सुकरात की जीवनी – Sukrat Biography in Hindi

इस पोस्ट में सुकरात की जीवनी (Sukrat Biography in Hindi) पर चर्चा करेंगे। सुकरात का जन्म ग्रीस के एक प्राचीन नगर एथेन्स में ईसा से 470 साल पहले हुआ. उन्होंने अपनी शिक्षा को कभी भी पुस्तक का रूप नहीं दिया. उनकी ज्यादातर बातें उनके दो महान शिष्य प्लेटो और जेनोफोन के माध्य से ही मिलती है.

उनके विचार पाश्चात्य दर्शन और तर्क शास्त्र के नीवं माने जाते हैं. उनके विचारों से जनता इतना अधिक प्रभावित थी की एथेन्स का राजतंत्र उनसे भय खाने लगा और 399 ईसा पूर्व उन्हें जहर देकर उनकी हत्या कर दी गई. उन्हें अपने हत्या की जानकारी पहले से मिल गई थी लेकिन उन्होंने भागने की जगह दुष्ट शक्तियों का सामना करते हुए मरना ज्यादा उचित समझा.

उदाहरण 1. सुकरात की जीवनी – Sukrat Biography in Hindi

सुकरात (469–399 B.C.) महान ग्रीक दार्शनिक थे। लोग उन्हें सूफी संत समझते थे और वे सूफियों की भाँति ही साधारण शिक्षा तथा मानव सदाचार पर वह जोर देते थे और उन्हीं की तरह पुरानी रूढ़ियों पर प्रहार करते थे।

उनका कहना था, “सच्चा ज्ञान संभव है बशर्ते उसके लिए ठीक तौर पर प्रयत्न किया जाए, जो बातें हमारी समझ में आती हैं या हमारे सामने आई हैं, उन्हें तत्संबंधी घटनाओं पर हम परखें, इस तरह अनेक परखों के बाद हम एक सचाई पर पहुँच सकते हैं। ज्ञान के समान पवित्रतम कोई वस्तु नहीं हैं।”

सुकरात अथेन्स के बहुत ही गरीब घर में पैदा हुए थे। गंभीर विद्वान् और ख्यातिप्राप्त हो जाने पर भी उन्होंने वैवाहिक जीवन की लालसा नहीं रखी। ज्ञान का संग्रह और प्रसार, ये ही उनके जीवन के मुख्य लक्ष्य थे। उनके अधूरे कार्य को उनके शिष्य अफलातून और अरस्तू ने पूरा किया।

नवयुवकों को बिगाड़ने, देवनिंदा और नास्तिक होने का झूठा आरोप लगाकर उन्हें जहर देकर मारने का दंड दिया गया।
सुकरात ने जहर का प्याला खुशी-खुशी पिया और जान दे दी। उनके शिष्यों तथा स्नेहियों ने उन्हें कारागार से भाग जाने का आग्रह किया किंतु उन्होंने कहा-

“भाइयो, तुम्हारे इस प्रस्ताव का मैं आदर करता हूँ कि मैं यहाँ से भाग जाऊँ। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन और प्राण के प्रति मोह होता है। भला प्राण देना कौन चाहता है? किंतु यह उन साधारण लोगों के लिए है जो लोग इस नश्वर शरीर को ही सब कुछ मानते हैं।

आत्मा अमर है फिर इस शरीर से क्या डरना? हमारे शरीर में जो निवास करता है क्या उसका कोई कुछ बिगाड़ सकता है? आत्मा ऐसे शरीर को बार बार धारण करती है अत: इस क्षणिक शरीर की रक्षा के लिए भागना उचित नहीं है।

क्या मैंने कोई अपराध किया है? जिन लोगों ने इसे अपराध बताया है उनकी बुद्धि पर अज्ञान का प्रकोप है। मैंने उस समय कहा था-विश्व कभी भी एक ही सिद्धांत की परिधि में नहीं बाँधा जा सकता। मानव मस्तिष्क की अपनी सीमाएँ हैं। विश्व को जानने और समझने के लिए अपने अंतस् के तम को हटा देना चाहिए। मनुष्य यह नश्वर कायामात्र नहीं, वह सजग और चेतन आत्मा में निवास करता है।

इसलिए हमें आत्मानुसंधान की ओर ही मुख्य रूप से प्रवृत्त होना चाहिए। यह आवश्यक है कि हम अपने जीवन में सत्य, न्याय और ईमानदारी का अवलंबन करें। हमें यह बात मानकर ही आगे बढ़ना है कि शरीर नश्वर है। अच्छा है, नश्वर शरीर अपनी सीमा समाप्त कर चुका। टहलते-टहलते थक चुका हूँ। अब संसार रूपी रात्रि में लेटकर आराम कर रहा हूँ। सोने के बाद मेरे ऊपर चादर उड़ देना।”

उदाहरण 2. सुकरात की जीवनी – Sukrat Biography in Hindi

सुकरात (Socrates) का जन्म 470 ईसा पूर्व एथेन्स, ग्रीस में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सोफरोनिसकस था जो एक मूर्तिकार थे। माँ का नाम फेनरेट था। सुकरात ने एन्थिपे नामक महिला से विवाह भी किया था। उनका वैवाहिक जीवन कभी भी सुखी नही रहा। सुकरात की पत्नी हमेशा उनसे झगड़ा करती रहती थी।

दार्शनिक सुकरात का उनकी पत्नी से एक किस्सा भी जुड़ा हुआ है। एक बार एक शिष्य उनके पास आया और पूछा कि “उन्हें शादी करनी चाहिए या नही”। सुकरात ने विवाह करने के लिए कहा। इस पर शिष्य ने कहा कि “आपकी पत्नी झगड़ालू है और उसने आपका जीवन खराब किया हुआ है। फिर भी आप मुझे शादी करने की सलाह दे रहे है”।

शिष्य की इस बात पर सुकरात ने कहा कि “यदि तुम्हे अच्छी पत्नी मिलती है तो तुम्हारा जीवन सुधर जायेगा। तुम खुश रहोगे तो उन्नति करोगे। यदि तुम्हे मेरी पत्नी जैसी मिलती है तो तुम मेरी तरह दार्शनिक बन जाओगे। किसी भी परिस्थिति में तुम्हारा विवाह करना अच्छा ही है”।

सुकरात ने प्राचीन ग्रीस में मिलने वाली शिक्षा भी ग्रहण की थी। उन्होंने ज्योमिति, गणित जैसे विषयों की शिक्षा ली थी। शुरुआत में सुकरात पिता का पुश्तेनी धंधे में हाथ बटाया करते थे।

दार्शनिक सुकरात का इतिहास और जीवनी

इतिहास में सुकरात (Socrates) के जीवन के बारे में अत्यधिक जानकारी नही है। सुकरात के बारे में उनके शिष्य प्लेटो और जेनोफोन से जानने को मिलता है। सुकरात सहनशील प्रवर्ति के थे और कभी भी गुस्सा नही होते थे। उनकी सहनशीलता का एक उदाहरण है कि एक बार उनके घर शिष्य आया हुआ था और वो उससे विमर्श करने में व्यस्त थे।

पत्नी ने उन्हें कई बार आवाज लगाई लेकिन वो सुने नही। इस बात पर पत्नी को गुस्सा आया और उसने पानी से भरी बाल्टी सुकरात पर उड़ेल डाली। यह देखकर शिष्य ने कहा कि आपको गुस्सा नही आया क्या और आप ये सब कैसे सहन कर लेते है। इस प्रश्न पर सुकरात का जवाब था कि “वह योग्य है, ठोकर लगा कर देखती है कि सुकरात कच्चा है या पक्का”।

एक ईमानदार व्यक्ति हमेशा एक बच्चा होता है। – सुकरात

सुकरात (Sukrat) दिखने में साधारण थे लेकिन उनका मानना था कि कुरूपता को अच्छे कामों से ढका जा सकता है। सुकरात एक शिक्षक थे जिन्होंने अपनी उच्च शिक्षाओं से समाज को महान व्यक्ति दिए। उन्होंने एक गुरुकुल भी खोला था और वहां छात्रों को शिक्षा दिया करते थे।

उनका मानना था कि किसी भी बात को आंख मूंदकर ना मानो, पहले तर्क के साथ विचार करो। सुकरात के ये विचार धार्मिक लोगो को नही भाते थे। इसलिए उनके कई सारे विरोधी भी हो गए थे। सुकरात धार्मिक और राजनीतिक आलोचना भी किया करते थे। सुकरात ने ग्रीस की सेना में भी कार्य किया था। उन्होंने ग्रीस की और से कई लड़ाइयों में भाग लिया था।

में सभी जीवित लोगो मे सबसे बुद्धिमान हूं क्योंकि में यह जानता हूं कि में कुछ नही जानता। – सुकरात

Sukrat History in Hindi सुकरात की जानकारी: सुकरात ने कभी कोई ग्रन्थ या पुस्तक नही लिखी थी। उनके विचारों और जीवन के बारे में उनके शिष्यों ने बताया था। सुकरात ने पाश्चत्य सभ्यता में अपने विचारों से बदलाव लाने का प्रयास किया था।

सुकरात (Sukrat) महान दार्शनिक प्लेटो के गुरु भी थे। सुकरात के विचारों के बारे में प्लेटो से ही जानने को मिलता है। उनके विचार और तर्क उस समय के समाज और शासन से उलट थे। सुकरात पर देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया। उन पर मुकदमा चला और दोषी पाए जाने पर जहर का प्याला पिलाकर मौत की सजा दी गई। सुकरात ने माफी मांगने से अच्छा कानून का पालन करना समझा और हँसते हुए जहर का प्याला पी गए।

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