गर्मी की छुट्टी पर निबंध – Essay On Summer Vacation in Hindi

ग्रीष्म ऋतू में तापमान अत्यंत अधिक होता है और यह साल का अत्यंत गर्म मौसम होता है।  जिस प्रकार शीत ऋतु में तापमान निमंतम होता है तो गर्मी की ऋतु में तापमान उच्चतम होता है। इस मौसम में लोग पेय पदर्थो का अत्यधिक सेवन करते है और रसदार  फलों को बड़े चाव से खाना पसंद करते है।  यह ऋतु मार्च माह से जून माह तक रहता है।  जैसे शीट ऋतु में दिन छोटे और रातें लम्बी हो जाती है उसी प्रकार इस मौसम अथवा ऋतु में दिन बड़े और रातें छोटी हो जाती है।  इस ऋतु में सूरज भी जल्दी निकल कर वातावरण को और गर्म कर देता है।

गर्मी की छुट्टी पर निबंध – Long and Short Essay On Summer Vacation in Hindi

इस मौसम में वातावरण अत्यंत गर्म होता है। कभी-कभी लू भरी गरम हवाएं सस्वास्थ्य को प्रभावित करती है जिसके कारण लू लगना , बुखार होना स्वाभाविक है।  लू से बचने के लिए लोग अपने भोजन में प्याज अथवा लस्सी जैसे ठंडी चीजों का सेवन करते है। ग्रीष्म ऋतु में कभी-कभी हवाएं इतनी अधिक गर्म चलती है कि चारो ता का वातावरण शुष्क बना ददेती है और इससे त्वचा में भी रूखापन आ जाता है।

अंगारे बरसता सूरज ,

राहत कहा से आये ,

सब कुछ तो नजान पड़ा है ,

चैन कहा से आये।

दैनिक जीवन

इस ऋतु में लोग हल्के कपड़े और मुलायम व् सूती कपड़े पहनना पसंद करते है। ग्रीष्म ऋतु में कभी-कभी लोगो को पानी की कमी की परेशानी से गुजरना पड़ता है इसका कारण यह है अत्यंत गर्मी के कारण तालाब , सरोवर ,नदी , कुँए और जल के अन्य स्त्रोतों में पानी की कमी हो जाती है और जलाशयों का पानी भी प्रचंड गर्मी के कारण सूख जाते हैं। इस ऋतु में वास्तव में दैनिक जीवन अत्यंत अव्यवस्थित हो जाता है। अत्यंत पसीना आने के कारण लोग थकान का अनुभव करते हैं। इस ऋतु में बार- बार स्नान करने को मन करता है।

तेज धूप से जलते पाँव,

मिलती नहीं कही शीतल छाँव ,

प्यासी धरती और आकाश सब है तड़पते ,

पल भर चल कर चक्कर मुझे आ जाते।

भौगोलिक स्थिति

भारत की भौगोलिक स्थिति हर जगह अलग अलग है।  जहाँ उत्तरी भारत में जून -जुलाई और अगस्त के महीने में गर्मी होती है वही दूसरी ओर दक्षिणी भाग में इन महीनो में सर्दी रहती है और दिसंबर , जनवरी और फेब्रुअरी में गर्मी की ऋतु रहती है।  इस प्रकार उतर-दक्षिण में विपरीत भौगोलिक स्थिति देखने को मिलती है।

बीमारियों के शिकार

इस ऋतु में लोग डायरिया , हीट स्टॉक , हैजा , निर्जलीकरण , लू लगना और सरदर्द जैसे अनेक बिमारियो से परेशान रहते है।  तभी इस ऋतु में डॉक्टर अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह देते है।

पराबैंगनी किरणे

इस ऋतु में सूरज अपने उग्र रूप में होता है मानो जैसे किसी गुस्से में आकर यह धरती को जला रहा हो।  चारों तरफ़ बस ग़र्म हवाएं चलती है।  इसलिए इस मौसम में सूर्ये की पराबैंगनी किरणे सीधे धरती पर पड़ती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक होती है।  यही कारण है इस ऋतु में लोग दिन के समय घर से कम निकलते है और कोई भी यदि काम होता है तो उसे संध्या होने पर करते है।  नहीं तो सुबह -सुबह 10 -11 बजे तक ही निपटा लेते है।

जीव-जंतु तथा पशु-पक्षियों का जीवन

इस ऋतु में एक तरफ मानव जाति जहाँ गर्मी के कहर से असहनीय पीड़ा को सहन कर रही होती है वही दूसरी ओर जीव-जंतु , पशु-पक्षी भी सुखद जीवन के आनंद से खुद को वंचित महसूस कर रहे होते है।  पशु-पक्षी पेड़ के कोपलों में ही अपना घोसला बनाकर रहना पसंद करते है और बाहर सूरज के तप्ति रोशनी में नहीं जाना चाहते और इसके साथ-साथ वे खुद को प्यासा भी महसूस करते है।  और जीव -जंतुओं को जीवन भी अत्यंत पीड़ाजनक हो जाता है।  वो भी जंगलो में पेड़ो की ठंडी छाँव में रहना अत्यंत पसंद करते हैं।

प्रकृतिक वातावरण

इस मौसम में कभी कभी प्रकृतिक भी ससूनी-सूनी नजर आती है और अत्यंत गर्मी के कारण पेड़ो के पते सूख जाते है और गिरने लगते है।  प्रायः पहाड़ो क्षेत्रों और ठन्डे प्रदेशो में वातावरण अत्यंत मनमोहक होता है जो अत्यंत आनंदमय होता है।  इसलिए लोग पहाड़ी इलाको में इस मौसम में जाना पसंद करते हैं। इस ऋतु में बच्चों के विधयलय से छुटियाँ होती है इसलिए वे भी ठन्डे प्रदेशो में जाना पसंद करते हैं।गर्मी के मौसम में धरती का जल वाष्प बन कर बादलों  का निर्माण करता है और बरसात के रूप में धरती पर बरसता है।

सावधनियाँ :- इस मौसम में हमें कुछ सावधानियाँ और कुछ बातो का विशेष ध्यान रखना चाहिए :-

  • इस मौसम में हमें अधिक से अधिक पानी पीना चाहिये।
  • अपने घर की छतो पर पशु-पक्षियों के लिए भी किसी बर्तन में जल रखना चाहिये।
  • हमें पानी और बिजली का दुरूपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
  • हमें अधिक से अधिक पेड़ -पौधे लगाने चाहिए। इसका कारण यह है पेड़ वर्षा लाने में सर्वश्रेष्ठ साधन है।
  • हमें अपने घर , कार्यालय में हर आने-जाने वाले को पानी पिलाना चाहिए।
  • गर्मी से बचने के लिए हमें ठन्डे पदार्थो का सेवन करना चाहिए।

निष्कर्ष

जैसा की हम सभी जानते है जल के स्त्रोत धरती पर कम है और भारत आज भी वर्षा के जल पर निर्भर करता है।  इसलिए इस ऋतु में जितना हो सके हमें जल का सदुपयोग करना चाहिए और जल को व्यर्थ नहीं करना चाहिए और बिजली का भी दुरूपयोग भी नहीं करना चाहिये। एक प्रकार से जैसे हम एक ही प्रकार का जीवन जीते-जीते  ऊब जाते हैं वैसे ही ऋतुओं का क्रमिक होना भी आवश्यक है जिसके कारण हमें हर मौसम के आने का बेसब्री से इन्तजार रहता है और हर मौसम हमें कुछ न कुछ शिक्षा और जीवन जीने का असली महत्व समझाता है।

मन ही मन हम बेजान होते चले जाते है,

गर्मी के दिन हमें बहुत बहुत सताते हैं।