के साथ कि देवी लक्ष्मी घर आयेगी। यह घर के लिये भाग्य और समृद्धि लाता है।

धनतेरस कैसे मनायी जाती है?

इस महान अवसर पर लोग सामान्यतः अपने घरों की मरम्मत कराते है, साफ सफाई और पुताई कराते है, आंतरिक और बाहरी घर सजाते है, रंगोली बनाते है, मिट्टी के दीये जलाते है और कई और परंपराओं का पालन करते है।

वे अपने घर धन और समृद्धि लाने के लिए देवी लक्ष्मी के तैयार किए गए पैरों के निशान चिपकाते हैं। सूर्यास्त के बाद, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की गुलाब और गेंदें के फूलों की माला, मिठाई, घी के दिये, धूप-दीप, अगरबत्ती, कपूर को अर्पित करके समृद्धि, बुद्धिमत्ता और अच्छे के लिये पूजा करते है। लोग देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के मंत्रोंच्चारण, भक्ति गीत और आरती गाते है। लोग नये कपङे और गहने पहनकर जुऍ का खेल खेलते है।

धनतेरस की कहानियाँ और किंवदंतियॉं

धनतेरस का जश्न मनाने के पीछे पौराणिक कथा, राजा हिमा के 16 साल के बेटे की कहानी है। उसके बारे में ऐसी भविष्य वाणी हुई थी कि उसकी मृत्यु शादी के चौथे दिन सॉप द्वारा काटने पर होगी। उसका पत्नी बहुत चालाक थी, उसने अपने पति का जीवन बचाने का रास्ते खोज लिया था। उसने उस विशेष दिन अपने पति को सोने नहीं दिया। उसने अपने सभी सोने व चॉदी के बहुत सारे आभूषण और सिक्के इकट्ठे किये और अपने शयन कक्ष के दरवाजे के आगे ढेर बना दिया और कमरे में प्रत्येक जगह दीये जला दिये। अपने पति को जगाये रखने के लिये उसने कहानियॉ सुनायी।

मृत्यु के देवता, यम साँप के रुप में वहॉ पहुंचे। गहनें और दीयों के प्रकाश से उनकी आँखें चौंधिया गयी। वह कमरे में घुसने में पूरी तरह असमर्थ थे, इसलिये उन्होनें सिक्कों के ढेर के ऊपर से कूद कर जाने का निश्चय किया। किन्तु राजकुमार की पत्नी का गीत सुनने के बाद वे वहीं पूरी रात बैठ गये। धीरे धीरे सुबह हो गयी और वे बिना उसके पति को लिये वापस चलें गये। इस तरह उसने अपने पति के जीवन की रक्षा की, तभी उसी दिन से यह दिन धनतेरस के रुप में मनाया जाने लगा।

दिवाली का जश्न मनाने के पीछे एक अन्य कथा, देवताओँ और राक्षसों द्वारा अमृत पाने के लिये समुन्द्र मंथन की कथा है। धनवंतरी (जिन्हें देवताओं के चिकित्सक और भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जाना जाता है) सागर मंथन से (अमृत के जार के साथ) निकले थे। यहीं दिन धनतेरस के रुप में मनाया जाता है।

धनतेरस पर परंपराऍ

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हिंदुओं द्वारा इस समारोह के अनुसरण करने के पीछे विभिन्न रीति रिवाजों और परंपराओं की किस्में है। लोग नयी चीजें जैसें सोने व चॉदी के सिक्के, गहने, नये बर्तन और अन्य नयी वस्तुओं को खरीदने को अच्छा विचार मानते है। लोगो का मानना है कि घर में नयी चीजें लाना पूरे वर्ष के लिये लक्ष्मी को लाने की पहचान है। लक्ष्मी पूजा शाम को की जाती है, और लोग बुरी आत्माओं परछाई को दूर करने के लिये विभिन्न दीये जलाते है। लोग बुरी शक्तियों को भी दूर करने के लिये भक्ति के गाने, आरती और मंत्र गाते है।

गाँव में लोग अपने मवेशियों को सजाते है और उनकी पूजा करते है क्योंकि उनकी आय का मुख्य स्त्रोत वे ही होते है। दक्षिण भारतीय लोग गायों को सजा कर देवी लक्ष्मी के एक अवतार के रूप में उनकी पूजा करते हैं।

धनतेरस का महत्व

धनतेरस पर घर में नई चीजों को लाना बहुत शुभ माना जाता है। लोग कैलेंडर के अनुसार शुभ मुहूर्त के दौरान लक्ष्मी पूजा करते हैं। कुछ स्थानों पर सात अनाज (गेहूं, चना, जौ, उड़द, मूंग, मसूर) की पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान सुनहरा फूल और मिठाई अर्पित की जाती हैं।

यह त्यौहार सभी लोगों के जीवन में एक बड़ी भूमिका निभाता है। यह सभी के लिए एक बहुत खुशी, धन, समृद्धि, बुद्धि और अच्छा भाग्य लाता है। लोग अपने आस पास से बुरी ऊर्जा और आल्स्य को हटाने के लिये सभी वस्तुओं को साफ करते है। पूजा करने से पहले लोग अपने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को साफ ककरने के लिये नहाते है। इस दिन देव धनवंतरि का जन्म दिन है, चिकित्सा विज्ञान से संबंधित सभी नए अनुसंधानों इसी दिन स्थापित किये जाते हैं।