आखिर असहिष्णुता क्या होता है? दुष्प्रभाव और विरोध पूरी जानकारी

भारत में अनेक धर्म के लोग रहते हैं। सभी धर्म के अपने-अपने परंपराएं और मान्यताएं हैं। सब अपने अपने धर्म को मानते हैं और अपने धर्म में विश्वास रखते हैं। हालांकि अपने धर्म में विश्वास रखना गलत नहीं है लेकिन दूसरे के धर्म के बारे में गलत बोलना उसके धर्म का अपमान करना यह गलत बात है। और यहीं से भारत के कमजोरी की शुरुआत “असहिष्णुता” के रूप में होती हैं। असहिष्णुता भारत की सबसे बड़ी कमजोरी है। भारत की एकता को कमजोर करती है। यह सामाजिक दूरी पैदा करती। असहिष्णुता समाज में दुश्मनी का बीज बोती है। असहिष्णुता अस्वीकृत और भयानक गुण है।

आखिर असहिष्णुता क्या होता है?

असहिष्णुता को आसान भाषा में समझे तो लोगों द्वारा किसी दूसरे धर्म के लोगों के धर्म, मान्यता और उनकी प्रथा, परंपरा ना मानना अर्थात अस्वीकार कर देना ही असहिष्णुता है। जब आना हमारे समाज में अलगाव उत्पन्न करती है। यह विभिन्न समुदाय के लोगों को एक दूसरे के खिलाफ कर देती है। हमारे देश की उन्नति में बाधा है। समाज उत्थान के लिए इसी दबा देना अत्यंत आवश्यक है। असहिष्णुता की वजह से एक दूसरे के धर्म मानवता और परंपरा को नीचा दिखाने के लिए हमले की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। असहिष्णु लोग कभी भी दूसरे समूह को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। असहिष्णुता हमारे देश के विकास की सबसे बड़ी बाधा है। असहिष्णुता एक ऐसी भावना है जो समाज में युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर देती है। असहिष्णुता का अर्थ होता है सोने की शक्ति का समाप्त हो जाना।

असहिष्णुता के दुष्प्रभाव

असहिष्णुता हमारे समाज में नफरत के बीज उत्पन्न कर देती है। एक लोग दूसरे धर्म के लोगों की दुश्मन बन जाते हैं। जहां सब को एक साथ मिलकर देश के विकास के बारे में सोचना चाहिए वहां लोग अपने अपने धर्म को लेकर लड़ते रहते हैं। कोई भी मजहब या धर्म हमें आपस में लड़ना नहीं सिखाता बल्कि एकता के साथ रहना सिखाता है। असहिष्णुता विभिन्न समूहों के लोगों के बीच हिंसा उत्पन्न कर देती है। असहिष्णुता दूसरे समुदाय के लोगों को कभी स्वीकार नहीं करने देती है। असहिष्णुता छोटे-छोटे मुद्दों से शुरू होती है जैसे किसी समूह के एक अपराधी द्वारा किए गए अपराध के लिए पूरे समूह पर लांछन लगाना। समाज में उस समूह को सम्मान ना देना उसका बहिष्कार करना। ऐसी सारी बातें असहिष्णुता में आती है।

असहिष्णुता का विरोध

असहिष्णुता का विरोध करने के लिए सबसे पहले सहिष्णुता का भाव लाना होगा। एक ऐसा व्यवहार जो ऐसे लोगों को जो बिना सोचे बोलने वाले लोगों को माफ कर सके। उन लोगों के साथ भी अच्छा व्यवहार रखें जो आपकी बात से सहमत नहीं हैं। समाने वाले को ग़लत बोलने पर भी माफ कर देना चाहिए इससे यह साबित नहीं होता कि आप कमजोरी है। बल्कि यह  साबित होगा कि आप सहिष्णुतावादी है। असहिष्णुता को शिक्षा से दबाया जा सकता है। हम सबको अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए।

निष्कर्ष

असहिष्णुता इतिहास से ही चला आ रहा है। लेकिन आज पढ़ें लिखे समाज में असहिष्णुता का होना अति चिंता जनक बात है। आजकल अक्सर हमें देखने और सुनने को मिल रहा है भारत की जनता असहिष्णु होती जा रही है। यह देश में होने वाली छोटी सी छोटी घटनाओं अपना आक्रोश दिखने लगी है। इसका अर्थ यह है कि भारतीय जनता अपना संयम और संतुलन खो रही है। लेकिन ऐसी बातें सुनना हमारे लिए बहुत ही शर्मनाक बात है। असहिष्णुता का विरोध करना चाहिए।  और अपने देश के विकास के बारे में सोचना चाहिए।