पारसी नव वर्ष पर निबंध – Essay On Parsi New Year in Hindi

भारत एक ऐसा देश है जहां सारे जाती धर्म के लोग मिल-जुलकर रहते हैं और हमारे संस्कार ही है जिसके दम पर आज भी हम अपने धर्म और उससे जुड़ी रीति-रिवाजों को संभाले हुए हैं।

पारसी नव वर्ष, पारसी समाज के लिए आस्था, उल्लास, उमंग और उत्साह के साथ संगम का त्यौहार माना जाता है। हर साल अगस्त माह में पारसी समाज के श्रद्धालु अपनी समाजिक परंपरा के अनुसार नव वर्ष मनाते हैं। इस साल पारसी नववर्ष जिसे ‘नवरोज’ भी कहा जाता है, 17 अगस्त 2019 दिन शनिवार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

पारसी नव वर्ष पर निबंध – Long and Short Essay On Parsi New Year in Hindi

देश दुनिया में पारसी धर्म के लोग इस त्यौहार को पारसी पंचांग के पहले महीने के पहले दिन धुम धाम से मनाते हैं। भारत में पारसी धर्म के लोग शहंशाही पंचांग के अनुसार मनाते हैं, जिसका मतलब यह है कि नव वर्ष का त्यौहार वर्ष के आगे महीनों में आता है।

पारसी नव वर्ष केवल पारसी धर्म से संबंधित लोगों से ही जुड़ा रहता है, और यह उत्सव वास्तव में ब्रह्मांड में सभी चीजों के वार्षिक नवीनीकरण को दर्शाता है। लोक कथाओं के अनुसार, नबी ज़रथुश्त्र ने यह पर्व बनाया था और यह त्यौहार आज भी महाराष्ट्र के अधिकतर हिस्सों में एक महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मनाते हैं।

पारसी धर्म के श्रद्धालु इस त्यौहार को मनाने के लिए पूर्व में ही तैयारी शुरू कर देते हैं, सभी धर्मावलंबी अपने घरों की, व्यापार स्थल की एवं अपने आसपास की सफाई कर ज्यादा से ज्यादा स्वच्छ बनाते हैं। घर के भीतर और बाहर विशेष सजावट करते हैं।

विशेष रूप से, घर के मुख्य दरवाजे को आने वाले अतिथियों के स्वागत के लिए फूलों की माला और चॉक पाउडर से आकर्षक और बहुत सुंदर सजाते हैं। इन सजावटों में मुख्य मनमोहक प्राकृतिक दृश्य शामिल होते हैं। मेहमानों का स्वागत करने के लिए उनके ऊपर गुलाबजल छिड़का जाता है। इस दिन समर्थ लोग गरीबों और जरूरत मंदों की सहायता भी करते हैं।

सुबह का नाश्ता करने के बाद अग्नि मंदिर जाने की परंपरा अपने आप में अनूठी है क्योंकि यह पूरे पर्व को ही एक साथ जोड़ती है। नाश्ता करने के बाद लोग परिवार और समाज की उन्नति की प्रार्थना करने के लिए एक साथ मंदिर जाते हैं और नववर्ष की शुभकामनाएं एक दूसरे को देते हैं। पारसी लोग नए साल वाले दिन एक-दूसरे के घर जाते हैं और बधाई देते हैं।

जो लोग अपने करीबियों के घर नहीं जा पते, वे सोशल मीडिया पर बधाई देते हैं। इस दिन लोग मेहमानों को मीठी फलौदा भेंट की जाती है। पारसी समुदाय ने सावधानीपूर्वक अपनी परंपराओं को संरक्षित किया है और वे उसी के अनुसार अपना नया साल मनाते हैं।

परंपरा के अनुसार, एक वर्ष में 360 दिन होते हैं और 5 दिन पूर्वजों को याद करने के लिए आरक्षित होते हैं। लोग 3:30 बजे पूजा करते हैं। वे स्टील या चांदी से बने बर्तन में फूल रखते हैं और अपने पूर्वजों को याद करते हैं।

इस पर्व की सबसे बड़ी बात यह है कि लोग इस दौरान अपने अच्छे और बुरे कर्मों पर विचार करते हैं और आगामी वर्ष के लिए सकारात्मक संभावनाओं पर ध्यान देने और चलने का संकल्प लेते हैं। मुलाकात और शुभकामनाओं के बाद, जश्न शुरू होता है और लोग मूंग दाल, पुलाव और बोटी जैसे विभिन्न विशेष आहारों का आनंद उठाते हैं।