एक्टिंग एक अभिनय है जिसे अभिनयकर्ता किसी मंच पर , पर्दे पर और किसी नाटक में प्रस्तुत करता है। एक्टिंग के लिए कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं है , किसी भी उम्र का व्यक्ति महिला या पुरुष जिसमें एक्टिंग करने का हुनर और जज्बा है एक्टिंग कर सकता है। एक्टिंग काने वाले को एक्टर अथवा अभिनयकर्ता कहा जाता है। ऐसा नहीं है जो फिल्मों में काम करते हैं वही एक्टर होते हैं ,किसी सीरियल या थ्रेटर में काम करने वाले भी एक्टर होते हैं। इसी तरह किसी भी मंच पर अभिनय करने वाला भी एक कलाकार ही है।
एक्टर कैसे बने (Actor Kaise Bane)
वर्तमान में एक्टिंग केवल एक नाटकीय प्रक्रिया नहीं रह गया बल्कि इसका स्तर और क्षेत्र अत्यंत बढ़ गया है। एक्टिंग आज के युग में एक करियर बन गया है। एक्टिंग के माध्यम से कई युवा लाखो रूपए कमा रहे हैं। एक्टिंग करना कहने को बहुत आसान है परन्तु वास्तव यह जटिल भी है। हर कोई अच्छा और प्रभावी अभिनय का प्रदर्शन नहीं कर सकता , यह एक कला है। यदि आप अच्छे एक्टर हो तो ही आपको इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए।
कुछ लोगो का मानना है एक्टिंग के लिए व्यक्ति का सुन्दर होना जरुरी है जबकि ऐसा नहीं है , सुंदरता दूसरा विकल्प है , पहला विकल्प आपका आत्मविश्वास है। कभी-कभी हम देखते है कि घर में कुछ बच्चे बहुत अच्छा नाटक करके दिखाते है और जब वही बच्चा स्टेज पर जाता है तो कुछ प्रदर्शन नहीं कर पाता , या एक प्रभावपूर्ण प्रदर्शन प्रस्तुत नहीं कर पाता।
इसका कारण उसके आत्मविश्वास की कमी और दूसरा बहुत सारे लोगो को देखकर डर जाना जिसके कारण वह डर से अच्छा अभिनय नहीं कर पाता। एक्टिंग में इसी डर को निकालना है और अगर आप अनजान लोगो की समक्ष अभिनय करने से घबराते है तो यह क्षेत्र आपके लिए बिल्कुल भी नहीं है। इस फीलड में या इंडस्ट्री में डर , घबराहट और हिचकिचाहट की कोई जगह नहीं है।
एक्टिंग के फील्ड में ज्यादा पढ़ा लिखा होना जरुरी नहीं है। एक्टिंग के साथ-साथ आपको भाषा का उच्चारण भी भली-भांति आना चाहिए। फिम इंडस्ट्री आजकल बहुत लोकप्रिय है और लोग फिल्मो को देखने का चाव भी रखते है जिसके कारण फिल्म इंडस्ट्री आज के दौर में अपने पैर तेज गति से पसार रही है और इसी के कारण इस इंडस्ट्री में पैसा भी खूब मिलता है। एक्टिंग के लिए आपका व्याकरण शुद्ध होना अति आवश्यक है।
एक्टिंग करना इतना सरल नहीं जितना देखने में लगता है , इस इंडस्ट्री में बहुत लोग अपना करियर बनाने के लिए आते हैं , और ऑडिशन देते हैं। कभी-कभी अभिनय अच्छा होते हुए भी व्यक्ति का सिलेक्शन नहीं होता , और इसके विपरीत किसी और का अभिनय अच्छा न होते हुए भी उसका सिलेक्शन हो जाता है। इस तरह कभी किस्मत हमारे हाथ में नहीं होती तो कभी समय सही नहीं होता। परन्तु ऐसे समय में व्यक्ति को धैर्य से काम लेना चाहिए और कठिन परिश्रम और लगन के साथ , एक postive thought के साथ फिर से प्रयास करना चाहिए वो कहते है , मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। यह कहावत फिल्म इंडस्ट्री में बहुत रंग लाती है , आप जितना अधिक अपनी एक्टिंग के प्रैक्टिस करेंगे उतना आपके अभिनय का मूल्यांकन होगा और आप एक बेहतरीन एक्टर बन जायेंगे।
एक्टिंग के लिए कोर्स का समय और कौन -कौन से कोर्स उपलब्ध हैं :-
डिप्लोमा इन एक्टिंग, फ़ास्ट ट्रैक डिप्लोमा जोकि 06 माह के कोर्स होते हैं और P .G . डिप्लोमा, जोकि 01 या 02 वर्ष का होता है। या फिर आप सर्टिफिकेट कोर्स जोकि 03 से 06 माह का कोर्स होता है वो भी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप डिप्लोमा इन परफोर्मिंग आर्ट्स जोकि 02 से 03 वर्ष का कोर्स होता है वो भी कर सकते हैं। एक कोर्स जोकि 03 वर्ष के लिए होता है , जोकि एक प्रकार से ग्रेजुएशन है बैचलर इन परफोर्मिंग आर्ट्स।
एक्टिंग का प्रशिक्षण कहाँ से ग्रहण करें?
यदि आप में अभिनय करने की कला है तो आप इस क्षेत्र में अपनी प्रतिभा अवश्य दिखाए और इसे एक करियर के रूप में भी चुन सकते हैं। परन्तु केवल एक्टिंग का आना ही उचित नहीं है , उसमे सुधार और अपनी प्रतिभा को और कुशल बनाना भी जरूरी है। इसके लिए एक्टिंग का प्रशिक्षण लेना जरुरी है। प्रशिक्षण न केवल आपको एक्टिंग सिखाता है बल्कि आपकी कला को संवारकर आपको अत्यंत प्रभावशील भी बनाएगा। आपको एक्टिंग का प्रशिक्षण कहाँ से लेना है उसके कुछ शिक्षण संस्थानों के नाम नीचे दिए गए हैं :-
- फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया , पुणे
- किशोर नामित कपूर एक्टिंग इंस्टिट्यूट , मुंबई
- भारतेन्दु नाटक अकादमी , लखनऊ
- आर.के.फिल्म एंड मीडिया अकादमी , नई दिल्ली
- रोशन तनेजा एक्टिंग इंस्टिट्यूट , मुंबई
- AAFT , नॉएडा , नई दिल्ली , मुंबई और कोलकाता
कैसे एक्टिंग की दुनियाँ में अपनी जगह बनाये?
यदि आप एक्टिंग की दुनियाँ में अपनी जगह बनाना चाहते है तो आपको कुछ बातों को बहुत ज्यादा ध्यान रखना होगा जो नीचे दी गई हैं :-
- पोर्टफोलियो बनाये :- जब भी कही भी एक्टिंग के लिए कही ऑडिशन के लिए जाते हैं तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर से अपनी फोटोशूट का एक बेहतरीन पोर्टफोलियो बनवा लें। इसका कारण यह है कि इस इंडस्ट्री में आपकी एक्टिंग के साथ-साथ आपकी लुक्स को भी 2nd ऑप्शन के तरह देखा जाता है , जिसके कारण आपका सिलेक्शन जल्दी हो सकता है।
- बार–बार ऑडिशन देते रहें :– फिल्म इंडस्ट्री में आपका सिलेक्शन ऑडिशन के आधार पर होता है , यदि आपकी एक्टिंग अच्छी है और आप अपने कला में पारंगत है तो आप ऑडिशन बहुत जल्दी पास कर लेते हैं और आपको फिल्म इंडस्ट्री में अपना सिक्का ज़माने में टाइम नहीं लगता और आप जल्दी सफलता हासिल कर लेते हैं।बार-बार ऑडिशन देने से आपकी स्किल्स और कलाओं में सुधार आता है। यदि आप कहीं ऑडिशन में सफल नहीं होते अथवा आपका सिलेक्शन नहीं होता तो आपको अपने अंदर की कमी का अहसास होता है और फिर अगले ऑडिशन में ,आप अपने पहले ऑडिशन में की गई गलती को नहीं दोहराते हैं और एक बेहतरीन अभिनय को सबके समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
- सीरियल और विज्ञापन कंपनी का अभिनय :-फिल्म इंडस्ट्री में एक दम फिल्मों में रोल नहीं मिलता है , इसके लिए पहले आपको हो सकता है कि पहले कुछ सीरियल में या कुछ विज्ञापनों के प्रचार-प्रसार के लिए एक्टिंग करनी पड़े। इस प्रकार से कुछ सीरियल में काम करने से आपका अनुभव बढ़ता है , कभी-कभी एक या दो सीरियल में भी काम करने से फिल्मों के ऑडिशन के ऑफर मिल जाते है। इसलिए इस इंडस्ट्री में जब भी आपकी फील्ड से सम्बंधित कोई भी काम मिले तो मौका छोड़ना नहीं चाहिए बल्कि उसे एक opportunity अथवा अवसर के तरह समझ कर अपने करियर की पहली सीढ़ी समझ कर उस अवसर का पूरा लाभ उठाना चाहिए।
- सोशल मीडिया :- एक्टिंग की दुनियाँ में आज सोशल मीडिया एक प्रकार का प्लेटफॉर्म है जहाँ पर हर कोई अभिनय प्रस्तुत कर सकता है। आजकल प्रचलित सोशल मीडिया फेसबुक , snapchat ,इंस्टाग्राम , youtube , टिकटोक ,Roposo और whatapp आदि ऐसे कई प्रकार की एप्प हैं जिन पर आप अपनी एक्टिंग का प्रदर्शन कर सकते हैं और एक्टिंग की दुनियाँ में कदम रख सकते हैं।
- रिज्यूमे बनाये :- जैसे हर नौकरी लिए रिज्यूमे जरुरी होता है ऐसे ही फिल्म इंडस्ट्री में भी रिज्यूमे आपका दर्पण होता है जो आपके बारे में , आपकी स्किल्स के बारे में , आपकी ट्रेनिंग के बारे में ऑडशन लेने वाले को जानकारी देता है , जिसके कारण ऑडिशन लेने वाला आपसे थोड़ा परिचित अथार्त फेमिलर हो जाता है और आप भी किसी प्रकार के घबराहट का अनुभव नहीं करते।
- स्क्रिप्ट याद करना :- एक एक्टर को अपनी स्क्रिप्ट अच्छे से याद होनी चाहिए ताकि अपना प्रदर्शन देते समय वह सेट पर बिल्कुल भी घबराए नहीं और कुछ भूले भी नहीं।
एक एक्टर में कुछ गुणों का होना अति आवश्यक है जैसे :-
- यादाश अथवा मेमोरी अच्छी होना :- एक एक्टर की यादाश अच्छी होनी चाहिए। उसे अपने अभिनय से सम्बंधित रोल के सभी डायलॉग भली भांति याद होने चाहिए।
- हाव–भाव :- एक एक्टर में अपने रोल से सम्बंधित किरदार का हाव -भाव प्रदर्शित करने में सक्षम होना चाहिए। उसे एक प्रकार से उस किरदार को इतना भावुक होकर निभाना चाहिए कि जैसे सब कुछ वास्तविकता में हो रहा हो ताकि देखने वाले दर्शक भी उस अभिनय को वास्तविक समझ कर अभिनय का आनंद ले सके। एक कलाकार को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि उसे किस अभिनय में किस प्रकार के भाव अपने मुख से प्रकट करने है , जैसे यदि उसे कहीं क्रोध जैसे भाव प्रकट करने हैं तो उसके मुख पर क्रोध के हाव-भाव दिखने चाहिए और यदि उसे कहीं हसीं , उदासी , रुदन कैसा भी किरदार निभाना है उसके मुख पर भी वैसे ही हाव-भाव दिखने चाहिए।
- भाषा का उतार–चड़ाव :- एक एक्टर को अपने किरदार से सम्बंधित रोल का ज्ञान होना चाहिए ताकि वह इस बात से भली-भांति परिचित हो कि उसे अभिनय में कहाँ रुक कर बोलना है , कहाँ तेज बोलना है या कहाँ चुप रहना है। अपने विचारों को किस प्रकार व्यक्त करना है ताकि उसका अभिनय एक बेहतरीन रूप से उभर कर सबके समक्ष आये।
- सेहत :- एक कलाकार को अपनी सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। कभी-कभी हम पैसा कमाने की होड़ में अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाते है , जिसके कारण हम बीमार हो जाते है। इसलिए एक अभिनेता को सेहत का ध्यान रखना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसे इसलिए भी अपना ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कभी-कभी अभिनयकर्ता के फैन उन्हें बहुत ज्यादा फॉलो करते हैं और उनकी तरह बनने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार एक अभिनयकर्ता बहुत सारे लोगो के लिए मार्गदर्शक भी होता है।