गणेश चतुर्थी पर निबंध – Essay On Ganesh Chaturthi in Hindi

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

इस श्लोक का अर्थ ये है कि हे भगवान  श्री गणेश आप घुमावदार सूंड वाले, महाविशाल शरीर वाले है, तथा करोड़ो सूर्यो के समान जगतमान है। हे देव, आप सदैव मेरे सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण करें, मुझ पर अपनी कृपा कीजिये ||

गणेश चतुर्थी पर निबंध – Long and Short Essay On Ganesh Chaturthi In Hindi

भगवान श्री गणेश का हिन्दू धर्म तथा पौराणिक कथाओं में अत्यधिक महत्त्व है। श्री गणेश भगवान, भगवान शिव तथा माता पार्वती के पुत्र है तथा भागवान कार्तिके के भाई है।  उन्हें मंगलकरण, विघ्नहर्ता के नामों से भी जाना जाता है। श्री गणेश की दो पत्नियां है। एक रिद्धि और दूसरी सिद्धि,जो समस्त विश्व की संपत्ति तथा सम्पदा से परिपूर्ण मानी जाती है।

दीपावली के दिन भी अनेक घरों में गणेश जी की पूजा लक्ष्मी जी के साथ होती है। उनसे ये प्रार्थना की जाती है की वो अपनी दोनों पत्नियों के साथ हमारे घर पधारे तथा हमें सुख,संपत्ति और आशीर्वाद प्रदान करें।

जहाँ कही भी किसी अच्छे कार्य का प्रारंभ हो रहा हो वहाँ सर्व प्रथम किसी भी देवी देवता के पहले भगवान श्री गणेश का आवाहन किया जाता है, क्योंकि इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। एक बार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों को कहा कि तुम दोनों में से सारे ब्रह्मांड की परिक्रमा करके जो मेरे पास सर्वप्रथम आएगा वही मुझे अधिक प्रिय होगा।

कार्तिकेय जी सारे ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के लिए निकल गये। वही गणेश भगवान ने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और विचार किया कि माता-पिता ही एक पुत्र के लिए उसका समग्र ब्रह्माण्ड होते है। इसलिए उन्होंने अपने माता पिता की परिक्रमा कर ली और जब शिव भगवान ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने अपने विचार बताये जिसे सुनकर भगवान शिव अति प्रसन्न हुए और भगवान गणेश को वरदान दिया कि आज से किसी भी अच्छे काम के आरंभ में सर्वप्रथम तम्हारी पूजा होगी तभी वह कार्य सफल होगा। तबसे लेकर आज तक सारे विश्व मे हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग हर शुभ कार्य के शुरुआत में भगवान गणेश की पूजा सर्वप्रथम करते हैं।

श्री गणेश के जन्म की कथा भी अत्यधिक रोचक है। अन्य देवताओं के भांति श्री गणेश का जन्म अपनी माता पार्वती के गर्भ से नही हुआ है। एक समय जब माता पार्वती स्नान करने जा रही,थी तब उन्होंने अपने तन के मैल द्वारा श्री गणेश को निर्मित किया था। उसके बाद उन्होंने श्री गणेश को कहा कि स्नान घर में किसी को प्रवेश न करने दें। अपनी माता के आज्ञा का पालन करते हुए श्री गणेश वहां पहरा देने लगे। उसी वक़्त वहाँ भगवान शिव शंकर आ पहुंचे.

श्री गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया जिससे क्रोधित होकर महादेव ने श्री गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। यह देख कर माता पार्वती अत्यंत दुखी तथा क्रोधित हुई और महादेव से अपने पुत्र को जीवित करने के लिए कहा।  टैब महादेव ने गज का सिर मंगवाया और श्री गणेश को गज का सिर लगा कर जीवित किया तथा अपनी माता के प्रति उनकी इतनी गहरी आस्था देख कर सभी देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद भी दिया। इसलिए श्री गणेश का एक नाम गजानन भी है। ग्यारवेह दिन गणेश की मूर्ति को नदी में धूम धाम से विसर्जित किया जाता है। इस प्रकार महाराष्ट्रा के तथा भारतवर्ष के लोग गणपति बप्पा के जन्मदिन का त्योहार मानते है।

गणपति बप्पा के बारे में एक कथा ये भी है कि एक बार महाऋषि वेदव्यास को महाभारत काव्य की रचना करने का मन हुआ और उन्हें एक ऐसा व्यक्ति चाहिए था जो उनके काव्य के बीच बाधा न बने ,तब उन्होंने भगवान गणेश से सहायता मांगी। गणेश भगवान ने एक शर्त रखी की कथा बीच मे नही रुकनी चाहये अन्यथा वे कथा लेखन रोक देंगे।

वही ऋषि वेदव्यास जी ने भी शर्त रखी की कथा गणेश जी को समझ के लिखनी होगी।कथा लिखने के दौरान भगवान गणेश की कलम टूट गयी। तब लेखन को बीच में न रोक कर उन्होंने अपना दांत तोड़ लिया और उसे स्याही में डूबा कर महाभारत जैसे महाकाव्य  की रचना की।

भगवान गणेश विघ्नों को हरने वाले देवता है। आप भी सदा उनका आवाहन करें। वे सबको विघ्न से बचाते  है। सुबह सर्व प्रथम गणेश जी का समरण करने से दिन भी शुभ होता है। गणेश जी को लड्डू बाहुत पसंद है। बुधवार के दिन गणेश जी के दर्शन कर उन्हें लड्डू का भोग चढ़ाने से सारी मनोकामना पूरी होती है। बड़े से बड़े संकट के समय गणेश जी का आवाहन करने से वे अवश्य अपने भक्तों की सहायता के लिऐ आते है। तो आइए हम सब मिल के ये कामना करते है कि मंगल कारण श्री गणेश आपके और हमारे परिवार पे अपनी कृपा बनाये रखें।