विश्व धरोहर सप्ताह – World Heritage Week in Hindi Language
किसी भी देश की धरोहर मात्र एक इमारत नहीं अपितु उस देश की संस्कृति और इतिहास का व्याख्यान करता है। किसी भी देश का इतिहास उसकी धरोहर से ही जाना जा सकता है। किसी देश की धरोहर उस देश की संस्कृतियों के बारे में बताती है उदाहरणस्वरूप वह देश कितना पुराना है ,वहाँ रहने वाले व्यक्ति कैसे थे , किस प्रकार का जीवन यापन करते थे , उनका खान – पान , रहन सहन।, उपयोग में आने वाली वस्तुएं , वस्त्र इत्यादि।
पुराने समय में शिक्षा का इतना विकास तथा आधुनिक संयंत्र ना होने के बावजूद जो इमारतें बनाई गयी थी उसकी मजबूती आज की इमारतों को भी मात दे सकती हैं।
पर्याप्त संसाधन ना होने के बावजूद इमारतों पर की गयी नक्काशी का आज तक कोई तोड़ नहीं मिल सका। वैश्विक स्तर पर धरोहरों के संरक्षण के लिए यूनेस्को द्वारा प्रेषित विश्व धरोहर सप्ताह प्रत्येक देश में नवंबर के १९ से २५ तारीख तक मनाया जाता है। विश्व विरासत समिति द्वारा चयनित विभिन्न स्थल उदाहरणस्वरूप वन क्षेत्र , पर्वत ,झील , मरुस्थल , स्मारक , भवन , शहर इत्यादि शामिल होते हैं जिनको युनेस्को विश्व विरासत स्थल कहा जाता है।
विश्व विरासत समिति ही इन स्थानों का संरक्षण , उचित रख रखाव युनेस्को द्वारा प्रदान तत्वाधान में करती है। इस सप्ताह को मनाए जाने से हमारे साथ साथ आगामी पीढ़ियां भी अपने देश की संस्कृति एवं इतिहास के बारे में जागरूक हो सकेंगी जो की उन्हें उनकी संस्कृतियों से जोड़े रखने में सहायक होगा।
विश्व धरोहर सप्ताह का आरम्भ
प्राकृतिक संरक्षण तथा सांस्कृतिक संरक्षण को एक साथ संयुक्त करने का सुझाव सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका ने दिया। जिसके बाद सन १९६५ में व्हाइट हाउस में हो रहे एक सम्मलेन में विश्व धरोहर ट्रस्ट कि माँग उठाई गयी जिसके द्वारा विश्व के विभिन्न देशों में स्थित सर्वोत्त्तम प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने के प्रयास के लिए कहा जिसके फलस्वरूप वर्तमान समय के लोगों के साथ साथ भविष्य में आने वाली उनकी आगामी पीढ़ियों के भी लिए उपलब्ध रह सके ।
इसी उपलक्ष्य में सन 1968 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने भी ऐसे ही कुछ प्रस्ताव रखे , जो सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवीय पर्यावरण स्वीडन के सम्मेलन में प्रस्तुत किये गए। इस प्रस्ताव पर उस सम्मलेन में शामिल हुई सभी पार्टियों ने अपनी सहमति जताई और सबकी सहमति एक सामान होने के कारण “विश्व के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर सम्मेलन” को युनेस्को द्वारा आयोजित सामान्य सभा ने 16 नवंबर सन 1972 को स्वीकृति दे दी।
विश्व धरोहर सप्ताह मनाने का उद्देश्य
यूनेस्को द्वारा प्रत्येक वर्ष इस सप्ताह को मनाने का उद्देश्य , हमारी विरासत में मिली धरोहर के बारे में जानना तथा उस को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करना है। एक शिक्षित एवं जागरूक नागरिक होने के नाते हम सबका यह मौलिक कर्त्तव्य है की हम अपने देश की धरोहर का सम्मान करें तथा उसके संरक्षण एवं सुरक्षा में होने वाले प्रयासों में अपना भी योगदान दें।
इस साप्ताहिक कार्यक्रम के द्वारा विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित किया जाता है जो वैश्विक संस्कृति के दृष्टिकोण से मानवता के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। कभी कभी किसी विशेष परिस्थिति में ऐसे स्थलों के रखरखाव के लिए विश्व विरासत समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है। वैश्विक स्तर पर अगर आंकड़ों का अवलोकन किया जाये तो अब तक ११२१ स्थानों पर स्थित स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमे सांस्कृतिक , प्राकृतिक तथा अन्य मिले जुले स्थल हैं।
विश्व धरोहर सप्ताह कैसे मनाते हैं ?
प्रत्येक देश अपने देश की धरोहर के सम्मान के लिए इस सप्ताह को विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन से मनाता है। उदाहरणस्वरूप :
- विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर के , ऐतिहासिक जगहों का भ्रमण कर के इस सप्ताह को मनाते हैं।
- स्कूलों तथा कॉलेजों में इस सप्ताह को मनाने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है जिस से बच्चों को वैश्विक धरोहरों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके।
- पुरातत्व सर्वेक्षण ,स्मारकों तथा विभिन्न म्यूजियम के भ्रमण से हम विरासत में मिली इन धरोहरों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
- स्कूलों में इस सप्ताह को मनाने के लिए उस क्षेत्र में स्थित धरोहर का भ्रमण कराया जाता है जिस से बच्चे ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकें।
उपसंहार
प्रत्येक धरोहर जो हमे विरासत के रूप में मिलती है , उस देश की वह सम्पति होती है जिसके द्वारा उस देश के इतिहास का अवलोकन किया जा सकता है। किसी देश के लिए उसकी धरोहर का एक विशेष स्थान होता है। जिसके संरक्षण के लिए सरकार हमेशा कार्यरत रहती है। सरकार के साथ साथ हम सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब भी हम किसी ऐतिहासिक स्थल पर जाये तो उसके रखरखाव तथा सुरक्षा में कोई व्यवधान ना डाले।
क्यूंकि देश की धरोहर कोई एक या दो दिन की नहीं अपितु पीढ़ियों से चली आ रही विरासत है जिसे हम अपने प्रयासों द्वारा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रख सकते हैं। आने वाली पीढ़ियों को भी अपने इतिहास के प्रति जागरूक रखने के लिए यूनेस्को द्वारा आयोजित विश्व धरोहर सप्ताह को हमे हर्सोल्लास के साथ मनाना चाहिए।