दहेज़ प्रथा पर निबंध – Essay On Dowry System in Hindi

हमारे समाज में कुछ रिती रिवाज ऐसे हैं जो परंपरागत तौर पर सदियों से प्रयोग में हैं, बदलते जमाने के साथ रिती रिवाज आज भी नहीं बदला है भले ही वह गलत हो या सही लोग उस पर अंधा विश्वास करते हैं और उसे अपनी जिंदगी में शामिल करते हैं ।

परंपरा रीति रिवाज अगर सही हो तो हमेशा ही हितकारी होता है लेकिन अगर वह परंपरा किसी की जिंदगी की बेरी बन जाए यहां किसी की खुशियों को ग्रहण लगा दिए तो वैसे परंपरा को कभी भी अपनी जिंदगी में कोई स्थान नहीं देना चाहिए ।

दहेज़ प्रथा पर निबंध – Long and Short Essay On Dowry System in Hindi

जब भी हम कोई त्यौहार या कोई शादी ब्याह करते हैं तो अपने पूर्वजों के द्वारा दिए गए ज्ञान को अपने जिंदगी में अपनाते हुए इस दौरान कई रीति-रिवाजों किए जाते हैं जिनका मूल्य तौर पर कुछ और मतलब होता है लेकिन बदलते वक्त के साथ लोगों के अंदर लालच आता गया और उन रीति रिवाज को पैसों के जरिए दिखावे का तरीका बना दिया गया ।

भले ही पैसा से दुनिया की हर खुशी खरीदी जा सकती है लेकिन  हर सिक्के के दो पहलू होता है ठीक उसी तरह अत्यधिक कुछ भी भला नहीं होता अब यह बात कई हद तक पैसे पर लागू होती हैं । अगर पैसा ना हो तो इंसान भीख मांगने तक को मजबूर हो जाता है , तो कभी पैसों की किल्लत के कारण इंसान अपने कई रिश्तो को खो देता है।

ठीक उसी तरह अगर पैसा हो तो इंसान दूसरों की मदद करता है और किसी भी बीमारी से लड़कर कुछ हद तक अपने परिवार वालों और चाहने वालों की जिंदगी का रक्षा भी कर पाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है किया पैसा किस तरह किसी की जिंदगी बर्बाद कर सकता है?

अगर नहीं सोचा है तो आपको बेशक इस बारे में सोचने की बेहद जरूरत है क्योंकि यह पैसा कई लड़कियों की जिंदगी को इस तरह बर्बाद करता है कि उस बर्बादी के बाद कितनों की जान चली जाती है, और कुछ आत्महत्या करके दुनिया को अलविदा कह देती है लेकिन फिर भी अगर साहस दिखाते हुए कुछ लड़कियां हालात से लड़कर बचती है तो उन्हें दुनिया के ताने और कई बार ससुराल वाले के हाथों में मृत्यु नसीब होती है ।

अब तक आप यह समझ गए होंगे कि हम किस रीती रिवाज की बात कर रहे हैं जो धीरे-धीरे हमारे समाज में हावी हो चुकी है और औरतों की जिंदगी को दीमक की तरह धीरे-धीरे बर्बाद कर रही है। यह प्रथा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है और इसे हम “दहेज प्रथा” के नाम से जानते हैं ।

एक ऐसी प्रथा जिसने कई दुल्हनों की जिंदगी को झुलसा दिया और कई दुल्हन आत्महत्या करके इस दुनिया से चली गई यह वही प्रथा है । जब हम किसी को अपनी खुशी अनुसार कोई तोहफा देते हैं और वह इंसान उस तोहफे को इज्जत और आदर के साथ स्वीकार करता है तो देने वाला और तोहफा देने वाला दोनों ही खुश होते हैं लेकिन अगर तोहफा के नाम पर लालच भरा हो तो उस लालच को किसी भी तोहफे के जरिए खत्म नहीं किया जा सकता ।

दहेज के प्रभाव मानव जाति के बीच अनंत काल से चली आ रही है उस दौरान जब किसी बेटी का बाप बेटी के ससुराल वाले को दहेज के रूप में अपनी खुशी अनुसार जो देता था उसे ससुराल पक्ष खुशी-खुशी स्वीकार करता था, लेकिन बदलते वक्त के साथ प्रथा का नाम वही है लेकिन अब इसके मायने को बदल दिया गया ।

आज भेज के नाम पर हमारे समाज में खुलेआम लूट मचा है, बेटी का बाप यह सोचने को मजबूर हो जाता है कि उसकी शादी के दौरान कितना खर्च होगा और उस खर्च के बाद दहेज के लिए कितना रकम की बचत की जाए ताकि ससुराल वाले खुश रहें और उनकी बेटी को खुशी-खुशी स्वीकार करें, दहेज का लालच आज समाज में इतना बढ़ चुका है कि कम दहेज मिलने के कारण कई दुल्हन को उसके ससुराल वाले जलाकर मार देते हैं तो कई लोग दहेज की कमी के कारण तलाक लेने के लिए तैयार हो जाते हैं और तलाक ले लेते हैं.

इन सबका असर सबसे ज्यादा उस औरत के ऊपर पड़ता है जो बेटी से बहू बनकर एक घर से दूसरे घर जाती है और उस घर में उसे पैसों के लिए जिल्लत के अलावा कुछ नहीं मिलता, दुख की बात यह है कि दहेज प्रथा को गैरकानूनी माना जाता है,

और यह एक अपराध है लेकिन यह अपराध केवल हमारे कानून तक ही सीमित है असल में समाज में यह प्रथा खुलेआम की जाती है और कोई इसके खिलाफ आवाज उठाता है और ना पुलिस में शिकायत होती है। हां लेकिन पुलिस में शिकायत तब होती है जब उस दुल्हन को दहेज के लालच के कारण बेरहमी से मार दिया जाता है.

हम सब यह कहते हैं कि हमें समाज में अच्छे बदलाव लाने चाहिए और बदलाव की शुरुआत कहां से की जाए या कोई नहीं कहता लेकिन यह बेहद जरूरी है कि अब इस प्रथा के खिलाफ हम सब मिलकर आवाज उठाएं । आपने अक्सर यह सुना होगा कि लोग कहते हैं दहेज तो देना होगा हर कोई देता है,

लेकिन कहीं ना कहीं अब इन शब्दों का प्रयोग बंद करके हमें दहेज प्रथा को रोकने की बेहद जरूरत है । हम सब इंतजार करते हैं कि कोई इस प्रथा के विरुद्ध आवाज उठाई लेकिन कोई यह कभी नहीं सोचता है कि शायद वह आवाज आप खुद हो सकते हैं और आप खुद इस प्रथा के विरुद्ध जाकर समाज के लिए एक आदर्श बन सकते हैं ।

जब एक लड़की की शादी होती है तो उसके माता-पिता शादी की खुशी से ज्यादा पैसों के प्रबंध में लगे होते हैं, क्योंकि आज के जमाने में लड़के जितनी ज्यादा पढ़े लिखे होते हैं वह अपने पद के अनुसार उतना ज्यादा रकम दहेज में मांगते हैं और हर एक बात यही चाहता है कि उसकी बेटी अच्छे से अच्छे घर में जाए और अच्छे से अच्छे लड़के से उनकी बेटी की शादी इसीलिए हर एक बाप मजबूर हो जाता है कि वह दहेज देकर अपनी बेटी की जिंदगी सवार दे , लेकिन इसे जिंदगी संवारना नहीं बल्कि जिंदगी बर्बाद करना कह सकते हैं ।

वर्तमान में जो किसी लड़की की शादी होती है तो हर कोई यह कहता है कि होने वाला दूल्हा डॉक्टर है, इंजीनियर है इत्यादि इसीलिए दहेज की मांग ज्यादा है लेकिन आपको यह समझना जरूरी है कि किसी भी पढ़े लिखे इंसान को आपके पैसे से मतलब नहीं होना चाहिए बल्कि उस इंसान को आपके व्यक्तित्व से फर्क पड़ना चाहिए, और इसीलिए शादी ए किसी रिश्ते में पैसे से ज्यादा हमेशा मन के भाव को महत्व देना जरूरी है ।

अब नहीं तो कभी नहीं इस बात को समझती हूं मैं आज से और अभी से आप इस प्रथा के खिलाफ आवाज जरूर उठाएं क्योंकि आपकी छोटी कदम से कई लोगों की जिंदगी बच सकती है और यह छोटा कदम बेहद महत्वपूर्ण कदम है इसीलिए दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं और पूरे हक़ से दहेज देने से मना करें ।