इच्छाओं व आकांक्षाओं का जन्म तो एक व्यक्ति के जन्म के साथ ही प्रारंभ हो जाता है। ऐसा कोई व्यक्ति इस सम्पूर्ण संसार में नही है जिसके अंदर कोई इच्छा न हो। आकांक्षाओं से मुक्त मनुष्य का इस संसार में कोई अस्तित्व नही है,उसका जीवन सर्वथा व्यर्थ है। किसी ने सत्य ही कहा है जब आप अपने डर के आगे अपने सपनो को महत्व देंग,तब चमत्कार हो सकता है।
मेरा सपना पर निबंध – Long and Short Essay On My Dream in Hindi
जब तक एक व्यक्ति सपने देखेगा नही उसके भीतर उसे पूरा करने का जोश कैसे आएगा? बड़ी और सकारात्मक सोच मनुष्य को बड़े सपने की ओर अग्रसर करती है। दूसरी ओर ऐसे कई व्यक्ति होते जो केवल बड़े-बड़े सपने देखते है पर ना ही उनके अंदर उसको पूरा करने का जोश है ना उत्साह है,वे सिर्फ सोचते है कि वे अपने जीवन में बहुत कुछ करेंगे परंतु अपने आलास,निंद्रा,और निठलेपन के कारण वे कुछ हासिल नहीं कर पाते है।
ऐसे कई उदारहरण है इस विश्व में जिन्होंने बड़े सपने देखे और पूरी लगन और निष्ठा के साथ उसे पूरा भी किया जैसे मैरी कॉम,इन्होंने विश्व स्तर पर अपना नाम मुक्केबाजी में दर्ज किया यह तभी संभव हो पाया जब उन्होंने यह सपना देखा और फिर मेहनत के साथ उसे पूरा किया। इनके अतिरिक्त अन्य भी कई ऐसे महापुरूष हुए है जैसे सानिया मिर्जा,कल्पना चावला,महेंद्र सिंह धोनी आदि।
इसी प्रकार मेरा भी सपना है कि मैं एक वकील बनूँ।यह मेरा बचपन का सपना है, बचपन से ही मैं गलत सहन नही कर पाती हूँ। जहां कहीं भी कोई व्यक्ति गलत करता है या गलत बोलता है या फिर गलत का विरोध नही करता है तो मुझे बहुत गुस्सा आता है। मैं कभी गलत होते हुए नही देखब सकती हूँ। घर-परिवार,रिश्तेदार अथवा मित्र कोई भी क्यों न हो यदि वह गलत है तो मेरी नज़र में वह गलत ही रहेगा।
वकील बनने की इसी इच्छावश मैंने ग्यारहवीं कक्षा में मानिविकि धारा का चयन किया था। उसके बाद पढ़ाई भी उसी तरह चलती रही। मैंने वकीली शिक्षा से संबंधित बहुत जांच की है,बहुत सारी पुस्तकों का अध्ययन किया है।
वकीलों द्वारा पहना जाने वाला काला कोट मुझे बेहद पसंद है,जब भी मैं किसी वकील को काला कोट पहने हुए देखती हूँ तो मन में प्रसन्नता का समावेश होता है साथ ही अपने सपने की ओर आगे बढ़ने की भावना और अधिक तीव्र हो जाती है।
मैंने कई बार टेलीविजन में ,फिल्मों में एवं अन्य नाटकों में वक़ीलों को लड़ते हुए देखा है और उन्हें देखकर मुझे अत्यधिक आनंद की प्राप्ति होती है। उस समय वे भले ही असली वकील हज होते है केवल पर्दे पर वकील होने का नाटक करते है लेकिन फिर भी उनको देख के मन में काफी ऊर्जा का संचार होता है। अपने हक़ के लिए लड़ना कभी गलत नही होता है।
बचपन से ही मेरे अंदर इस देश में हो रहे गलत कार्यों को बदलने की इच्छा थी , मैं उनके विरुद्ध आवाज उठाना चाहती हूँ पर जब तक मैं उसके लायक नहीं बन जाती ,स्वयं अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो जाती यह कदापि संभव नहीं हो पायेगा। मैं एक वकील बनकर उनलोगों को न्याय दिलाना चाहती हूं जिनपर समाज बहुत अत्याचार करता है,दबे-कुचले वर्ग को उभरना चाहती हूँ। ऐसा कहाँ जाता है कि न्याय मिलने में देरी अर्थात अन्यायी का साथ देना।
आज पूरे देश में लाखों लोग ऐसे है जिनके केस कोर्ट में कई सालों से चल रहे है और उनकी सुनवाई की तारीख ही नहीं आ रही। कई लोगो की सुनवाई की तारीख तो उनके मौत के बाद निकलती है। उदाहरणस्वरूप हम 2012 में हुए दिल्ली बलात्कार कांड को देख सकते है जिनके दोषियों को पीड़िता की मृत्यु के कई सालों बाद अभी 2020 में फांसी दी गयी। मैं इन्ही सारी दूरीतियों को मिटाना चाहती हूँ। बेगुनाह लोगों को उनका अधिकार दिलवाना चाहती हूं। एक ईमानदार वकील बनने की इच्छा रखती हूँ।
वर्तमान समय तो है ही भ्रष्टाचार और धांधली का समय,ऐसे में प्रत्येक वर्ग में झूठ,छल, कपट,घूसखोरी, गुंडागर्दी अपनी चरम सीमा पर है। ऐसा ही वकीलों के साथ भी है,कई वकील घूस ले लेते है और फिर जानभुझ कर अन्याय का साथ देते है। उदहारण तो यहां भी कई है पर उनका वर्णन करना संभव नहीं है। मैं एक वकील बनकर सदा यही चाहूंगी कि मुकदमा लंबा ना खिंचे और लोगों को शीघ्र न्याय मिले। मैं कभी भी अपराधियों,दोषियों,हत्यारों, बलात्कारियों का साथ नहीं दूंगी,केवल सत्य के लिए लड़ूँगी।
बहुत से गरीब लोग होते है जो कानून के विषय में अधिक ज्ञान नही रखते है और कुछ वकील इसी अवसर का फायदा उठाकर उनके मुकदमे को लंबा खींचते है साथ ही अपनी जेब भरते है। मैं ऐसे लोगो की ढाल बनना चाहती हूँ, उन्हें न्याय दिलवाना चाहती हूँ।
कई अपराधी अपने नाम,शौर्य, और पैसे के दम पर वकीलों को खरीद लेते है और मुकदमा जीत जाते है क्योंकि इनके विरुद्ध कोई भी गवाही देने को तैयार नहीं होता है। मैं ऐसे सभी लोगो का पर्दाफाश करना चाहती हूँ,और इनके कालेकारनमो को सबके सामने लाना चाहती हूँ जिससे कानून सुचारू और सही रूप से कार्यरत रहे।
वकालत एक बहुत ही शानदार पेशा है इसके अंतर्गत हमे न्याय और न्यायलय से संबंधित सभी कार्यों का ज्ञान होना चाहिए। मेरा यह मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकार एवं शक्तियों का ज्ञान होना चाहिए। यह तभी संभव हो पायेगा जब हमे कानून का ज्ञान होगा।
जब हमारा पेशा हमारा हमारा शौक बन जाता है तब हमें कोई नहीं रोक सकता है। जरूरत है तो बस अपने भीतर जोश और उत्साह को जागृत करने का।