गाय पर हिन्दी में निबंध – Essay On Cow in Hindi

गाय एक घरेलू और उपयोगी पालतू पशु है।  गाय सबसे निर्दोष जानवरों में से एक हैं जो किसी को हानि नहीं पहुंचाती हैं। विभिन्न लाभों के लिए लोग अपने घरों में गायों को रखते हैं। उनका शरीर बड़ा है।

गाय शाकाहारी जानवर हैं।  मानव जाति के लिए उनके बहुत उपयोग हैं।  वास्तव में, किसान और लोग अपने घरों में गायों को रखना शुभ मानते हैं। हमारे देश भारत में प्राचीन काल से ही गायों को एक पवित्र स्थान दिया गया है और इनको परिवार में मां का स्थान देकर पूजा जाता है।

गाय पर हिन्दी में निबंध – Long and Short Essay On Cow in Hindi

अन्य चार पैरों वाले जानवरों की तरह गाय की शारीरिक संरचना में भी एक मुंह, दो आंखें, दो कान, चार थन, दो सींग, दो नथुने तथा चार पांव होते हैं। पांवों के खुर उनके सींगो की तरह ही बहुत कठोर होते हैं जो गाय के लिए जूतों की तरह काम करते हैं। गाय की पूंछ लंबी होती है तथा उसके किनारे पर बालों का एक गुच्छा होता है, जिसकी मदद से वह मक्खियां तथा अन्य किट पतंगों से अपने शरीर की रक्षा करती है।

गाय की कुछ प्रजातियों में सींग की अनुपस्थिति पाई जाती है। अन्य स्तनधारी जानवरों की तरह गाय भी बच्चे को जन्म देती है। अगर के शरीर के रंगों की बात करें तो गाय की नस्लों के हिसाब से उनमें रंगों की भिन्नता मिलती है। ये कई रंगों जैसे कि सफेद, भूरा, सुनहरा, काला, लाल, बादामी तथा चितकबरी होती है।

गाय की विभिन्न प्रकार की नस्लें

गायों की नस्लों के विभिन्न प्रकार भारत में पाए जाती हैं।जिनमें मुख्यत: देशी गाय, हरियाणवी गाय, थारपारकर गाय (जोधपुर, जैसलमेर, कच्छ), तथा सहिवाल (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार), गीर (दक्षिण काठियावाड़),  इत्यादि प्रमुख किस्में पाई जाती  हैं। विदेशी नस्ल में जर्सी गाय सर्वाधिक लोकप्रिय है। यह गाय भारतीय गाय की नस्ल से लगभग 4 या 5 गुना दूध भी अधिक देती है।

विदेशी गाय का शारीरिक संरचना, भारतीय गाय से थोड़ा बड़ा और भारी होता है। किसान अपनी क्षमता के अनुसार गायों को पालते हैं तथा आर्थिक पूंजी में वृद्धि के लिए के लिए गायों की डेयरी चलाते हैं  तथा बड़े स्तर पर गौशाला की स्थापना कर पशुपालन भी करते है।

समृद्धि का प्रतीक

आदिकाल से ही गाय परिवार तथा राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए समृद्धि का प्रतीक रही हैं। भारत के संदर्भ में बात करें तो प्राचीन काल से ही यह भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। चाहे वह दूध की उपयोगिता से हो या फिर खेती के काम में आने वाले बैलों की जरूरत से। वैदिक काल में गायों की संख्या को व्यक्ति की समृद्धि का मानक समझा जाता था। दुधारू और शांत स्वभाव की पशु होने के कारण यह बहुत उपयोगी घरेलू पशु है।

प्राचीन भारत में लोग भूमि, मुद्रा, सोना – चांदी, जवाहरात तथा अन्य बहुमूल्य वस्तुओं के साथ-साथ गायों को भी अपनी आर्थिक पूंजी शामिल करते थे। जिसकी जितनी अधिक संख्या में गाय होती थी उसको उतना ही समृद्ध माना जाता था। युद्ध के समय जीतने वाला पक्ष हारे हुए पक्ष के राजकोष के साथ गायों को भी अपने जीत का हिस्सा मानते थे।

उपयोगिता

  • अगर बात करें गाय की उपयोगिता की तो गाय का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है। यह हमें अनेक प्रकार की बिमारियों से इम्यूनिटी/ प्रतिरक्षा प्रदान करता है और बच्चों के संपूर्ण वृद्धि और विकास लिए बेहद उपयोगी आहार माना जाता है।
  • इसके अलावा दूध से कई तरह के पकवान भी बनते हैं। दूध से दही, पनीर, मक्खन, घी और विभिन्न प्रकार की मिठाईयां बनाई जाती हैं। गाय का घी और गोमूत्र अनेक प्रकार के आयुर्वेदिक औषधियां बनाने के काम आता है।
  • गाय का गोबर किसान की फसलों के लिए सर्वोत्तम जैविक खाद होती है। गाय की मृत्यु के बाद उसके चमड़ा, हड्डियों तथा सींग सहित सभी अंग किसी न किसी उपयोग में लाए जाते हैं।
  • अन्य पशुओं की तुलना में गाय के दूध को बहुत पौष्टिक माना जाता है। डाॅक्टर बच्चों को विशेष तौर पर गाय का दूध पिलाने की सलाह देते हैं क्योंकि भैंस के दूध से बच्चाें में सुस्ती आती है, वहीं गाय का दूध बच्चों में चंचलता बनाए रखता है।

धार्मिक महत्व

गायों को हिंदू धर्म में एक पवित्र पशु  माना जाता है।  हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग गाय को मातृदेवी की तरह पूजते हैं।  एक गाय को हिंदू धर्म में मां का दर्जा दिया गया है।  यही कारण है कि हम इसे ‘गौ माता’ कहते हैं।

हिन्दू धर्म में गायों को मारना पाप मानते हैं।  आजकल, भारत में गायों की सुरक्षा के एकमात्र उद्देश्य के साथ बहुत सारे संगठन  काम कर रहे हैं। भारत की सरकार गायों को किसी भी अन्याय से बचाने के लिए कई तरह के उपाय भी कर रही है।  लोग उनकी सुरक्षा के लिए गठबंधन में आगे आ रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 प्रकार के देवताओं का निवास है। इसलिए  दीपावाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा भी की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण के गाय प्रेम को भला कौन नहीं जानता। इसी गौ प्रेम के कारण उनका एक नाम गोपाल भी है।

निष्कर्ष

वर्तमान समय में दिनोंदिन मानव की पॉलिथीन तथा इसके पॉलीमर्स पर निर्भरता बढ़ती जा रही है और इसकी बढ़ती उपयोगिता के चलते हम इसके नकारात्मक प्रभाव को भी रोकने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। दुर्भाग्यवश  जिस प्रकार से बृहद पैमाने पर शहरों तथा गांवो में पॉलिथिन का उपयोग किया जा रहा है और उसे ऐसी ही सड़कों पर फेंक दिया जाता है, उन प्लास्टिक खाकर गायों की असमय मौत हो जा रही है।

हम सभी को इस दिशा में गंभीरता से विचार करने की आश्यकता है ताकि हमारी ‘आस्था’ और ‘अर्थव्यवस्था’ की प्रतीक गोवंश को बचाया जा सके। अगर बात करें गायक की माता के बारे में तो कुल मिलाकर गाय का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व है। गाय वर्तमान समय में भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।