जनरेशन गैप (पीढ़ी अंतराल) पर निबंध – Essay On Generation Gap in Hindi

आपने अक्सर देखा होगा की आपके और आपके माता पिता की सोच में काफी हद तक अंतर होता है। यह जनरेशन गैप की वजह से होता है। जनरेशन गैप तब होता है जब दो लोगो की उम्र में काफी अंतर होता है।

लगभग एक पीढ़ी के अंतराल होने से जनरेशन गैप आ जाता है। दूसरे शब्दों में जनरेशन गैप, दो अलग पीढ़ी के लोगों की अलग सोच को दर्शाता है। इसमे हर तरह के क्षेत्र में विचार अलग अलग हो जाते है। यह एक सामान्य बात है जो सदियों से चली आ रही है। जनरेशन गैप ज़्यादातर माँ-बाप , और बच्चों तथा दादी -दादाजी के विचारों में देखने को मिलती है।

जनरेशन गैप (पीढ़ी अंतराल) पर निबंध – Long and Short Essay On Generation Gap in Hindi

१९६० के एक सर्वे के मुताबिक लगभग ८०-८५% बच्चों की मानसिकता उनके माता -पिता से भिन्न थी। उनके विचार लगभग हर क्षेत्र में अलग थे जैसे की राजनीतिक, सामाजिक, रिश्ते-नाते, धर्म की बातें, नैतिक मूल्य आदि।

यहाँ तक की कला के क्षेत्र में भी उनकी पसंद अलग अलग रही है। अगर एक नज़रिए से देखा जाए तो यह कुक हद तक सही भी है क्योंकि अगर सभी लोग एक जैसे विचार रखेंगें तो दुनिया में नई चीजें कहाँ से आएंगी। नई सोच से ही नये आविष्कार होते है। विज्ञान और प्रौद्योगिक क्षेत्र मैं कितनी तरक्की हुई है । ऐसा माना गया है कि अब तक इस विश्व में अनेक पीढियां आई है जिनके विचार औरों से भिन्न है, और इसी मान्यता के अनुसार उनका अलग अलग वर्ग में विभाजन किया गया है।

  1. परंपरावादी- इस वर्ग के लोग १९४६ के पहले पैदा हुऐ थे। ऐसे लोग अपने काम का अच्छी तरह और पूरे वफादारी से करते है। ये सबसे पुरातन लोग है इसलिये इन्हें दुनिया का सबसे अधिक ज्ञान है। वे युवायों का पथ प्रदर्शित करते है।
  2. बेबी बुमेरर्स- इस वर्ग के लोग १९४६- १९६५ के बीच पैदा हुए थे। ऐसे लोग कड़ी मेहनत कर पैसे कमाते थे। इनमे से अधिकतर लोग गरीब हुआ करते थे इसलिए वे अपने बच्चों को आभाव से बचने का सदा प्रयत्न करते है। वे चाहते है कि उनके परिवारजन उनकी सराहना करे,उनके मेहनत की सराहना कर।
  3. जनरेशन एक्स- इस पीढ़ी के लोग 1965 से 1980 के बीच पैदा हुए होते है। ये अपनी पहचान चाहते है। वे चीज़ों को अपने अनुसार करना पसंद करते है,उन्हें रोकटोक पसंद नही। इस जनरेशन के लोग कर्मठ होते है उनके भीतर काम करने की इच्छा होती है क्योंकि उन्होंने अपने माता-पिता को जीवन के लिए संघर्ष करते देखा है।

भारतवर्ष में तो पहले से ही संयुक्त परिवार रहते हैं, इसलिये यहाँ पर जनरेश गैप का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है, क्योंकि बाद में लोग संयुक्त को छोड़ के अलग अलग परिवार में बसने लगे,क्योंकि एक तो सँयुक्त परिवार में खर्चे अधिक है। ऊपर से संयुक्त परिवार में लोग गोपनीयता बनाये नही रख सकते यह भी एक कारण है अलग परिवार में लोगों के बसने का। इसी तरह अलग अलग स्तर पर अनेक बदलाव जनरेशन गैप की वजह से आये है।

अब पुरातन युग में लोग पत्तों का बनाया हुआ कपड़ा पहनते थे।उसके बाद साड़ी तथा धोती कुर्ता पहनने लगे, तत्पश्चात पैंट कमीज़ का चलन आ गया। और आज जीन्स का चलन चल रहा है। इसी तरह कपड़ो के फैशन में भी बहुत बदलाव आया है।

अब अगर हम आकड़े लगाये तो यह देख पाएँगे की खाने की पसंद को लेकर भी कितने विचार भिन्न है। पहले के लोग ठोस और अच्छा कम मसालेदार खाना ,खाना पसंद करते थे, किन्तु आज के युवा ज़्यादा तेल मसले से बना हुआ फास्ट फूड खाना अधिक पसंद करते हैं। इसी वजह से पहले के लोग कम बीमार पड़ते थे तथा आजकल नवजात शिशुओं में भी बीमारियों ने घर बना लिया है।

इसके इलावा विचारों की भिन्न्ता आप विवाह के मामले में भी देख पाऐंगे। जैसे प्राचीन काल मे विवाह बोहुत छोटी आयु में हो जाया करते थे,तब के लोगों को इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि लड़की या लड़के अपने पैर पर खड़े है या नहीं।

पर समय के साथ यह विचार भी बदल गये है। आज यह अति आवश्यक हो गया है कि दोनों लड़का तथा लड़की शादी से पहले नौकरी लेकर अपने पैरों पर खड़े हो। यह कही न कही युवाओ के दृष्टिकोण से सही भी है। पहले लड़कियों पर अत्याचार होते थे क्योंकि वह पराधीन थी पर अब जब वह स्वयं नौकरी करेगी तो उसे भी वही मां सम्मान मिलेगा जो एक लड़के को मिलता है। इसलिए यहाँ पर युवाओं की सोच सही है।

जहाँ पहले के ज़माने में लड़कियों को बंधन में रखा जाता था,लोगों के मन में औरतों के प्रति यही धारणा थी कि वे चुल्हा चौका तक सीमित रहे यहाँ तक की उनको पुरुषों के समक्ष घूंघट काढ़ने की रीत थी ,वही आज स्त्रियां पुरुषों से कन्धे से कंधा मिला कर चल रही है क्योंकि लोगो की सोच अब लड़कियों को लेकर काफी बदल गयी है।

जहाँ युवाओं की सोच किसी किसी मामले में सही है वही दूसरी ओर जब धार्मिक संस्कृति की बात आती है तो वे अपनी संस्कृति को जानने से मना कर देते है क्योंकि उन्हें ये सब  पिछड़ी हुई बातें लगती है। यह गलत है क्योंकि अपनी संस्कृति को जानने पहचानने से आधुनिकता में कोई बदलाव नही आऐगा। भला अपनी ही संस्कृति किसी को किस प्रकार छोटा बना सकती है? अब भाषा ही देख लीजिए जहा आज़ादी से पहले बोले जाने वाली हिंदी भाषा आज की हिंदी से कितनी भिन्न है। यह एक दिन का बदलाव नही बल्कि पीढ़ी  दर पीढ़ी बदलते हुये आया है।

अब लोगों का अपने काम के प्रति भी रवैय्या बदल गया है। जहाँ पुरातन ज़माने में लोग अपेन काम को लेकर सदा ही सजग और वफादार रहते थे वहीं आज के ज़माने में लोग अपने काम से बोहुत जल्दी ऊब जाते है। इसी तरह जनरेशन गैप में भी अच्छाई और बुराई दोनों है जो केवल समझ से ही खत्म की जा सकती है।