ज्ञान शक्ति है पर निबंध – Essay On Knowledge is Power in Hindi

ज्ञान एक प्रकार की शक्ति है लेकिन शक्ति को ज्ञान कहना गलत होगा। ज्ञान अध्ययन, अभ्यास और अनुभव से प्राप्त होता है। ज्ञान अपने आप में एक ऐसी शक्ति है जो बिगड़ती हुई स्थिति को सवारने की क्षमता रखता है।ज्ञान वास्तव में एक ऐसी शक्ति है जो नए उपाय खोजने की , उनका प्रयोग करने की और उनको वास्तविक रूप में लाने की ऊर्जा का संचार करता है।

ज्ञान शक्ति है पर निबंध – Long and Short Essay On Knowledge is Power in Hindi

हर व्यक्ति को अपने ज्ञान का सदुपयोग करना चाहिए।  यदि आप अपने द्वारा अर्जित ज्ञान का सदुपयोग नहीं करते अपितु उसे अनावश्यक कार्य या किसी भी प्रकार के नकारात्मक क्रिया में लगाते है तो  यह हमारे ज्ञान का दुरूपयोग होता है और प्राप्त किया ज्ञान व्यर्थ चला जाता है।  इसके अतिरिक़्त ज्ञान का दुरूपयोग करने से हमें किसी भी प्रकार का अनुभव भी प्राप्त नहीं होता।

ज्ञान  का सकरात्मक तरीके से उपयोग करने से ज्ञान द्वारा अर्जित शक्ति का विकास होता है।  जैसे हमने बहुत बार कहानियों में सुना होगा कि यदि कोई जादूगर अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करता है तो उसकी सारी शक्तियाँ क्षीण हो जाती है क्योकि वह अपने बल , ज्ञान और शक्ति का दुरपयोग करता है और उसके इस तरह कुकर्म करने से दूसरे व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है।

यदि हम अपने द्वारा प्राप्त ज्ञान का अभ्यास करते है तो वह विकसित होता है। इसका अर्थ यह है कि यदि हम अपने ज्ञान को प्रयोग करते है और अपने दिन प्रतिदिन के क्रियाओं में उसका उपयोग करते है तो उसका विस्तार होता है। कोई भी ज्ञान व्यर्थ नहीं है।  केवल किताबी कीड़ा बन लेने से ज्ञान का सर्जन होता है उसका विकास नहीं।

जैसे पुराने ज़माने के लोग अनेक प्रकार के जड़ी-बूटियों के सीमित ज्ञान से परीचित थे परन्तु उसके लाभों के बारे में नहीं जानते थे।  धीरे-धीरे जब वो इन जड़ी-बूटियों का उपयोग करने लगे तो उन्हें उनके लाभों का ज्ञान हुआ।

ज्ञान के कारण ही एक देश प्रसिद्ध और विकसित होता है।  हमारा भारत भी दिन-प्रतिदिन अपने ज्ञान में वृद्धि कर रहा है ताकि एक विकासशील देश से विकसित देश बन सके। यदि हमारा ज्ञान सीमित रहेगा तो हमें अन्य देशो के अधीन होना पड़ेगा।  इसलिए भारत देश अत्यंत मुसीबतों से प्राप्त आजादी को खोना नहीं चाहता और निरंतर अपने विकास के लिए ज्ञान में बढ़ोतरी करता रहता है।

ज्ञान को प्राप्त करने की कोई उम्र या कोई वक्त नहीं होता।  ज्ञान किसी भी उम्र का व्यक्ति किसी भी क्षण प्राप्त कर सकता है।  इसके साथ-साथ ज्ञान का रूप सीमित नहीं है , ज्ञान विशाल है।  जितना अधिक गहनता से ज्ञान को अर्जित करोगे उसका विस्तार उतना अधिक होगा।  ज्ञान का क्षेत्र अत्यंत विशाल है जो पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ता चला जा रहा है। जहाँ कभी हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए खच्चर का प्रयोग करते थे आज उसे ज्ञान का विस्तृत रूप हमारे समक्ष हवाई यात्राएँ और अनेक परिवहन के साधन है।

मन असीमित ज्ञान का भण्डार है

हमारा मन अनेक प्रकार के अनुभवों और ज्ञान से भरा होता है।  हमें बस सही समय और सही जगह उसका प्रयोग करना आना चाहिए। यदि हम अपने ज्ञान को अभ्यास करते रहते है तो मन में सीमित ज्ञान का विस्तार होता है और मन में सीमित ज्ञान का स्तर बढ़ जाता है।

ज्ञान नकारत्मक भावनाओं से दूर करता है

यदि हमने सही दिशा में ज्ञान को प्राप्त किया है तो ज्ञान हमें नकारातमक विचारों और भावनाओं से दूर रखता है ज्ञान हमें लड़ाई ,झगड़े या किसी भी प्रकार की हिंसात्मक क्रियाओं से दूर रखता है और हमें सकारात्मक विचारों की और अग्रसर करता है।

मानव जाति के लिए वरदान

ज्ञान मानव जाति के लिए एक वरदान है क्योंकि समस्त संसार में केवल मानव ही एक ऐसा प्राणी है जो ज्ञान को ग्रहण भी कर सकता है और  उसका प्रयोग भी कर सकता है। जो व्यक्ति ज्ञानी है , जिसने अनेक विद्याओ का ज्ञाता है वह संसार में सबसे अधिक धनी व्यक्ति है क्योंकि ज्ञान व्यक्ति को धनवान बनाता है।  एक अज्ञानी परन्तु धनी व्यक्ति अपने धन का भी सदुपयोग नहीं कर सकता क्योंकि उस धन को सही तरीके से इस्तेमाल करने का उसके पास ज्ञान नहीं होता है।

पुस्तकों से ज्ञान

अपने ज्ञान का विस्तार करने के लिए हम पुस्तकों का सहारा भी ले सकते है।  पुस्तकें हमारे ज्ञान भले वास्तविकता का रूप न दे परन्तु पुस्तकें हमारे ज्ञान में वृद्धि भी करती हैं। जैसे यदि कभी हमें किसी भी वस्तु को बनाने का अनुभव नहीं होता परन्तु यदि हम उस प्रयोग से सम्बंधित वस्तु का अध्ययन करते है तो हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है।

इंटरनेट से ज्ञान का विस्तार

आज के कंप्यूटर युग में तकनीकी ने इतनी अधिक प्रगति कर ली है कि आज कम्प्यूटर केवल टाइपिंग जैसे आम सुविधाओं के आलावा अन्य कार्य करने में भी सक्षम है और इसके साथ-साथ हम अपने मोबाइल फोन पर  भी इंटरनेट के सुविधा का इस्तेमाल करकर अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं।

विरासत में प्राप्त

कभी-कभी ऐसा देखा जाता है कोई बालक जन्म से अधिक बुद्धिमान होता है वह अन्य बच्चों के मुकाबले में ज्ञान का अर्जन अधिक कुशलता और कुटिलता से कर लेता है इसका कारण यह हो सकता है उसके पूवज सम्बंधित ज्ञान के ज्ञाता हो और उसमे कुशल हो।  इसलिए उसको सम्बंधित ज्ञान अथवा कौशल विरासत में प्राप्त होता है।

भविष्य का ज्ञान

जिस प्रकार ज्ञान हमें अच्छे-बुरे हर कार्य के शिक्षा देता है, उसी प्रकार ज्ञान हमें भविष्य के लिए भी तैयार करता है और हमें बतलाता है की हम भविषय को कैसे उज्जवल बना सकते है। ज्ञान ही है जो हमें सिखाता है हमारे लिए क्या सही है क्या नहीं।  यही कारण है जब हमें कभी भविष्य के लिए कोई निर्णय लेना होता है तो हम अपने पूर्व ज्ञान को बुद्धि में रखकर ही निर्णय लेता है।

संतुलन और असंतुलन

ज्ञान ही जो जीवन में संतुलन लाता है और उसका दुरपयोग जीवन को दुर्भर बनाकर उसे असंतुलित कर देता है। ज्ञान एक ऐसा शास्त्र है जिसका यदि आप सदुपयोग करेंगे तो कल्याणकारी होगा और उसका दुरूपयोग विध्वंसकारी होगा। किसी भी वास्तु को नष्ट करने में वक्त नहीं लगता परन्तु उसी  वस्तु का निर्माण करने बहुत समय लगता है।  इसलिए हमें अपने ज्ञान को सही दिशा में प्रयोग करना चाहिए।

ज्ञान अर्जित किया जा सकता है, पर चोरी नहीं

इस कथन अत्यंत वास्तविकता है क्योंकि आप किताबों आदि से ज्ञान को पड़ सकते है पर जब तक उस ज्ञान को प्रयोग में नहीं लाओगे तब तक वह ज्ञान केवल एक तोते के तरह रट्टा हुआ होगा।  जैसे एक तोते को आप जो चाहे सीखा सकते है पर उसका खुद का कोई ज्ञान या बुद्धि नहीं।  ठीक इसी प्रकार किताबो से प्राप्त ज्ञान अर्जित ज्ञान है उसका प्रयोग ही उसका वास्तविक उपयोग है।

ऐसा जरूरी नहीं केवल पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही ज्ञानी हो सकता है।  एक अनपढ़  परन्तु अनुभवी व्यक्ति भी ज्ञान का भण्डार अपने अंदर समेटे हुए रहता है।  जैसे हमारे पूर्वज जो पढ़े लिखे नहीं थे परन्तु फिर भी वे अपनी दिव्य शक्ति से ग्रहो की दशा का पता लगा लेते थे।  उन्ही के द्वारा दिए गए ज्ञान का विस्तार हुआ है।

कोई भी व्यक्ति कितना भी अमीर क्यों न हो उसे ज्ञान को प्राप्त करने के लिए अभ्यास करना पड़ता है और उसका उपयोग करना पड़ता है।  केवल किसी साधु का अपहरण करने से आप वेद , पुराण के ज्ञाता नहीं हो सकते।  वेदों , पुराणों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आपको उन्हें पड़ना होगा।  केवल योग के बारे में पड़ लेने से योग करना नहीं आता।  योगविधा प्राप्त करने के लिए पहले उसका अभ्यास करना पड़ता है।

ज्ञान का महत्व

ज्ञान हमें अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए मदद करता है।  जितना भी ज्ञान हमारे पास है , वही ज्ञान हमें सजाता और संवारता है। ज्ञान चाहे जैसा भी हो अमूल्य होता है और उसका जीवन में हमेशा महत्व  होता है। पूर्व संचित ज्ञान ही हमें जीवन में आने वाली परिस्थितियों और समस्याओं से लड़ने के शक्ति प्रदान करता है।

निष्कर्ष

ज्ञान का सदुपयोग करना या उसका दुरूपयोग करना यह व्यक्ति पर निर्भर करता है।  ज्ञान का सदुपयोग देश को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर करता है और उसी ज्ञान का दुरूपयोग देश को शर्मिंदा भी करता है।  अतः ज्ञान को प्रयोग भली भांति करना चाहिए।